अभिभावक लडक़ों की परवरिश करते समय जरूर सिखाएं ये कुछ बातें
संवेदनशील बनना सिखाएं
चंडीगढ, 18 अगस्त (विश्ववार्ता) : सभी माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चों को अच्छी परवरिश मिले और वे अच्छी चीजें सीखें। भारतीय पेरेंट्स के लिए भी यह बात बहुत मायने रखती है कि उनके बच्चे समय से अपनी जिम्मेदारी समझ लें और अपने पैरों पर खड़ा हो सकें। हालांकि, लड़कियों और लडक़ों को पढऩे-लिखने, करियर बनाने और फाइनेंशियली इंडिपेडेंट बनने में मदद करने के लिए मां-बाप अपने अनुभव के आधार पर बहुत-सी टिप्स देते हैं। लेकिन, वहीं लडक़ों को कुछ ऐसी बातें सिखाना भी जरूरी हैं जो उन्हें जिंदगी के हर दौर में कॉन्फिडेंट रहने में मदद करती हैं। वैसे इनमें से ज्यादातर बातें ऐसी हैं जो आमतौर पर लड़कियों को तो सिखायी जाती हैं लेकिन, इन्हें लडक़ों को सिखाने का ख्याल मां-बाप को नहीं आते। यहां इस लेख में पढ़ें आप कुछ ऐसी ही लाइफ वैल्यूज़ और आदतों के बारे में जो लडक़े और लड़कियों, दोनों को सिखानी चाहिए।
लडक़ों को मजबूत या यूं कहें कि सख्त दिल बनने की सलाह तो अक्सर दी जाती है लेकिन उन्हें संवेदनशील बनने की सलाह कभी नहीं दी जाती। लेकिन, भावनाओं को समझना और लोगों को उनके कमजोर और मुश्किल समय में इमोशनली सपोर्ट करने के लिहाज से लडक़ों को भी उतना ही सवंदेनशील बनना सिखाएं जैसा लड़कियों से उम्मीद की जाती है। लडक़ों को जेंटलमेन बनना सिखाएं, उन्हें सिखाएं कि वह दूसरों को सम्मान दें और दूसरों की खूबियों को पहचानने और अपने आस-पास के लोगों के लिए भावनात्मक स्तर पर सपोर्टिव बने रहें।
अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में लडक़ों को काफी दिक्कत होती है क्योंकि,उन्हें बचपन में यह नहीं सिखाया गया कि, अपने मन के डर, असुरक्षा और उदासी जैसी भावनाओं को दूसरों के सामने व्यक्त करने में कोई बुराई नहीं। इसी तरह कभी-कभार रो लेने (ष्ह्म्4द्बठ्ठद्द) में भी कुछ बुरा नहीं। उन्हें समझाएं कि लडक़े भी रो सकते हैं क्योंकि, रोने के बाद उनके मन का दुख कम हो जाएगा और हो सकता है कि रो लेने के बाद उन्हें मानसिक स्तर पर बेहतर महसूस हो, आत्म-विश्वास बढ़े और अपनी समस्या का हल ढ़ूढने में मदद हो सकती है।
खाना खाने का शौक सभी को होता है लेकिन, लड़कियां जहां बचपन से ही किचन के कामों में इंट्रेस्ट लेने लगती हैं वहीं लडक़े इस तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देते। लेकिन, जब लडक़े पढ़ाई या नौकरी के सिलसिले में घर से दूर जाते हैं तो उन्हें अक्सर घर के खाने की याद सताती है। इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि लडक़े ना तो कुछ पकाना जानते हैं और ना ही उन्हें पता होता है कि किचन में किस तरह काम किया जाता है। ऐसे में कैंटीन और रेस्टोरेंट्स से खाना मंगाकर खाना ही उनके लिए इकलौता ऑप्शन बचता है जो मोटापा बढऩे हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल और बेली फैट बढऩे जैसी कॉमन लाइफस्टाइल डिजज़ि़ेज़ का खतरा बढ़ जाता है।
अपनी हेल्थ को संभालने और दूसरों पर निर्भर रहने की बजाय लडक़ों को बचपन से ही किचन के छोटे-छोटे काम सिखाएं। सब्जियों की खरीददारी, सब्जियों और फलों को काटने, सैंडविच (ह्यड्डठ्ठस्र2द्बष्द्ध) बनाना, चाय बनाना, दूध उबालना और नूडल्स (ठ्ठशशस्रद्यद्गह्य) जैसी चीजें पकाना सिखाएं। बेसिक खिचड़ी, ऑमलेट और दाल-चावल पका लेना जब आसान हो जाता है तो लोग इसके बाद की कूकिंग भी सीखने में रूचि दिखा सकते हैं और इतनी कूकिंग स्किल्स नयी जगह पर अपनी पसंद का और साफ-सुथरा घर का बना खाना खा पाने में उनकी मदद कर सकता है।