*‘आप’ ने की बिजली बिल तुरंत वापस लेने की मांग*
*चंडीगढ़, 4 मई 2020*आम आदमी पार्टी (आप) के राज्य प्रधान और संसद मैंबर भगवंत मान ने बिजली विभाग (पीएसपीसीएल) की तरफ से उपभोक्ताओं को भेजे गए भारी-भरकम बिजली बिलों का सख्त विरोध करते हुए मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह को कहा है कि लॉकडाउन के दौरान भेजे जा रहे बिजली बिल तुरंत वापस लिए जाएं।
‘आप’ हैडक्वाटर द्वारा जारी बयान में भगवंत मान ने कहा कि कोरोना-वायरस के कारण जारी लॉकडाउन के दौरान बिजली के बिल भेजना किसी भी पक्ष से सही फैसला नहीं है। घरों में बैठे लोगों की आमदनी के सभी स्त्रोत ठप्प हैं। बहुसंख्यक लोगों के लिए दो समय की रोटी और जरूरी जरूरतें पुरी करनी ही बड़ी चुनौती हैं। ऐसे हालत में सरकार बिजली के बिल वसूलने की सोच भी कैसे सकती है? इस लिए लॉकडाउन के दौरान बिजली के बिल भेजे जाने की प्रक्रिया तुरंत रोकी जाए और भेजे जा चुके बिजली के बिल वापस लिए जाएं जिससे कठिन हालत के साथ जूझ रहे लोगों को थोड़ी बहुत राहत मिल सके।
भगवंत मान ने बिना मीटर रीडिंग लिए पिछले वर्ष के हिसाब से बिजली की उपभोग के आधार पर तैयार किए भारी-भरकम बिलों को पीएसपीसीएल के हाथों बिजली उपभोक्ताओं की शरेआम लूट करार दिया। भगवंत मान ने दलील दी न तो इस साल के मौसम और न ही पेश हालत की तुलना पिछले सालों के साथ की जा सकती है। मान मुताबिक पिछले साल मौसम गर्म होने के कारण मार्च, अप्रैल और मई महीने बिजली की उपभोग इस साल के मुकाबले कहीं ज़्यादा थी। इस लिए किसी भी तरह इन महीनों के बिजली के बिल पिछले साल मुताबिक तैयार नहीं किये जा सकते।
आम आदमी पार्टी पीएसपीसीएल के इस तुग़लकी फैसले को पूरी तरह रद्द करती है। भगवंत मान ने कहा कि यदि पंजाब सरकार ने यह तुगलकी फैसला बदलते हुए बिजली के बिल न वापस लिए तो आम आदमी पार्टी लोगों को साथ लेकर सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोलेगी और जरूरत पडऩे पर कानूनी चुनौती भी देगी।
मान ने कहा कि पंजाब की कैप्टन अमरिन्दर सिंह और केंद्र की नरिन्दर मोदी सरकार कोई तो राहत भरा फैसला लोगों के लिए ऐलान करे। बिजली के बिल उपभोग के मुकाबले अधिक भेजे जा रहे हैं। सडक़ों पर टोल पलाजे लॉकडाउन के दौरान ही लेने शुरू कर दिए। दुनिया भर में डीजल-पेट्रोल और रसोई गैस्स (सभी पैट्रोलियम पदार्थों) की कीमतें नीचले स्तर पर आ गई हैं, परंतु हमारी सरकारों ने डीजल-पेट्रोल सस्ते नहीं किए। राशन, दालें, सब्जियों के मूल्य ओर ऊंचे हो गए हैं। घरों, व्हीकलों, वाहनों और ओर छोटे-मोटे कर्ज की किश्तें जैसे वैसे वसूली जा रही हैं। क्या सरकारों का फर्ज नहीं बनता कि कठिन वक्त में लोगों को हर पक्ष से राहत दी जाए?
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