पंजाब की जिला टॉस्क फोर्स टीम ने कुल 60 बच्चों का किया सफल रेस्क्यू
सूबे की फैक्टरियों में मचा हडक़ंप, किस राज्य में सबसे ज्यादा बाल श्रम ?
चंडीगढ, 13 जून (विश्ववार्ता) पंजाब मे राष्ट्रीय बाल सुरक्षा अधिकार कमिशन एवं जिला टॉस्क फोर्स टीम ने बडी कार्रवाई करते हुए बाल मजदूरी विरोधी सप्ताह के दूसरे दिन बडी कार्रवाई करते हुए काकोवाल रोड स्थित चार विभिन्न फैक्ट्री में छापेमारी कर 60 से अधिक मासूम बच्चों को बाल मजदूरी की कैद से आजादी दिलवाने में बड़ी सफलता प्राप्त की है। इस दौरान फैक्टरियों में हडक़ंप मच गया।
आठ विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भारी पुलिस फोर्स के साथ ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए सभी बाल मजदूरों को मुकेश से रेस्क्यू कर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को सौंप दिया है। बताया जा रहा है कि सभी बाल मजदूर माइग्रेंट है। मामले को लेकर मानव तस्करी जैसे बड़े अपराध की चर्चा छिड़ी हुई है।
एंटी चाइल्ड लेबर डे
आज यानी 12 जून के दिन हर साल बाल श्रम निषेध दिवस यानी एंटी चाइल्ड लेबर डे मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य बाल श्रम को रोकना और खत्म करना है. बता दें कि इस दिवस की शुरुआत साल 2002 में 14 साल से कम उम्र के बच्चों को बाल मजदूरी से निकालकर शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से ‘द इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन’ ने की थी. हालांकि अभी भी कई राज्यों में स्थिति ऐसी है कि वहां पर बच्चे शिक्षा ना पाकर मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं. सरकार अपने तरफ से लगातार बाल मजदूरी को रोकने के लिए काम कर रही है, लेकिन अभी तक ये पूरे तरीके से खत्म नहीं हो पाया है।
किस राज्य में सबसे ज्यादा बाल श्रम ?
अब सवाल ये है कि किस राज्य से सबसे ज्यादा बाल श्रम के आंकड़ें आते हैं. बता दें कि भारत में बाल श्रम को लेकर स्पष्ट आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं. लेकिन साल 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में 5-14 आयु वर्ग के एक करोड़ से भी ज्यादा बच्चे बाल श्रम की दलदल में धकेले गए हैं. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में लगभग 15.2 करोड़ बच्चे बाल श्रम के लिए मजबूर हैं. इनकी संख्या घटने की जगह बढ़ती जा रही है।
बाल श्रम की सजा?
कोई भी व्यक्ति अगर 14 साल से छोटे बच्चे से अगर काम कराता है, तो उसके खिलाफ बाल श्रम के खिलाफ महत्वपूर्ण कानूनों में भारतीय दंड संहिता 1860, बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम 1976, बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986, किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2000 के तहत कार्रवाई हो सकती है. वहीं 14 वर्ष से कम आयु या 14 से 18 वर्ष की आयु के बीच के बच्चे को किसी खतरनाक व्यवसाय या प्रक्रिया में नियोजित करता है, तो उसे एक से छह महीने के बीच जेल की सजा या 20,000 से 50,000 के बीच जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है।