राज्य की आर्थिकता मज़बूत करने की वचनबद्धता के साथ वित्त आयोग के पास पंजाब का केस मज़बूती के साथ रखा: हरपाल चीमा
कहा, वैट प्रणाली जारी रहती तो राज्य के 25,750 करोड के बजट वाले जीएसटी के मुकाबले 45,000 करोड से अधिक की कमाई होती
चंडीगढ, 25 जुलाई (विश्ववार्ता) पंजाब के वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने आज यहाँ ज़ोरदार ढंग के साथ कहा कि मुख्य मंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने 16वें वित्त कमीशन के सामने राज्य के विकास के लिए लक्ष्य, चुनौतियों और ज़रूरतों संबंधी केस बहुत मज़बूती के साथ उठाया है और उनको पूरी उम्मीद है कि राज्य द्वारा साझा किये गए तथ्यों की रौशनी में वित्त कमिश्न द्वारा भारत सरकार को दी जाने वाली अपनी सिफारिशों में राज्य के लिए 1 32, 247 करोड़ रुपए के फंड की व्यवस्था करने का सुझाव दिया जाएगा। यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा वित्त आयोग के चेयरपर्सन श्री अरविंद पनगढ़िया को सौंपे गए मैमोरंडम में 1980 के दशक से लेकर अब तक के पंजाब के वित्त के हालात के बारे में विस्तार से बताया गया है। उन्होंने कहा कि वित्त आयोग के सामने दी पेशकारी को 14 भागों में बाँटते हुए राज्य की आर्थिकता, फंडों और भविष्य के अनुमानों के बारे में विवरण साझा किये गए। इस मैमोरंडम में केवल राज्य की माँगें ही नहीं, बल्कि राज्य की आर्थिकता को सुधारने के लिए पंजाब सरकार की वचबद्धता को भी शामिल किया गया है। पंजाब सरकार द्वारा 16वें वित्त आयोग को सौंपे गए मैमोरंडम की विलक्षण विशेषताओं के बारे में बताते वित्त मंत्री ने बताया कि बताया कि पंजाब सरकार की तरफ से फंडों के वितरण से सम्बन्धित प्रस्ताव किये फार्मूले के मुताबिक राज्य में अनुसूचित जातियों की आबादी के आधार पर 15वें वित्त कमीशन के लिए किए गए 0 प्रतिशत प्रस्ताव के मुकाबले 16वें वित्त कमीशन के लिए 5 प्रतिशत करने और कर पालना के लिए 15वें वित्त कमीशन की 2.5 प्रतिशत सिफ़ारिश के मुकाबले 16वें वित्त कमीशन के लिए 5.00 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा गया है।
वित्त मंत्री ने जी. एस. टी. प्रणाली लागू होने के कारण पंजाब को हुए नुक्सान बारे भी बताया। उन्होंने कहा कि आबकारी और कराधान विभाग, पंजाब के अंदरूनी मुल्यांकनों के अनुसार यदि वैट प्रणाली जारी रहती तो राज्य ने मौजूदा वित्तीय साल में 25,750 करोड़ के बजट वाले जी. एस. टी के मुकाबले 45,000 करोड़ से अधिक की कमाई की होती। साल 2030-31 तक वेट 95,000 करोड़ और जी.एस.टी. 47,000 करोड़ होने के अनुमान के साथ यह अंतर और भी बढ़ने की उम्मीद है।
पंजाब सरकार द्वारा 16वें वित्त कमीशन के साथ की गई प्रतिबद्धताओं का ज़िक्र करते हुए वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि हमारी सरकार ने पूँजीगत ख़र्चों को बढ़ाकर राज्य के कुल घरेलू उत्पाद का 1.5 प्रतिशत करने, विरासत में मिले बकाया कर्ज़ को घटाने, राजस्व प्राप्तियाँ जो पहले से ही देश की औसतन प्राप्तियाँ से अधिक है को ओर बढ़ाने और ग़ैर-संगत ख़र्च को तर्कसंगत करने का वायदा किया है। इसी दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा बिजली सब्सिडी को बंद नहीं किया जायेगा, बल्कि अधिक से अधिक नवीनीकरण ऊर्जा स्रोतों के प्रयोग के साथ ऊर्जा उत्पादन के ख़र्चे को कम किया जाएगा।
पंजाब द्वारा 16वें वित्त कमीशन से 5 सालों के लिए माँगे गए विशेष पैकेज के विवरण साझा करते हुए वित्त मंत्री ने बताया कि पंजाब सरकार ने राज्य के विकास फंडों के लिए 75,000 करोड़ रुपए, किसानों की ख़ुशहाली और आमदन में वृद्धि के लिए कृषि और फ़सली विभिन्नता के लिए 17,950 करोड़ रुपए, पराली जलाने की रोकथाम और परिवर्तनी प्रबंधों के लिए 5025 करोड़ रुपए, नार्को-आतंकवाद और नशे से निपटने के लिए 8846 करोड़ रुपए, उद्योग (एम.एस.एम.ई) को पुर्नजीवित करने के लिए 6000 करोड़ रुपए और शहरी स्थानिक इकाईयों के लिए 9426 करोड़ रुपए मुहैया करने की माँग की गई है।
पंजाब द्वारा माँगे गए इन पैकेज की महत्ता के बारे में वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पंजाब के साथ बड़े लंबे समय से भेदभाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे पड़ोसी पहाड़ी राज्यों हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर को विशेष औद्योगिक पैकेज देना और पंजाब को अनदेखा करने के कारण राज्य का उद्योग गंभीर दौर से गुज़र रही है। पंजाब में उद्योग के पलायन को उकसाने के लिए इन पैकेजें का प्रयोग हिमाचल प्रदेश द्वारा पंजाब के साथ लगते शहर बद्दी और सोलन को चुनकर और अब जम्मू-कश्मीर द्वारा पंजाब की सरहद पर पड़ते शहर कठुआ को चुनकर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ लगते पंजाब के सरहदी ज़िलों को ऐसे पैकेज से अनदेखा करना देश के लिए बलिदान देने और अनाज भंडार भरने वाले राज्य के साथ सरासर धोखा है।
उन्होंने कहा कि वित्त कमीशन के पास पेश किये गए केस में अटारी-वाघा बार्डर पर व्यापारिक पाबंदी के कारण हुए आर्थिक नुक्सान को घटाने के लिए एक मुश्त मुआवज़े की माँग रखने के साथ-साथ रास्ते के फिर खुलने तक सालाना मुआवज़े की माँग भी की गई है। उन्होंने कहा कि इस रास्ते के ज़रिए पंजाब के खेती उत्पाद केंद्रीय एशिया के देशों तक पहुँच सकेंगे। उन्होंने कहा कि यह व्यापार तो अब भी गुजरात की बंदरगाहों के ज़रिए जारी है तो फिर अटारी-वाघा सरहद के ज़रिए क्यों नहीं किया जा सकता?
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पंजाब को पूरी उम्मीद है कि वित्त आयोग राज्य सरकार की माँगों की तरफ हमदर्दी के साथ विचार करेगा और पंजाब को खुले दिल से फंड अलाट करने की केंद्र के पास सिफ़ारिश करेगा।