भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक बना
दुनिया में सबसे मंहगी सौर ऊर्जा उत्पादन करने वाला देश है कनाडा
चंडीगढ, 9 मई (विश्ववार्ता): भारत बीते साल जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक बन गया है। वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र में काम कर रहे शोध संस्थान एंबर की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। भारत 2015 में सौर ऊर्जा के उपयोग के मामले में नौवें स्थान पर था। वैश्विक ऊर्जा थिंक टैंक एम्बर की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2023 में दुनिया के तीसरे सबसे बड़े सौर ऊर्जा जनरेटर के खिताब का दावा करने वाले जापान को पीछे छोड़ दिया। भारत ने 2015 के मुकाबले नौ पायदान की छलांग लगाई है।
एंबर के एशिया कार्यक्रम के निदेशक आदित्य लोला ने कहा, ‘‘हरित बिजली क्षमता बढ़ाना सिर्फ बिजली क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए नहीं है। बल्कि अर्थव्यवस्था में बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करने और आर्थिक वृद्धि को उत्सर्जन से अलग करने के लिए भी इसकी आवश्यकता है…।” रिपोर्ट के अनुसार, सौर ऊर्जा ने लगातार 19वें वर्ष दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते बिजली स्रोत के रूप में अपनी स्थिति बरकरार रखा है।
भारत 2015 में सौर ऊर्जा के उपयोग के मामले में नौवें स्थान पर था। ‘ग्लोबल इलेक्ट्रिसिटी रिव्यू’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2023 में वैश्विक बिजली उत्पादन का 5.5 प्रतिशत सौर ऊर्जा के रूप में हुआ। वैश्विक रुख के अनुरूप भारत ने पिछले साल कुल बिजली उत्पादन का 5.8 प्रतिशत सौर ऊर्जा से प्राप्त किया।
बीते वर्ष दुनियाभर में कोयले की तुलना में इस स्वच्छ ऊर्जा स्रोत से दोगुने से अधिक बिजली जोड़ी गई। भारत में 2023 में सौर ऊर्जा उत्पादन में जो वृद्धि है, वह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वृद्धि थी। भारत इस मामले में चीन, अमेरिका और ब्राजील से पीछे रहा। इन चारों देशों की सौर ऊर्जा वृद्धि में हिस्सेदारी 2023 में 75 प्रतिशत रही। एंबर ने कहा कि 2023 में वैश्विक सौर उत्पादन 2015 की तुलना में छह गुना अधिक था। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बिजली उत्पादन में सौर ऊर्जा का योगदान 2015 में 0.5 प्रतिशत था जो 2023 में बढ़कर 5.8 प्रतिशत हो गया।
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के शुद्ध रूप से शून्य उत्सर्जन परिदृश्य के अनुसार, 2030 तक सौर ऊर्जा वैश्विक बिजली उत्पादन का 22 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी। भारत 2030 तक नवीकरणीय क्षमता को तीन गुना करने की योजना बनाने वाले कुछ देशों में से एक है। एंबर के विश्लेषण के अनुसार, इस क्षमता को पूरा करने के लिए भारत को वार्षिक क्षमता वृद्धि उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने की आवश्यकता है।