बांग्लादेशी सांसद की हत्या करने वाला कसाई गिरफ्तार
बांग्लादेशी सांसद की हत्या मामले में दूसरे दिन भी सीआईडी की तलाशी जारी
आरोपी कसाई ने किए रोंगटे खड़े करने वाला कबूलनामा
चंडीगढ, 25 मई (विश्ववार्ता)बांग्लादेश के सांसद अनवारुल अजीम अनार की हत्या के सिलसिले में पश्चिम बंगाल सीआईडी लगातार एक्शन में है. सीआईडी ने बांग्लादेशी सांसद की हत्या के मामले में एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया है. यह वही कसाई है, जिसे मुंबई से अन्य आरोपियों ने हत्या के बाद शव को काटने के लिए बुलाया था. वह हत्या से दो महीने पहले ही मुंबई से कोलकाता आया था. सीआईडी ने बताया है कि गिरफ्तार संदिग्ध अवैध अप्रवासी है, जो बांग्लादेश का ही रहने वाला है.
गिरफ्तार संदिग्ध शख्स की पहचान 24 वर्षीय जिहाद हवलदार के तौर पर हुई है, जो बांग्लादेश के खुलना का रहने वाला है. सांसद अनवारुल अजीम की हत्या के मास्टरमाइंड का नाम अख्तरुज्जमां है, जो बांग्लादेशी मूल का अमेरिकी नागरिक है. अख्तरुज्जमां ने ही दो महीने पहले उसे मुंबई से कोलकाता बुलाया था. कसाई ने बताया है कि किस तरह से आरोपियों ने पहले बांग्लादेशी सांसद की हत्या की और फिर उनके शव के टुकड़े कर उसे कोलकाता में अलग-अलग जगहों पर ले जाकर फेंक दिया.
सूत्रों ने बताया, “मुंबई निवासी और पेशे से कसाई जिहाद हवलदार की गिरफ्तारी के बाद जांच अधिकारियों को कुछ महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। हवलदार को विशेष रूप से कोलकाता लाया गया।
वह उन लोगों में से एक था, जिन्होंने बांग्लादेशी सांसद की हत्या की और फिर शव को ठिकाने लगाया।” जांच अधिकारियों का मानना है कि जिन लोगों ने बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासी जिहाद हवलदार को कॉन्ट्रैक्ट दिया था, उनकी जड़ें बांग्लादेश में हैं। इसलिए मामले को सुलझाने के लिए बंगाल-सीआईडी और बांग्लादेश पुलिस के बीच समन्वय की जरूरत है। सूत्रों ने बताया, “जांच अधिकारियों को अनवारुल अजीम की रहस्यमयी मौत के पीछे हनी ट्रैपिंग के भी कुछ खास सुराग मिले हैं। पूरे प्रकरण में जो नाम बार-बार सामने आ रहा है, वह मृतक सांसद के करीबी दोस्त और बांग्लादेशी मूल के अमेरिकी नागरिक अख्तरुजमान का है।”
जिहाद हवलदार के बयान के अनुसार, उसका मुख्य कार्य मृतक सांसद के शरीर की खाल उतारना था। बांग्लादेश में तीन बार सांसद रह चुके अनवारुल अजीम 12 मई को उपचार के लिए कोलकाता आए थे। शुरू में वे कोलकाता के उत्तरी बाहरी इलाके बारानगर में अपने पुराने सहयोगी और दोस्त गोपाल विश्वास के आवास पर रुके थे। हालांकि, 14 मई को वह गोपाल के घर से बाहर गए और उन्हें बताया कि वह उसी दिन वापस आ जाएंगे। राज्य पुलिस सूत्रों ने बताया कि वह तब से लापता हो गए और उनका मोबाइल फोन भी बंद था। बाद में पता चला कि उनकी हत्या हो गई है।