पंजाब समेत उत्तर भारत मे सूरज देवता ने अपनाया रौद्र रूप से
पंजाब हरियाणा समेत इन इलाको मे लू का रैड अलर्ट जारी
लू से बचने के कुछ उपाय
चंडीगढ, 20 मई (विश्ववार्ता) पंजाब समेत उत्तर भारत इस समय भीषण गर्मी के प्रकोप मे है सूर्य देवता ने उग्र रूप धारण किया हुआ हैज्ञ। दिन का तापमान 45 से भी पार हो गया है। इस समय समराला के दिन व मोहाली की रातें सबसे गर्म है। तेज गर्म हवाओं से हर कोई परेशान है लेकिन अभी लोगों को गर्मी से राहत मिलने वाली नहीं है क्योंकि 20 तक बठिंडा, मानसा, मोहाली व श्री मुक्तसर साहिब में लू का रैड अलर्ट, जबकि बाकी शहरों में भीषण गर्मी का ऑरेंज अलर्ट जारी है।
मौसम माहिरों ने बताया कि ग्लोबल वार्मिग की वजह से पूरे देश में गर्मी अपना कहर बरपा रही है। वहीं दूसरी तरफ गर्मी की वजह ए.सी. है चाहे वो घरों में चलते हो या फिर गाडिय़ों में चलने वाले ए.सी. हों। इनका इस्तेमाल इतना बढ़ गया है कि इनसे निकलने वाली गर्म हवाओं में ओर भी ज्यादा तपिश को घोल देती है। इससे भी तापमान में इजाफा हो रहा है।
शनिवार को पूरा दिन लोगों गर्म हवाओं के थपेड़ों ने परेशान किया। सुबह से ही तीखी धूप निकली रही। जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ा वैसे-वैसे गर्मी भी अपने तेवर दिखाने लगी। लुधियाना में दिन का तापमान 45.2 डिग्री सैल्सियस रिकार्ड किया गया, जबकि पंजाब मे समराला में सबसे ज्यादा 46.1 डिग्री सैल्सियस रिकार्ड किया गया है। वहीं अगर रात की बात करें तो वो भी 27.1 डिग्री के साथ गर्मी का अहसास करवा रही है। हालांकि मोहाली की रातें सबसे ज्यादा गर्म हैं, क्योंकि वहां का न्यूनतम तापमान 29 डिग्री सैल्सियस रिकार्ड किया जा रहा है। इस समय हवा में नमी की मात्र 34 फीसदी व शाम में 15 फीसदी रिकार्ड किया गया।
लू से बचने के कुछ उपाय
-दोपहर के समय घर से बाहर निकलते समय अपने साथ एक कपड़ा रखें ताकि आप उससे अपना सिर, गर्दन और कान ढक सकें।
-पानी कई बीमारियों का इलाज है। दस्त से बचने के लिए दिन में कई बार पानी, नींबू पानी पियें।
-पानी में ग्लूकोज मिलाकर पियें। इससे शरीर में पानी की कमी तो दूर होगी ही, एनर्जी भी बनी रहेगी।
-छात्रों और शिक्षकों को सलाह दी गई है कि वे समाचार पत्र पढक़र या टीवी और रेडियो सुनकर मौसम संबंधी खबरों से अपडेट रहें। अपने फोन पर मौसम डाउनलोड करने का भी सुझाव दिया गया है।
-सलाह में यह भी कहा गया है कि जलयोजन महत्वपूर्ण है और इसलिए बड़ी मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही एडवाइजरी में कहा गया है कि अगर आप हृदय, किडनी या लीवर की बीमारियों से पीडि़त हैं या कम पानी पीते हैं तो डॉक्टरी सलाह से तरल पदार्थ बढ़ाने के कदम उठाने चाहिए।
क्या करें
* घर से बाहर का काम दिन के ठंडे समय जैसे सुबह और शाम के दौरान किया जाना चाहिए।
* प्यास न होने पर भी हर आधे घंटे में पानी पिएं। मिर्गी या हृदय रोग, गुर्दे या यकृत रोग से पीडि़त लोग जो तरल पदार्थ-प्रतिबंधित आहार पर हैं, उन्हें पानी का सेवन बढ़ाने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
(बाहर काम करते समय हल्के रंग के पूरी बाजू के कपड़े पहनें। कोशिश करें कि गर्मियों में सूती कपड़े ही पहनें।
*अपने सिर को सीधी धूप से ढकने के लिए छाता, टोपी, तौलिया, पगड़ी या दुपट्टे का प्रयोग करें।
*नंगे पैर बाहर न निकलें, धूप में निकलते समय हमेशा जूते या चप्पल पहनें।
* धूप में काम करने वाले लोगों को शरीर का तापमान उचित बनाए रखने के लिए छाया में आराम करना चाहिए या सिर पर गीला कपड़ा रखना चाहिए।
*धूप में बाहर जाते समय हमेशा पानी साथ रखें।
*मौसमी फल और सब्जियां जैसे तरबूज, संतरा, अंगूर, खीरा और टमाटर खाएं क्योंकि इनमें पानी की मात्रा अधिक होती है।
*जो लोग आपके घर या कार्यालय में सामान या भोजन की डिलीवरी के लिए आते हैं उन्हें पानी पिलाएं।
* नींबू पानी, लस्सी, नारियल पानी जैसे घरेलू पेय पदार्थों का उपयोग और खपत बढ़ाएँ।
*अपनी त्वचा की सुरक्षा के लिए सनस्क्रीन और आंखों की सुरक्षा के लिए काला चश्मा पहनें।
*कम खाना खाएं और अधिक बार खाएं।
*ठंडे पानी से बार-बार नहाएं।
*छतों पर छप्पर डालकर या सब्जियां उगाकर तापमान को कम रखा जा सकता है।
*यदि व्यायाम कर रहे हैं, तो धीरे-धीरे शुरू करें और इसे कुछ दिनों तक बढ़ाएं।
*पारंपरिक उपचार जैसे प्याज का सलाद और कच्चे आम को नमक और जीरा के साथ खाने से हीट स्ट्रोक से बचा जा सकता है।
क्या न करें
* दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच धूप में बाहर जाने से बचें।
* गर्म समय में खाना पकाने से बचें, रसोई को अच्छी तरह हवादार रखने के लिए दरवाजे और खिड़कियां खुली रखें।
* शराब, चाय, कॉफी और कार्बोनेटेड और अत्यधिक मीठे पेय पदार्थों का सेवन कम से कम करें क्योंकि ये वास्तव में शरीर के तरल पदार्थ को खत्म कर देते हैं।
* तले हुए भोजन से परहेज करें, बासी भोजन न करें।
* बच्चों या पालतू जानवरों को बंद वाहन में न छोड़ें।
ऐसे लक्षण जिनके लिए चिकित्सा ध्यान देने की आवश्यकता
* मानसिक संतुलन में परिवर्तन के साथ बेचैनी, बोलने में कठिनाई, चिड़चिड़ापन, एटैक्सिया (बोलने में कठिनाई), हकलाना, दौरे पडऩा आदि।