पुरी जगन्नाथ मंदिर का ‘रत्न भंडार’ 46 साल बाद आज फिर से खुलने की संभावना
एहतियात के तौर पर पहले अधिकृत कर्मचारी और एक सांप पकड़ने वाला व्यक्ति
प्रवेश करेगा खजाने में
चंडीगढ़, 14 जुलाई (विश्ववार्ता)ओडिशा सरकार पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को 46 साल बाद आजखोलेगी ताकि आभूषणों और अन्य मूल्यवान सामानों की सूची बनाई जा सके। रत्न भंडार आखिरी बार 1978 में खोला गया था। उन्होंने बताया कि 12वीं शताब्दी के इस मंदिर के रखरखाव का काम देखने वाला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) इस अवसर का उपयोग मरम्मत कार्य के लिए करेगा।
पुरी के जिला कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने कहा, “हम रविवार को रत्न भंडार को फिर से खोलने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। हम श्री जगन्नाथ मंदिर अधिनियम के अनुसार सरकार द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का सख्ती से पालन करेंगे।”
मुदुली ने बताया कि एहतियात के तौर पर पहले अधिकृत कर्मचारी और एक सांप पकड़ने वाला व्यक्ति खजाने में प्रवेश करेगा।
भगवान बलभद्र के मुख्य सेवक हलधर दासमहापात्रा ने खजाने के लंबे समय से बंद रहने की बात कहते हुए राज्य सरकार से मरम्मत के लिए इसे पुनः खोलने की आवश्यकता पर बल दिया।
खजाने के अंदर एक संरक्षक सांप होने की अफवाहों पर टिप्पणी करते हुए दासमोहपात्रा ने स्पष्ट किया कि ऐसी कोई बाधा नहीं है तथा लोगों से शुद्ध इरादे के साथ वहां जाने का आग्रह किया।
उन्होंने सरकार को संग्रहीत मूल्यवान वस्तुओं का वजन न करने की सलाह दी, तथा इसके स्थान पर वस्तुओं की गिनती करने और उन्हें पुनः सील करने का सुझाव दिया।
मंदिर के एक वरिष्ठ सेवक के अनुसार, रत्न भंडार में तीन भाग हैं – बाहरी कक्ष जिसमें अनुष्ठानों में उपयोग किए जाने वाले आभूषण रखे जाते हैं, तथा आंतरिक कक्ष में अप्रयुक्त आभूषण और सदियों से राजाओं और भक्तों द्वारा दान की गई अन्य कीमती वस्तुएं रखी जाती हैं।
2018 में तत्कालीन कानून मंत्री प्रताप जेना ने राज्य विधानसभा को सूचित किया था कि ‘रत्न भंडार’ में 12,831 भरी (एक भरी 11.66 ग्राम के बराबर) सोने के आभूषण हैं, जिनमें कीमती पत्थर जड़े हैं, साथ ही 22,153 भरी चांदी के बर्तन और अन्य सामान भी हैं।