विजीलैंस द्वारा लुधियाना टैंडर घोटाले में दो डी. एफ. एस. सी. गिरफ़्तार
(पूर्व मंत्री आशु के दो निजी सहायक और डिप्टी डायरैक्टर आर. के. सिंगला के खि़लाफ़ पी. ओ. की कार्यवाही शुरू)
चंडीगढ़, 22 नवंबरःपंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने राज्य में भ्रष्टाचार के विरुद्ध शुरु की मुहिम के अंतर्गत मंगलवार को लुधियाना ज़िले की अलग-अलग अनाज मंडियों में हुए टैंडर घोटाले में शामिल दो ज़िला ख़ाद्य और सिवल सप्लाई कंट्रोलरों (डीएफएससी) को गिरफ़्तार किया है। इसके इलावा विजीलैंस ब्यूरो ने आर. के. सिंगला, डिप्टी डायरैक्टर ख़ाद्य और सिवल सप्लाईज़ विभाग सहित पंकज कुमार उर्फ मीनू मल्होत्रा और इन्द्रजीत सिंह उर्फ इन्दी, दोनों पूर्व ख़ाद्य और सिवल सप्लाई मंत्री भारत भूषण आशु के निजी सहायक, को भगौड़ा करार देने के विरुद्ध अदालती कार्यवाही आरंभ कर दी है।
इस सम्बन्धी जानकारी देते हुये विजीलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि ब्यूरो ने ठेकेदार तेली राम, जगरूप सिंह, सन्दीप भाटिया और गुरदास राम एंड कंपनी के मालिकों/भाईवालों सहित पंजाब ख़ाद्य और सिवल सप्लाई विभाग के अधिकारियों/ कर्मचारियों के इलावा अलग-अलग अनाज मंडियों में लेबर और ढुलाई के टैंडर अलॉट करने के लिए सम्बन्धित खरीद एजेंसियों के सम्बन्धित अधिकारियों/ कर्मचारियों के विरुद्ध एफआईआर नंबर 11 तारीख़ 16-08-2022, आइपीसी की धारा 420, 409, 467, 468, 471, 120-बी और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 12, 13(2) के अंतर्गत पहले ही केस दर्ज किया हुआ है।
उन्होंने बताया कि इस मुकदमे में मुलजिम तेली राम, पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु, कृष्ण लाल धोतीवाला और अनिल जैन (दोनों आढ़तिये) पहले ही गिरफ़्तार किये जा चुके हैं और न्यायिक हिरासत में हैं। इसके इलावा विजीलैंस ब्यूरो की तरफ से पहले ही भारत भूषण आशु, तेली राम और कृष्ण लाल के विरुद्ध लुधियाना की समर्थ अदालत में चालान पेश किया जा चुका है।
उन्होंने और जानकारी देते हुये बताया कि इस मामले की जाँच के दौरान विजीलैंस ब्यूरो ने आज दो और मुलजिमों को गिरफ़्तार किया है, जिनमें सुखविन्दर सिंह गिल तत्कालीन डीएफएससी लुधियाना पश्चिमी और हरवीन कौर तत्कालीन डीऐफऐससी लुधियाना पूर्वी थे जो इस समय सुखविन्दर सिंह गिल डीएफएससी फरीदकोट और हरवीन कौर डीएफएससी जालंधर तैनात हैं।
उन्होंने कहा कि उक्त टैंडरों की अलॉटमैंट के समय यह दोषी ज़िला टैंडर कमेटी के मेंबर/ कनवीनर थे। वह कमेटी के अन्य सदस्यों के साथ टैंडरों से सम्बन्धित दस्तावेज़ों की जांच करने के लिए ज़िम्मेदार थे, जिसमें ट्रांसपोर्ट वाहनों की सूची भी शामिल थी परन्तु उन्होंने जानबुझ कर वाहनों के रजिस्ट्रेशन नंबरों की तस्दीक नहीं करवाई क्योंकि वाहनों की नत्थी सूची में स्कूटरों, मोटरसाईकलों आदि के नंबर लिखे गए थे। उन्होंने कहा कि ठेकेदारों की तरफ से गलत दस्तावेज़ पेश करने के बावजूद उपरोक्त अधिकारियों ने अपने चहेते व्यक्तियों/ठेकेदारों से रिश्वत लेकर टैंडर अलॉट कर दिए।
प्रवक्ता ने आगे बताया कि जाँच अनुसार सुखविन्दर सिंह डीएफएससी ने 2 लाख रुपए और एक आईफोन रिश्वत के तौर पर लिया था और हरवीन कौर डीएफएससी ने मुलजिम तेली राम ठेकेदार से ठेकेदारों/ टैंडरकर्ताओं का पक्ष लेने के लिए 3 लाख रुपए रिश्वत के तौर पर लिए थे। उन्होंने बताया कि इन दोनों मुलजिमों को कल अदालत में पेश किया जायेगा। ब्यूरो की तरफ से बाकी मुलजिमों की गिरफ़्तारी के लिए यत्न किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले की आगे जांच जारी है।
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