मलेरिया की रोकधाम के लिए आ गया कारगार टीका आर-21
वैज्ञानिक की नजर से जानिए इसकी अहमियत,कैसे काम करती है वैक्सीन
चंडीगढ, 4 मई (विश्ववार्ता): मलेरिया लगभग तीन करोड़ साल से है, तब मनुष्य भी नहीं हुआ करते थे। मलेरिया कोई वायरस नहीं है और न ही यह बैक्टीरिया है। यह एक ‘प्रोटोजोआ’ (आदिकाल का) परजीवी है, जो सामान्य वायरस से हजारों गुना बड़ा है। जीन की तुलना करके इसे अच्छी तरह समझा जा सकता है। उदाहरण के लिए कोविड-19 वायरस में लगभग 12 जीन होते हैं, जिसकी तुलना में मलेरिया में काफी ज्यादा यानी 5,000 जीन पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, मलेरिया परजीवी चार जीवन चक्रों से गुजरता है। संक्रामक रोगजनकों के साथ-साथ यह और विकराल रूप धारण कर लेता है। चिकित्सा शोधकर्ता 100 से अधिक वर्षों से मलेरिया के टीके बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ऑक्सफोर्ड में हमें 30 साल का शोध करना पड़ा।ऑक्सफोर्ड, 28 अप्रैल (द कन्वरसेशन) तीन साल पहले तक किसी ने भी कोई पैरासाइटिक (परजीवी) रोग रोधी टीका विकसित नहीं किया था। अब मलेरिया रोधी दो टीके आ चुके हैं, जिनके नाम आरटीएस, एस और आर21 हैं।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में जेनर इंस्टीट्यूट के निदेशक और आर21 टीके के मुख्य अन्वेषक एड्रियन हिल ने नादिन ड्रेयर को बताया कि उन्हें क्यों लगता है कि यह मलेरिया नियंत्रण के लिए एक बड़ा और महत्वपूर्ण दौर है।
मलेरिया के चारों जीवन चक्र बेहद अलग-अलग हैं और इससे निपटने के लिए अलग-अलग एंटीजन की आवश्यकता होती है। एंटीजन वह पदार्थ है, जो हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को ‘एंटीबॉडी’ पैदा करने के लिए सक्रिय करता है।
हमने ‘स्पोरोजोइट्स’ (कोशिकाओं के एक रूप) पर गौर किया, जो मच्छर त्वचा पर काटकर मानव शरीर में छोड़ते हैं। हमने इन कोशिकाओं के यकृत में पहुंचने से पहले इनका पता लगाने का काम किया। ये कोशिकाएं तेजी से फैलती हैं और ज्यादा समय तक जीवित रहती हैं। हर मच्छर छोटी मात्र में ‘स्पोरोजोइट’, शायद 20 ‘स्पोरोजोइट’ त्वचा में छोड़ते हैं अगर आपका शरीर इन 20 ‘स्पोरोजोइट’ को झेल लेता है, तो माना जाता है कि आप सुरक्षित हैं लेकिन अगर एक भी ‘स्पोरोजोइट’ आगे बढ़ जाता है, तो आपके लिए मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि मलेरिया एक ऐसा रोग कैसे बना, जिसे हराना मुश्किल है?
मलेरिया लगभग तीन करोड़ साल से है, तब मनुष्य भी नहीं हुआ करते थे। मलेरिया कोई वायरस नहीं है और न ही यह बैक्टीरिया है। यह एक ‘प्रोटोजोआ’ (आदिकाल का) परजीवी है, जो सामान्य वायरस से हजारों गुना बड़ा है। जीन की तुलना करके इसे अच्छी तरह समझा जा सकता है। उदाहरण के लिए कोविड-19 वायरस में लगभग 12 जीन होते हैं, जिसकी तुलना में मलेरिया में काफी ज्यादा यानी 5,000 जीन पाए जाते हैं।
इसके अतिरिक्त, मलेरिया परजीवी चार जीवन चक्रों से गुजरता है। संक्रामक रोगजनकों के साथ-साथ यह और विकराल रूप धारण कर लेता है।
चिकित्सा शोधकर्ता 100 से अधिक वर्षों से मलेरिया के टीके बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ऑक्सफोर्ड में हमें 30 साल का शोध करना पड़ा।
आर21/मैट्रिक्स-एम वैक्सीन कैसे काम करती है?
