दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज के दिव्य मार्गदर्शन में मेलबर्न में योग दिवस के कार्यक्रम का हुआ आयोजन
अगर शरीर स्वस्थ है तो प्रत्येक कार्य में इंसान अपना सम्पूर्ण योगदान दे पाएगा- योगाचार्य स्वामी डॉक्टर सर्वेश्वर
मेलबर्न , 26 जून (गुरपुनीत सिंह सिद्धू)दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) मेलबर्न (ऑस्ट्रेलिया) शाखा ने अपनी समग्र स्वास्थ्य पहल-आरोग्य के तहत मेल्टन कम्युनिटी हॉल, विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया में 10वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में एक उल्लेखनीय कार्यक्रम – ‘विलक्षण योग और ध्यान-साधना शिविर’ का आयोजन किया। सत्र का ऑनलाई आयोजन नूरमहल आश्रम, जालंधर, पंजाब, भारत के साथ किया गया था।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक आशुतोष महाराज के दिव्य मार्गदर्शन में, यह कार्यक्रम मेलबर्न में भारत के महावाणिज्य दूतावास के सहयोग से मनाया गया। डीजेजेएस मेलबर्न ने प्रायोजकों और सामुदायिक समर्थकों की मदद से कार्यक्रम का आयोजन किया।
दिव्य गुरु आशुतोष महाराज के शिष्य योगाचार्य स्वामी डॉक्टर सर्वेश्वर ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि महर्षि पतंजलि ने योगसूत्र की रचना इसीलिए ही की ताकि एक इंसान योग का सहारा लेकर अपने शरीर व मन को स्वस्थ रख सके। अगर शरीर स्वस्थ है तो प्रत्येक कार्य में इंसान अपना सम्पूर्ण योगदान दे पाएगा। इसीलिए तो कहा भी गया है ‘पहला सुख निरोगी काया’। स्वामी जी ने कहा कि व्यक्ति यदि अपने जीवनकाल में योग का अभ्यास करता रहे तो वह कभी रोगी नहीं हो सकता है। योग के द्वारा प्रत्येक समस्या का निराकरण संभव है।
उन्होंने उपस्थित लोगों को योगाभ्यास करवाते हुए बहुत सरल किन्तु प्रभावशाली योगासन जैसे ताड़ासन, वृक्षासन, वीरभद्रासन, तुलासन, इत्यादि सिखाकर कमर दर्द, डायबिटीज, हर्निया, माइग्रेन, सिर दर्द, सर्वाइकल, जैसे रोगों से निज़ात पाने के टिप्स दिए। उसके उपरांत सभी को प्राणायाम यौगिक विधियों के तहत नाड़ीशोधन, अनुलोम-विलोम व भ्रामरी प्राणायाम भी सिखाया गया। स्वामी जी ने बताया कि नाड़ीशोधन प्राणायाम एकमात्र ऐसा प्राणायाम है जिसको करने से शरीर की समस्त 72,000 नाडिय़ों का शुद्धिकरण एक ही बार में हो जाता है। हमारा नर्वस सिस्टम दुरुस्त होता है और त्वचा सम्बन्धी समस्त रोगों से निज़ात मिलता है।
उसके बाद उन्होनें अनुलोम-विलोम प्राणायाम के बारे में कहा कि मॉडर्न मेडिकल साइंस का मानना है कि हमारे ब्रेन के दो पाट्र्स होते हैं। अगर ब्रेन के दाईं ओर ब्लड सर्कुलेशन में कमी आती है तो बाईं साइड में पैरालिसिस होने का खतरा बन जाता है। अगर यह समस्या बाईं ओर आती है तो दाईं साईड को पैरालिसिस हो जाता है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम में जब हम दोनों नासिकाओं द्वारा बारी-बारी से श्वास भरते हैं तो ब्रेन की दोनों साइड्स सक्रिय हो जाती हैं और पैरालिसिस होने का खतरा दूर हो जाता है। भ्रामरी प्राणायाम के सम्बन्ध में स्वामी जी ने बताया कि इससे हाइपरटेंशन, माइग्रेन, कम स्मरण शक्ति जैसी अनेक बिमारियों का निदान संभव है।
सभी लोगों ने बढ़-चढ़ कर इस योग शिविर में हिस्सा लिया और विभिन्न यौगिक विधियों को सीखकर उन्हें अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने का संकल्प लिया। इस अवसर पर श्री स्टीव मैकघी (संसद सदस्य विक्टोरियन विधान सभा, मेल्टन), जो मैक्रेकेन (विक्टोरियन विधान परिषद, पश्चिमी विक्टोरिया के सदस्य), सुशील कुमार (भारत के महावाणिज्य दूतावास, मेलबर्न, विक्टोरिया), कार्तिक अरासु [बहुसांस्कृतिक मामलों के सलाहकार (विपक्ष के नेता का कार्यालय- माननीय पीटर डटन सांसद)], जय शाह (अध्यक्ष, ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी ऑस्ट्रेलिया), योगेश भट्ट, चंद्र शर्मा , ऋषि प्रभाकर, डॉ. सुशील शर्मा, डॉ. शैलेश सिंह, हरजिंदर सिंह जी और अन्य समुदाय के नेता और समर्थक उपस्थित थे।