मंनोरंजन:दोस्ती की अनोखी दास्तां पर बनी फिल्म, ‘बजरंग और अली’
चंडीगढ, 8 जून: (विश्ववार्ता) साउथ इंडस्ट्रीज के मुकाबले बॉलीवुड बेहद कम ही सामाजिक मुद्दो पर फिल्म निर्माण करते है लेकिन अब इनकी शुरूआत होने शुरू हो गई है जो ेेेआज जहां लोग धर्म के आधार के पर बंटे हुए हैं और इंसानियत की जगह पर अपने-अपने महजब को ज़्यादा तवज्जो देते हैं, ऐसे में ‘बजरंग और अली’ सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे की एक ऐसी मिसाल पेश करती है जिसे देखकर आप सुखद रूप से चकित हो जाएंगे। धर्म के आधार पर बंटे हुए समाज में आज सबसे ज़्यादा ज़रूरत है कि इस बात है लोग अपने-अपने महज़ब से ज़्यादा इंसानियत और मानवीय मूल्यों की अहमियत को समझें। इसी बात को ‘बजरंग और ेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेअली’ में बड़े ही ख़ूबसूरती के साथ बड़े पर्दे पर पेश किया गया है।
फिल्म की कहानी ‘बजरंग और अली’ की दोस्ती पर आधारित है। दोनों की दोस्ती इस क़दर गहरी है कि दोनों हर समय एक-दूसरे की मदद करने और मौका आने पर एक-दूसरे पर जान तक न्यौछावर करने के लिए तैयार रहते हैं. मगर वक्त कुछ इस तरह से करवट लेता है कि ज़िंदगी बजरंग और अली की दोस्ती का इम्तिहान लेने लगती है और दोनों को एक ऐसे मकाम पर लाकर खड़ा कर देती है जहां धार्मिक उन्माद के बीच दोनों को समझ नहीं आता है कि आखऱि वो करें तो क्या करें?
मगर आखिर में इंसानियत की जीत होती और बजरंग और अली अपनी सोच और जज़्बे के साथ अपनी दोस्ती की एक नई मिसाल करते हैं। लेखक और निर्देशक जयवीर ने अपने-अपने मजहब से परे जाकर इंसानियत की सीख देने वाली इस फिल्म को बड़ी मेहनत और लगन के साथ बनाया है। एक निर्देशक के तौर पर फि़ल्म के हर फ्ऱेम और हर सीन में उनके जुनून को आसानी से महसूस किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि जयवीर ने फिल्म के लेखन और निर्देशन के अलावा फि़ल्म में बजरंग की मुख्य भूमिका भी निभाई है। एक अभिनेता के तौर पर भी जयवीर ने कमाल का काम किया है। बजरंग के दोस्त अली का किरदार निभाने वाले सचिन पारिख भी अभिनय के मामले में जयवीर को टक्कर देते नजर आते हैं। रिद्धि गुप्ता, युगांत ब्रदी पांडे, गौरीशंकर सिंह जैसे कलाकारों ने भी अपने-अपने किरदारों को सशक्त तरीके से निभाया हैं। अंतत: ‘बजरंग और अली’ में दर्शायी गई मार्मिक कहानी और फि़ल्म के सशक्त प्रस्तुतिकरण को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस फिल्म को हर हाल में सिनेमा के बड़े पर्दे पर देखा जाना चाहिए।