मलेरिया के चारों जीवन चक्र बेहद अलग-अलग हैं और इससे निपटने के लिए अलग-अलग एंटीजन की आवश्यकता होती है। एंटीजन वह पदार्थ है, जो हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को ‘एंटीबॉडी’ पैदा करने के लिए सक्रिय करता है।
हमने ‘स्पोरोजोइट्स’ (कोशिकाओं के एक रूप) पर गौर किया, जो मच्छर त्वचा पर काटकर मानव शरीर में छोड़ते हैं। हमने इन कोशिकाओं के यकृत में पहुंचने से पहले इनका पता लगाने का काम किया। ये कोशिकाएं तेजी से फैलती हैं और ज्यादा समय तक जीवित रहती हैं।
हर मच्छर छोटी मात्रा में ‘स्पोरोजोइट’, शायद 20 ‘स्पोरोजोइट’ त्वचा में छोड़ते हैं। अगर आपका शरीर इन 20 ‘स्पोरोजोइट’ को झेल लेता है, तो माना जाता है कि आप सुरक्षित हैं। लेकिन अगर एक भी ‘स्पोरोजोइट’ आगे बढ़ जाता है, तो आपके लिए मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ‘स्पोरोजोइट’ को खत्म करने के लिए आपके शरीर के पास कुछ ही मिनट होते हैं।
इसलिए आपको असाधारण रूप से उच्च स्तर की ‘एंटीबॉडी’ (रोगों से रक्षा करने वाली प्रणाली) की आवश्यकता है, जिसे परजीवी का पहले कभी सामना न हुआ हो और जिससे निपटना वह न जानता हो। यह कहा जा सकता है कि आपकी ‘एंटीबॉडी’ एक ऐसी कार की तरह होनी चाहिए, जो दूसरी कारों से 10 गुना तेज भाग सकती हो।
टीकाकरण की गति कैसी है?
हमें इस बात से निराशा हुई है कि पिछले साल अक्टूबर में आर21 टीके को मंजूरी मिलने के बाद से इसे तैयार करने में छह महीने से अधिक समय लग गया है। भारत में आर21 की लाखों खुराक भंडार करके रखी गई हैं।
इसकी तुलना में अगर देखें तो ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका कोविड-19 रोधी टीके को 2020 में नए साल की पूर्व संध्या पर मंजूरी दी गई थी और झटपट तरीके से अगले ही सप्ताह कई देशों में इसका इस्तेमाल शुरु हो गया था।
उस वर्ष अफ्रीका में कोविड-19 की तुलना में मलेरिया से अधिक मौत हुई थीं।
मलेरिया रोधी पहला टीका आरटीएस,एस पहले ही एक बड़े सुरक्षा परीक्षण के तहत लाखों बच्चों को लगाया जा चुका है और इसका इस्तेमाल वास्तव में बहुत अधिक है, इसलिए अफ्रीका में बड़े पैमाने पर टीकाकरण किया जा सकता है।
मलेरिया उन्मूलन में टीकों की कितनी बड़ी भूमिका होगी? हम वास्तव में सोचते हैं कि अब हमारे पास एक बड़ा प्रभाव डालने का अवसर है।
यह निश्चित नहीं है कि मलेरिया से बचने के लिए कीटनाशकों और मच्छरदानी जैसे कितने पुराने तरीकों का इस्तेमाल करना होगा। सलाह यह है कि उन सभी का भी इस्तेमाल करते रहें।
लेकिन मच्छर कीटनाशकों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर रहे हैं। मलेरिया रोधी दवाएं केवल कुछ दिन तक ही चलती हैं और परजीवी इन दवाओं के खिलाफ भी प्रतिरोध पैदा कर रहे हैं। हर साल 6,00,000 से अधिक लोगों की मलेरिया से मौत हो जाती है। कम लागत वाले, बहुत प्रभावी टीकों के इस्तेमाल से हम इस दशक के अंत तक मृतकों की संख्या 2,00,000 या उससे कम कर सकते हैं। इसके बाद ही हम दुनियाभर में मलेरिया को जड़ से खत्म करने के बारे में सोच सकते हैं।