पंजाब सीएम मान के हस्तक्षेप से किसानों ने शंभू रेलवे ट्रैक से धरना हटाया
पंजाब व हरियाणा की सीमा शंभू में किसानों द्वारा 34 दिनों से चले आ रहे ‘रेल रोको’ आंदोंलन खत्म
रेलवे और यात्रियों के लिए ये बड़ी राहत की खबर
शंभू बॉर्डर पर जारी रहेगा। किसानों का धरना
चंडीगढ, 21 मई (विश्ववार्ता) अपनी मांगों को लेकर शंभू में रेल ट्रैक पर बैठे किसानों ने धरने को तुरंत प्रभाव से उठाने का एलान किया है। रेलवे और यात्रियों के लिए ये एक बड़ी राहत की खबर है। हालांकि शंभू बॉर्डर पर किसानों का धरना जारी रहेगा। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के हस्तक्षेप पर आंदोलनकारी किसानों ने शंभू के पास रेलवे ट्रैक पर चल रही नाकाबंदी हटा ली है। ्र
किसानों ने कहा कि 22 मई को शंभू सीमा पर एक रैली आयोजित की जाएगी। रेलवे स्टेशन पर नाकाबंदी 17 अप्रैल को शुरू हुई थी। हालांकि हरियाणा सरकार ने किसानों की मांग नहीं मानी है, लेकिन किसानों ने अपना धरना सीमा से हटाकर स्थानांतरित करने का फैसला किया है।
जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा, “चूंकि भाजपा नेता किसानों को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए हमने अपना विरोध शंभू और खनौरी सीमाओं और उन स्थानों पर केंद्रित करने का फैसला किया है जहां भाजपा के स्टार प्रचारक राज्य का दौरा कर रहे हैं।”
लोगों को हो रही कई कठिनाइयों के मद्देनजर मुख्यमंत्री ने किसानों से रेल अवरोध हटाने को कहा था जिसके बाद सोमवार को इसे हटा दिया गया। पंजाब-हरियाणा की सीमा शंभू में किसानों ने रेलवे स्टेशन से 34 दिनों से चले आ रहे अपने ‘रेल रोको’ विरोध प्रदर्शन को खत्म करने का फैसला लिया है। आज किसानों ने अपना धरना समाप्त कर दिया, जिसके कारण बड़ी संख्या में ट्रेनों को रद्द करना पड़ा और उनके मार्ग में परिवर्तन करना पड़ा। हरियाणा पुलिस से किसानों की रिहाई की मांग को लेकर किसान शंभू रेलवे स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक पर बैठे हुए थे।।
एक महीने से शंभू रेलवे स्टेशन पर चल रहे रेल रोको आंदोलन के बारे में किसान नेता सुरजीत सिंह फुल ने बताया कि सोमवार शाम से तुरंत प्रभाव से किसान शंभू रेलवे स्टेशन और रेल ट्रैकों से उठ जाएंगे। अपने साथी किसानों की रिहाई को लेकर आने वाले दिनों में पंजाब और हरियाणा के भाजपा नेताओं के घरों का घेराव किया जाएगा।
23 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पटियाला में चुनावी सभा करने के बारे में किसान नेता सुखजीत सिंह खैरा और सुरजीत फूल ने बताया कि अपनी कॉल के अनुसार किसान सांविधानिक और लोकतांत्रिक तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी सवाल करेंगे और उनसे पूछेंगे कि आखिर क्यों उन्होंने किसानों के साथ पिछले आंदोलन में छल कपट किया और झूठ बोला।