पंजाबी यूनिवर्सिटी द्वारा संतोख सिंह धीर जन्मशताब्दी अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार सम्पन
साहित्यकार संतोख सिंह धीर चेयर की हो स्थापना- गुरबचन सिंह भुल्ल्र
पटिआला 30.08.2021(विश्ववार्ता): ‘पंजाबी साहित्य जगत के विशव प्रसिद्ध व कुलवक़्ती श्रोमणि साहित्यकार संतोख सिंह धीर के योग्यदान को ध्यान में रखते हुए पंजाबी यूनिवर्सिटी पटिआला में संतोख सिंह धीर चेयर की स्थापना आने वाली पीढ़ीओं के लिए साहित्य चिंतन व प्रेरणा का स्रोत साबित होगी’ यह शब्द पंजाबी साहित्यकार श्री गुरबचन सिंह भुल्ल्र ने पंजाबी यूनिवर्सिटी पटिआला द्वारा आयोजित ‘संतोख सिंह धीर जन्मशताब्दी अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार’ में बतौर मुखय मेहमान कहे। पंजाबी साहित्य अध्यन विभाग की ओर से संयोजित इस वेबिनार में पंजाबी यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ अरविन्द ने अपने उध्घाटनी भाषण में कहा की यूनिवर्सिटी के ता-उम्र फैलो रहे श्री धीर का साहित्य लोकाई को जोड़ने और भाईचारे की बात करता है जो आज के भाग-दौड़ के दौर में और भी प्रासंगिक है। इस मौके पर प्रसिद्ध आलोचक डॉ सुखदेव सिंह सिरसा ने कहा के साहित्य अकादेमी पुरुस्कार विजेता श्री धीर के 1940 के दशक में साहित्य संसार में आने से पंजाबी साहित्य का द्रृश्य और दृष्टि दोनों में ही महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए क्यूंकि उन्होंने अपने साहित्य को कीर्तियों, किसानों व मज़दूरों के नुक्ते निगाह से पेश किया। बतौर विशेष मेहमान शामिल हुए धीर के छोटे भाई एडवोकेट रिपुदमन सिंह रूप, जो खुद भी एक प्रसिद्ध साहित्यकार हैं, ने यूनिवर्सिटी का ध्यानवाद करते हुए अपने भाई श्री धीर को समर्पित नज़्म ‘फ़िक्र न करीं वीर’ सांझी की। पंजाबी साहित्य और अध्यन विभाग के मुखी डॉ भीम इन्दर सिंह ने कहा के एक गरीब परिवार में जन्मे श्री धीर ने साहित्य जगत में अपनी लोक-पक्षी रचनाओं के ज़रिये एक विशव स्तरीय मुकाम हासिल किआ और साहित्य की विभनन विधाओं में लग-भग 50 पुस्तकें पंजाबी साहित्य जगत को दी। यह उनकी समाज के प्रति प्रतिबद्ता ही थी की उनके परिवार द्वारा 2010 में श्री धीर के निधन के बाद उनका शव पी जी आयी चंडीगढ़ को मेडिकल खोज के लिए दान किया।
इस अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार को तीन अकादमिक खंडो में बांटा गया जिस में विद्वानों द्वारा श्री धीर के साहित्य जगत पर विस्तृत शोध पत्र सांझे किये गए। एक विशेष सेशन में श्री धीर के निकटम साथियों व पारिवारिक सदस्यों ने उनके साथ बिताये लम्हे सांझे किए। इस वेबिनार में जहां देशों-विदेशों से पंजाबी साहित्य रसिये जुड़े वहीँ श्री धीर की यादों से जुडी दुर्लभ तस्वीरों व श्री इक़बाल महल द्वारा श्री धीर से की गयी इंटरव्यू को भी प्रदर्शित किआ गया।
जारी करता-
डॉ भीम इन्दर सिंह
98149-02040
(bhiminderpbi@gmail.com)