छोटे मासूम बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण बन रहा है डायरिया
दस्त के कारण हर साल कुल इतने लाख से ज्यादा बच्चों की हो जाती है मौत
अपनाये ये घेरलू नुस्खे
चंडीगढ, 17 अप्रैल (विश्ववार्ता). पांच साल के बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण डायरिया यानी उन्हें दस्त लगना है। गर्मी व बरसात में इस बीमारी के होने का खतरा अधिक होता है। शरीर में पानी की भारी कमी होने की स्थिति में यह घातक सिद्ध हो सकता है। लोगों को इसके बारे में जागरूक होने की जरूरत है। कभी-कभी लोग घर या स्थानीय डाक्टरों से इलाज की मांग करते हैं, जो गलत है।
बच्चों में डायरिया का प्रकोप कई प्रदेशों में पांच वर्ष तक के बच्चों में होने वाली मृत्यु का मुख्य कारण रहा है और 5 वर्ष से कम आयु के 10% बच्चों की मृत्यु दस्त के कारण होती है, जबकि भारत में प्रतिवर्ष लगभग 1.2 लाख बच्चों की दस्त के कारण मृत्यु का कारण बनता है तथा दस्त रोग मृत्यु के प्रमुख कारणों में दूसरे स्थान पर है।
राष्ट्रीय संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनसीडीसीपी) के सलाहकार डॉ नरेश पुरोहित ने कहा कि ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ओआरएस) की आड़ में अधिक चीनी वाले पेय पदार्थ बेचे जा रहे हैं जिससे डायरिया से पीडि़त बच्चों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ रहा है। डा. पुरोहित ने कहा, ‘यह गलत लेबलिंग न केवल ओआरएस की प्रभावकारिता को कम करती है, बल्कि गंभीर स्वास्थ्य जोखिम भी पैदा करती है, जो डरावना है।
भ्रामक विपणन रणनीति न केवल रोगी देखभाल से समझौता करती है, बल्कि स्वास्थ्य देखभाल उत्पादों में विश्वास भी कम करती है।’ ‘गर्मी के दौरान बच्चों में डायरिया रोग’ विषय पर आयोजित एक कार्यशाला के दौरान कहा गया कि ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ओआरएस) के रूप में फलों के रस की गलत लेबलिंग और बिक्री, एक महत्वपूर्ण उपचार है। दस्त और निर्जलीकरण, विशेष रूप से गर्मियों के दौरान प्रचलित है हालांकि, ओआरएस के रूप में विपणन किए जाने वाले व्यावसायिक रूप से उपलब्ध फलों के रस, जैसे ओआरएसएल और रेबालानजविट ओआरएस में उच्च चीनी सामग्री होती है, जो दस्त को बढ़ा सकती है।
संक्रामक रोग विशेषज्ञ ने आगाह किया कि गलत लेबलिंग की इन प्रथाओं ने देश के खाद्य और दवा उद्योग में नियामक निरीक्षण के बारे में सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रसिद्ध चिकित्सक ने इंडियन मैडीकल एसोसिएशन (आईएमए) जैसे चिकित्सा निकायों की ओर से कार्रवाई की कमी पर अफसोस जताया। उन्होंने कहा, ‘यह वास्तव में शर्म की बात है कि इस तरह की धोखाधड़ी वाली प्रथाओं को जारी रहने दिया जाता है।’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए चिकित्सा संघों को इस मुद्दे के समाधान में सक्रिय रुख अपनाना चाहिए।