भारत में फैटी लिवर से जुड़ी बीमारी लगातार बढती हुई
फैटी लिवर की बीमारी में इन 2 चीजों से करें परहेज
चंडीगढ़, 12 जुलाई (विश्ववार्ता): फैटी लिवर डिजिज चिंताजनक गति से बढ़ रही है और भारत में भी लिवर से जुड़ी इस बीमारी के मरीजों की संख्या काफी अधिक है। इस बीच एक जाने-माने हेपेटोलॉजिस्ट ने फैटी लिवर डिजिज के मरीजों को अपनी डाइट में घी और नारियल तेल जैसे सैचुरेटेड फैट की मात्रा पर ध्यान देने की सलाह दी है।
बता दें कि फैटी लिवर डिजिज मोटापे और डायबिटीज जैसी क्रोनिक समस्याओं से भी जुड़ी हुई बीमारी है। बहुत अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन करने से शरीर में इंसुलिन का लेवल बढ़ सकता है। लंबे समय तक हाई इंसुलिन लेवल बने रहने के कारण इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या बढ़ सकती है। यह मेटाबॉलिज्म को कमजोप कर देता है और शरीर में इक_ा हो रहे अतिरिक्त ग्लूकोज को फैटी एसिड्स में बदल देता है। यही फैटी एसिड लिवर में जमा होने लगता है और लिवर की सूजन बढ़ा देता है।
2 तरह के होते हैं फैटी लिवर रोग
यह अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग और नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजिज के तौर पर पहचाना जाता है। यह लिवर की सूजन और लिवर डैमेज (रुद्ब1द्गह्म् स्रड्डद्वड्डद्दद्ग) से जुड़ी हुई स्थितियां हों, जो आगे चलकर फाइब्रोसिस सिरोसिस या लिवर कैंसर का कारण (बन सकती हैं।
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भारत के लोगों को खास चेतावनी
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिवरडॉक के नाम से मशहूर डॉ. एबी फिलिप्स ने कहा, “भारत में रह रहे लोगों को अगर मेटाबॉलिज्म से जुड़ा हुआ फैटी लिवर रोग है, तो उन्हें अपने आहार में सैचुरेटेड फैट वाले फूड्स की मात्रा कम करनी चाहिए।”
उन्होंने बताया, ” उत्तर भारत में रहने वाले लोग जो घी, मक्खन का सेवन अधिक करते हैं उन्हें इसकी मात्रा कम करनी चाहिए। जबकि, दक्षिण भारत के लोगों को नारियल तेल का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए।
इन दोनों चीजों के अलावा पाम तेल, जिसका इस्तेमाल अधिकांश प्रोसेस्ड और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स में किया जाता है। इस तेल का सेवन भी बहुत नुकसानदायक साबित हो सकता है।
एक्सपर्ट के अनुसार, ”सैचुरेटेड फैट ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल बढ़ा देते हैं जिससे, लिवर में फैट और सूजन बढ़ जाती है।”
देसी घी का सेवन भी करें संभलकर
घी को पारंपरिक रूप से स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है, मगर डॉक्टरों ने कहा कि इसका सेवन भी सावधानी से करना चाहिए क्योंकि, इसमें 60 प्रतिशत से अधिक सैचुरेटेड फैट होता है।
डाइट में करें ये बदलाव
डॉ. एबी ने रोजमर्रा का खाना पकाने के लिए अलग-अलग प्रकार के सीड्स ऑयल के उपयोग की भी सिफारिश की। उन्होंने कूकिंग ऑयल का इस्तेमाल डीप फ्राइंग या तलने के बजाय बेक करने, स्टीमिंग, ब्रॉयल, ग्रिल या सॉटे करने के लिए करने का सुझाव दिया।
इसी तरह उन्होंने डेली डाइट में प्लांट बेस्ड प्रोटीन (श्चद्यड्डठ्ठह्ल ड्ढड्डह्यद्गस्र श्चह्म्शह्लद्गद्बठ्ठ) की मात्रा बढ़ाने और फ्रूट जूस की जगह पूरा फल खाने की भी अपील की।