District-Judiciary राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन को करेंगी संबोधित
जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ
चंडीगढ़, 1 सिंतबर (विश्ववार्ता)सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की जिला न्यायपालिका के 800 से अधिक प्रतिभागियों वाले जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन में आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी शामिल होंगी
बता दें की चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में यह राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इसके बाद अगले दो दिनों तक छह सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिसमें जिला न्यायपालिका से संबंधित कई मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। वहीं, 1 सितंबर को इसके समापन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सम्मेलन को संबोधित करेंगी। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म सुप्रीम कोर्ट के ध्वज और प्रतीक चिन्ह का अनावरण भी करेंगी।
इससे पहले कल ही पीएम मोदी ने कहा था कि आप लोग इतने गंभीर हैं तो उससे मुझे लगता है ये समारोह भी बड़ा गंभीर है। कुछ ही दिन पहले मैं राजस्थान हाइकोर्ट की प्लैटिनम जुबली सेरेमनी में गया था। और, आज सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्षों की यात्रा के उपलक्ष्य में जिला न्यायपालिका का राष्ट्रीय सम्मेलन हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष, ये केवल एक संस्था की यात्रा नहीं है। ये यात्रा है- भारत के संविधान और संवैधानिक मूल्यों की! ये यात्रा है- एक लोकतन्त्र के रूप में भारत के और परिपक्व होने की! और इस यात्रा में हमारे संविधान निर्माताओं का, न्यायपालिका के अनेकों मनीषियों का योगदान बहुत महत्वपूर्ण रहा है। इसमें पीढ़ी-दर-पीढ़ी, उन करोड़ों देशवासियों का भी योगदान है, जिन्होंने हर परिस्थिति में न्यायपालिका पर अपना भरोसा अडिग रखा है। भारत के लोगों ने कभी सुप्रीम कोर्ट पर, हमारी न्यायपालिका पर अविश्वास नहीं किया। इसलिए, सुप्रीम कोर्ट के ये 75 वर्ष, मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में भारत के गौरव को और अधिक बढ़ाते हैं। ये हमारे उस सांस्कृतिक उद्घोष को बल देते हैं जो कहता है- सत्यमेव जयते, नानृतम्’। इस समय देश अपनी आज़ादी के 75 वर्ष पूरे करके संविधान की 75वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। इसलिए, इस अवसर में भी गर्व भी है, गौरव भी है, और प्रेरणा भी है। मैं आप सभी न्यायविदों को, और सभी देशवासियों को इस अवसर पर बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस अवसर पर राष्ट्रीय जिला न्यायपालिका सम्मेलन का जो महत्वपूर्ण आयोजन हो रहा है, मैं इसके लिए भी आप सबको शुभकामनाएँ देता हूँ।
हमारे लोकतन्त्र में न्यायपालिका संविधान की संरक्षक मानी गई है। ये अपने आप में एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है। हम संतोष के साथ कह सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने, हमारी न्यायपालिका ने इस ज़िम्मेदारी का बखूबी निर्वहन करने का प्रयास किया है। आज़ादी के बाद न्यायपालिका ने न्याय की भावना की रक्षा की, आपातकाल जैसा काला दौर भी आया। तब न्यायपालिका ने संविधान की रक्षा में अहम भूमिका निभाई। मौलिक अधिकारों पर हुए प्रहार, तो सुप्रीम कोर्ट ने उनकी रक्षा भी की थी। और यही नहीं, जब-जब देश की सुरक्षा का प्रश्न आया, तब न्यायपालिका ने राष्ट्रहित सर्वोपरि रखकर भारत की एकता की भी रक्षा की है। इन सब उपलब्धियों के बीच, मैं इन यादगार 75 वर्षों के लिए आप सभी विद्वतजनों को बहुत बधाई देता हूं।