देश में जिन क्रोनिक बीमारियों का जोखिम तेजी से बढ़ता हुआ
भारत में हर तीसरा व्यक्ति फैटी लिवर से पीडि़त- डॉ जितेंद्र सिंह
लिवर सिरोसिस और कैंसर का हो सकता है खतरा
चंडीगढ, 1 अगस्त (विश्ववार्ता) देश में जिन क्रोनिक बीमारियों का जोखिम तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है, लिवर से संबंधित समस्याएं उनमें से एक हैं। नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज में एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने चौंकाने वाले डेटा से लोगों को अवगत कराया है। केंद्रीय मंत्री ने बताया, देश में हर तीसरे व्यक्ति को फैटी लिवर डिजीज की समस्या हो सकती है। मधुमेह और अन्य मेटाबॉलिक विकारों के कारण होने वाली इस बीमारी का खतरा उन लोगों में भी तेजी से बढ़ाता हुआ देखा जा रहा है, जो लोग शराब भी नहीं पीते हैं।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत में हर तीसरा व्यक्ति फैटी लिवर से पीडि़त है, जो टाइप-2 मधुमेह और मेटाबोलिक डिसऑर्डर के पहले की स्थिति है। राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र ने कहा, ”नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज एक आम मेटाबोलिक लिवर डिसऑर्डर है जो बाद में सिरोसिस और प्राइमरी लिवर कैंसर में बदल सकता है। यह मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और कई अन्य बीमारियों से पहले होता है। एक एंडोक्रिनोलॉजिस्ट के रूप में मैं फैटी लिवर की बारीकियों और मधुमेह व अन्य मेटाबोलिक डिसऑर्डर के साथ इसके संबंध को मैं समझता हूं।
केंद्रीय मंत्री ने अपने संबोधन में कहा, एनएएफएलडी के कारण लिवर सिरोसिस से लेकर लिवर कैंसर जैसी गंभीर समस्याओं का खतरा भी हो सकता है। इस विकार का समय रहते पहचान करके उपचार करना जरूरी है। फैटी लिवर की समस्या दो प्रकार की होती है- अल्कोहलिक फैटी लिवर और नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज। एनएएफएलडी के ज्यादातर मामलों के लिए लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़़ी को प्रमुख कारण माना जाता रहा है।
वह राष्ट्रीय राजधानी स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज में मेटाबोलिक लिवर रोगों की रोकथाम और उपचार के लिए एक वर्चुअल नोड, इंडो फ्रेंच लिवर एंड मेटाबोलिक डिजीज नेटवर्क के शुभारंभ के अवसर पर बोल रहे थे।
इस नोड में ग्यारह फ्रांसीसी और 17 भारतीय डॉक्टर संयुक्त रूप से काम करेंगे। मंत्री ने कहा भारतीय उपमहाद्वीप और यूरोप दोनों में जीवन शैली आहार में परिवर्तन और मुख्य रूप से मधुमेह और मोटापे जैसे मेटाबॉलिक सिंड्रोम के कारण नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।”
उन्होंने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप में यह डिजीज लगभग 20 प्रतिशत गैर-मोटे रोगियों में होती है, जबकि पश्चिम में नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज के अधिकांश मामले मोटापे से जुड़े हुए हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत और फ्रांस दोनों में अल्कोहलिक लिवर डिजीज के काफी मामले हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज और अल्कोहलिक लिवर डिजीज दोनों ही स्टेटोसिस से लेकर स्टेटोहेपेटाइटिस सिरोसिस और एचसीसी तक एक समान प्रगति प्रदर्शित करते हैं। डॉ. जितेंद्र ने कहा, ‘भारत न केवल उपचारात्मक स्वास्थ्य सेवा में बल्कि निवारक स्वास्थ्य सेवा में भी वैश्विक अग्रणी बन गया है, जो पिछले दशक में भारत की प्रगति को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “फैटी लिवर के विभिन्न चरणों और गंभीर, पूर्ण विकसित बीमारियों में उनकी प्रगति का पता लगाने के लिए सरल, कम लागत वाले नैदानिक परीक्षण विकसित करने की आवश्यकता है।”
उन्होंने महत्वपूर्ण रूप से कहा कि दृष्टिकोण और एल्गोरिदम भारतीय संदर्भ के अनुरूप होने चाहिए, कम कीमत के साथ सावधानी बरतने वाले होने चाहिए।