युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे छात्रों के लिए भारतीय दूतावास की अस्पष्ट सलाह किसी काम की नहीं : भगवंत मान
-प्रधानमंत्री मोदी व उनके मंत्री वाहवाही करने के बजाय सभी छात्रों को सुरक्षित वापस लाने की अपनी जिम्मेदारी निभाएं : भगवंत मान
चंडीगढ़, 2 मार्च आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के अध्यक्ष और सांसद भगवंत मान ने खार्किव में भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा के निधन पर दुख व्यक्त किया और कहा कि युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे छात्रों के लिए भारतीय दूतावास की अस्पष्ट सलाह किसी काम की नहीं है। दूतावास की अस्पष्ट सलाह और मोदी सरकार का ढुलमुल रवैया फंसे छात्रों को महंगा पड़ रहा है। मान ने कहा कि यह समय वाहवाही और राजनीति करने का नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी, विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावासों को जिम्मेदारी पूर्वक कार्य करना चाहिए और फंसे छात्रों को यूक्रेन के पड़ोसी देशों की सीमाओं तक पहुंचने के लिए स्पष्ट सुझाव और साधन उपलब्ध कराने चाहिए।
भगवंत मान ने कहा कि यूक्रेन के पूर्वी हिस्सों में फंसे छात्रों के लिए पश्चिमी सीमाओं तक पहुंचना असंभव है। खार्किव और सूमी जैसे शहर रूसी सीमा के पास हैं, इसलिए भारत सरकार रूस से युद्धविराम का आग्रह करे और छात्रों को निकालने के लिए बातचीत कर ठोस रास्ता निकाले। मान ने कहा कि फंसे छात्रों को बेहद कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें भूखे रहना पड़ रहा है। रोमानिया, पोलैंड, हंगरी और स्लोवाकिया की सीमाओं तक पहुंचने के लिए कोई साधन नहीं मिल रहा है। यूएनएससी में भारत के रूख के कारण अब छात्रों को स्थानीय लोगों के भेदभाव का भी सामना करना पड़ रहा है। मान ने कहा कि ऐसे विकट संकट के समय प्रधानमंत्री मोदी को देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का प्रचार छोड़कर अपना पूरा ध्यान यूक्रेन में फंसे छात्रों को वापस लाने पर लगाना चाहिए।
मान ने कहा कि आम आदमी पार्टी युद्ध शुरू होने और रूसी आक्रमण के पहले से ही केंद्र सरकार से भारतीय छात्रों को मुफ्त और सुरक्षित निकालने की अपील कर रही है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के सभी बड़े नेता इस मुद्दे का हल करने के बजाय यूपी विधानसभा चुनाव अभियान में व्यस्त हैं। भाजपा नेताओं ने 20,000 छात्रों के जीवन को दांव पर लगाकर चुनाव को प्राथमिकता दी। आप नेता ने कहा कि भारतीय छात्रों के लिए यूक्रेन छोड़ने की पहली एडवाइजरी भी बहुत देर से आई। फिर निजी विमानन कंपनियों ने किराया 3 गुना बढ़ा दी लेकिन मोदी सरकार आंख मूंदे रही। जब मामला हाथ से बाहर हो गया तो वाहवाही बटोरने के लिए मोदी सरकार ने मान ने निकासी अभियान का नाम ‘मिशन गंगा’ नाम देकर इस मामले का राजनीतिक फायदा उठाने में लग गई। मोदी सरकार का यह रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और निराशाजनक है।