बीबा हरसिमरत कौर बादल ने बजट में किसानों को निराश करने के लिए केंद्र की निंदा की, व्यापार के लिए वाघा बाॅर्डर को दोबारा खोलने, साइकिल और खेल उद्योग को रियायतें देने और पंजाब को आरडीएफ बकाया जारी करने की मांग की
केंद्रीय बजट पर अपने भाषण में की गई ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने की अपील की, कहा कि राजस्थान को 8 एमएएफ पानी आवंटित करने के लिए पंजाब को मुआवजा दिया जाना चाहिए, चंडीगढ़ को पंजाब में स्थानांतरित करने की भी मांग की
चंडीगढ, 26 जुलाई (विश्ववार्ता) शिरोमणी अकाली दल की वरिष्ठ नेता और बठिंडा सांसद बीबा हरसिमरत कौर बादल ने आज फसलों के लिए एमएसपी पर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से इंकार करके किसानों को नाकाम करने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की, यहां तक उन्होने भावांतर योजना को लागू करने का आहवाहन किया। उन्होने अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए वाघा बाॅर्डर को दोबारा खोलने , साइकि और खेल उद्योग को रियायतें देने और पंजाब को ग्रामीण विकास फंड और सर्व शिक्षा अभियान का बकाया जारी करने की भी मांग की है।
बजट पर बोलते हुए बठिंडा सांसद ने पंजाब के साथ की गई ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के लिए राजस्थान को 8 एमएएफ पानी देने के लिए मुआवजा देने तथा चंडीगढ़ को राज्य में हस्तांतरित करने को सुनिश्चित करने की भी मांग की।
इस बात पर जोर देते हुए कि ‘‘ सरकार बचाओ बजट’’ 2024 में किसानों, गरीबों, महिलाओं और नौजवानों के साथ भेदभाव किया गया है। बीबा बादल ने कहा ,‘‘ इस बजट में केवल दो गठबंधन सहयोगी राज्यों आंध्र प्रदेश और बिहार की सेवा करने की कोशिश की गई है, जिन्हे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों को फंड का बड़ा हिस्सा प्राप्त हुआ है, जबकि अन्य सभी राज्यों के साथ सौतेला व्यवहार किया गया है’’
बठिंडा सांसद ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं और धार्मिक संकटों पर भी पक्षपात किया गया। उन्होने कहा,‘‘ धार्मिक संस्थाओं और मंदिरों को विशेष अनुदान दिया गया, लेकिन श्री दरबार साहिब, अमृतसर, जहां दुनिया भर से दो लाख श्रद्धालु माथा टेकने आते हैं को धार्मिक पर्यटन से कोई अनुदान नही दिया गया है। उन्होने कहा इसी तरह प्राकृतिक आपदाओं के मामले में चयन और चयन नीति लागू की गई है। उन्होने कहा,‘‘ हिमाचल को बाढ़ राहत मिली है, लेकिन पंजाब, जो हिमाचल के बांधों को गेट खोले जाने पर बाढ़ की चपेट में आ जाता है को बिल्कूल भुला दिया गया है।’’ यह सवाल पूछते हुए कि क्या केंद्र की पंजाब के साथ कोई दुश्मनी है? उन्होने कहा,‘‘ जब बाढ़ आती है तो पंजाब का नुकसान होता है, लेकिन जब पानी की कमी होती है तो कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी सहित सभी पार्टियां पंजाब से नदियों का पानी छीनने के लिए एसवाईएल नहर के निर्माण की मांग करते हैं।’’
बीबा बादल ने कहा कि राजस्थान को दिए जाने वाले 8 एमएफ पानी पर पानी से लगाई जाने वाली लागत का मुददा 70 सालों से लटका हुआ है। उन्होने कहा कि यां तो राजस्थान को जाने वाला पानी रोका जाना चाहिए यां इसके लिए पंजाब को मुआवजा दिया जाना चाहिए।
बठिंडा सांसद ने पिछले एक दशक में किसानों की आय में गिरावट के बारे में बोलते हुए कहा कि एनडीए सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन सच्चाई यह है कि कृषि विकास जो 2022-23 में 4.7फीसदी था, अब सिर्फ 1.4 फीसदी रह गया है। इनपुट लागत के बारे में बोलते हुए कहा कि 2016 में गेंहू के बीज के 40 किलों का बैग कीमत 800 रूपये से 1200 रूपये थी अब वह बैग 2000 रूपये में मिल रहा है। उन्होने कहा कि इस अवधि के दौरान खाद्य की कीमतें लगभग तीन गुना हो गई है। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग करते हुए कहा एमएसपी की गणना पचास फीसदी लाभ और उत्पादन की व्यापक लागत के आधार पर की जानी चाहिए। उन्होने कहा कि जब तक ऐसा नही होता, तब तक भावांतर योजना को लागू किया जाना चाहिए ताकि किसानों को एमएसपी से कम पर बिक्री करने पर किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई सुनिश्चित की जा सके।
बीबा बादल ने कहा कि इसी तरह मनरेगा की दरों में कोई बढ़ोतरी नही की गई है, जबकि यूरिया सब्सिडी पिछले साल के मुकाबले 7.4 फीसदी की कमी आई है और पोषक तत्व आधारित सब्सिडी में 25 फीसदी की कमी आई है। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना जैसे प्रमुख कार्यक्रमों के लिए बजट आवंटन में पिछले साल के मुकाबले 3.3 फीसदी की कमी आई है। उन्होने इस बात पर प्रकाश डाला कि न तो मनरेगा के दिन बढ़ाए गए हैं न ही पारिश्रमिक। उन्होने अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए पंजाब को अधिक धन न देने का भी मामला उठाया, क्योंकि देश में अनुसूचित जातियों की आबादी राज्य में सबसे अधिक है।
बीबा बादल ने पहाड़ी राज्यों को टैक्स में प्रोत्साहन के कारण पंजाब में औद्योगिक क्षेत्र में गिरावट के बारे में बोलते हुए कहा कि लुधियाना की अपनी हालिया यात्रा के दौरान वित्त मंत्री ने आईटी अधिनियम की धारा 43 बी(एच) में संशोधन को रदद करने का वादा किया था, जिसके तहत कंपनियों को आईटी कटौती का दावा करने के लिए एमएसएमई विके्रताओं को 44 दिनों के अंदर भुगतान करना अनिवार्य है अन्यथा वे अपनी कर योग्य आय से उन खर्चों को घटाने का अधिकार खो देंगें। उन्होने कहा कि बजट में यह वादा पूरा नही किया गया है। उन्होने बेरोजगारी और ड्रग्ज के दुरूपयोग के बारे में भी बात की और कहा कि इन दोनों मुददों से निपटने के लिए फंड आवंटित करने की आवश्यकता के अलावा आईसीडीएस कार्यक्रम में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया, जिसके तहत स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों के लिए भोजन बनाने के सरकारी ठेके वापिस लेकर पंजाब में एक निजी कंपनी को दे दिए गए हैं।