क्या कोरोना की तरह भारत में एमपॉक्स भी मचाएगा तबाही ?
एमपॉक्स पर ऐक्शन में केंद्र
जेपी नड्डा ने की स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक
चंडीगढ, 18 अगस्त (विश्ववार्ता) दुनिया में मंकी पॉक्स के बढ़ते मामलों को लेकर भारत अलर्ट हो गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने शनिवार को मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता। मीटिंग में मंकीपॉक्स की स्थिति और देश की तैयारियों की समीक्षा की गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता वाली बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पूरी सावधानी के तौर पर कुछ उपाय किए जाएं। इनमें सभी एयरपोर्ट, बंदरगाहों और जमीनी सीमाओं पर हेल्थ यूनिट को सचेत करना, टेस्टिंग लैब्स को तैयार करना, किसी भी मामले का पता लगाने, आइसोलेशन और मैनेजमेंट के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को तैयार करना आदि शामिल हैं।
- एमपॉक्स को मंकीपॉक्स के नाम से भी जाना जाता है. अब तक कई देशों में यह वायरस अपना कहर दिखा चुका है. यह ऑर्थोपॉक्स वायरस जींस से संबंधित बीमारी होती है. इस बीमारी की पहचान सबसे पहले 1958 में बंदरों में हुई थी. इसके बाद यह इंसानों में फैलती चली गई
- एमपॉक्स एक वायरल बीमारी है, जो आमतौर पर किसी के संपर्क में आने से फैलती है. अब तक कई लोगों में इस तरह का संक्रमण देखा जा चुका है. यह एक तरह से फ्लू जैसी बीमारी है. इससे शरीर में मवाद से भरे दाने भी होते हैं. मपॉक्स का प्रकोप, एक वायरल संक्रमण जो निकट संपर्क से फैलता है.
- एमपॉक्स वायरस को लेकर अशोक विश्वविद्यालय में अनुसंधान के डीन और भौतिकी और जीव विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. गौतम मेनन ने कहा, “एमपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीरता से लिया जा रहा है और यह पूरी तरह से केवल एक क्षेत्र की चिंता का विषय नहीं है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है. भारत के लिए यह जरूरी होगा कि हवाई अड्डे में प्रवेश पर लक्षणों की जांच की जाए और जो लोग संक्रमित हो सकते हैं, उन्हें अलग कर दिया जाए. उन देशों के यात्रियों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए जहां हालिया प्रकोप में एमपॉक्स के मामले सामने आए हैं.”
- यह वायरस संक्रमित पशुओं द्वारा मनुष्यों में फैल सकता है, लेकिन निकट शारीरिक संपर्क के माध्यम से भी एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में फैल सकता है. इस रोग के कारण बुखार, मांसपेशियों में दर्द और त्वचा पर बड़े फोड़े जैसे घाव हो जाते हैं जो 2 से 4 सप्ताह तक रह सकते हैं. मंकीपॉक्स का पहला मानव मामला 1970 में कांगो में सामने आया था, और तब से इस वायरस का प्रकोप जारी है. वर्तमान प्रकोप, कांगो का अब तक का सबसे खराब प्रकोप, जनवरी 2023 से अब तक 27,000 मामले और 1,100 से अधिक मौतें हो चुकी हैं, जिनमें मुख्य रूप से बच्चे शामिल हैं.