-बहुकरोड़ी घोटाले में शामिल धर्मसोत और अधिकारियों पर तुरंत केस दर्ज हो-‘आप’
– ‘आप’ द्वारा घोटाले की समयबद्ध जांच हाईकोर्ट की निगरानी में करवाने की मांग
-धर्मसोत को कैबिनेट से निकालकर गिरफ्तार न किया तो राजा का फार्महाऊस घेरने की दी चेतावनी
चंडीगढ़, 27 अगस्त 2020 (विश्ववार्ता):दलित विद्यार्थियों के लिए केंद्र की पोस्ट मैट्रिक वजीफा योजना में 63.91 करोड़ रुपए का एक और घोटाला उजागर होने पर आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने घोटाले के सरगना और सामाजिक न्याय, सशक्तिकरण और अल्प संख्यक मामलों के मंत्री साधु सिंह धर्मसोत को पंजाब कैबिनेट से तुरंत बर्खास्त करने और आपराधिक मामला दर्ज करके गिरफ्तार करने की मांग की है। ‘आप’ ने इस नए घपले के साथ-साथ पोस्ट मैट्रिक स्कालर्शिप स्कीम अब तक हुए गड़बड़ घोटालों की समयबद्ध और व्यापक जांच माननीय हाईकोर्ट की निगरानी में करवाने की मांग भी की।
वीरवार को पार्टी हैडक्वाटर से जारी बयान और सोशल मीडिया द्वारा विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि विभाग के अडिशनल चीफ सचिव द्वारा मुख्य सचिव पंजाब को सौंपी गई जांच रिपोर्ट के बाद मंत्री साधु सिंह धर्मसोत को अब तक गिरफ्तार किया जाना चाहिए था, परंतु लगता है कि राजा की सरकार दलित परिवारों के होनहार और योग्य विद्यार्थियों की वजीफा राशि को सरेआम हड़पने वाले मंत्री धर्मसोत और उसके पूरे गिरोह को बचाने और मामला दबाने की कोशिश में जुटी हुई है।
हरपाल सिंह चीमा ने 31 पन्नों की जांच रिपोर्ट दिखाते हुए कहा, ‘‘अगर अमरिन्दर सिंह सरकार सचमुच भ्रष्टाचार के खिलाफ और दलितों के होनहार और जरूरतमंद बच्चों के उज्जवल भविष्य के प्रति गंभीर होती तो धर्मसोत मंत्री की कुर्सी की जगह सलाखों के पीछे बैठा होता, क्योंकि जांच रिपोर्ट में जो तथ्य, दस्तावेज, बेनियमियां और मनमानियां सामने लाई गईं हैं, यह धर्मसोत और उसके गैंग पर कार्रवाई के लिए काफी हैं।’’
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पोस्ट मैट्रिक स्कालर्शिप स्कीम में बादलों की सरकार से लेकर अब तक अरबों रुपए की वजीफा राशि खुर्द-बुर्द की जा चुकी है। ताजा घपला 63.91 करोड़ रुपए का है। जांच रिपोर्ट अनुसार फरवरी-मार्च में इस स्कीम के अधीन पंजाब सरकार को 303 करोड़ रुपए का फंड बांटने के लिए मंत्री धर्मसोत और भागीदार अधिकारियों (खास करके डिप्टी डायरैक्टर परमिंदर सिंह गिल) ने वजीफा राशि जारी करने के समय न सिर्फ ‘पिक एंड यूज’ की नीति अपनाई बल्कि ऐसे कालेजों/संस्थानों को भी मोटी रकमें जारी कर दी जिनका वजूद ही नहीं है।
हरपाल सिंह चीमा ने जांच रिपोर्ट के हवाले से कहा कि दलित विद्यार्थियों के नाम पर जारी की 39 करोड़ रुपए की राशि का कोई रिकार्ड ही नहीं मिल रहा। जबकि 24.91 करोड़ रुपए का अधिक भुगतान शिक्षा संस्थानों को बढ़ा कर किया गया। घपला करने के लिए सप्लिट (अलग) फाईलें बनाईं गईं और फाइलों की क्लीयरैंस निर्धारित प्रक्रिया के बजाए हाथो-हाथ (बाए हैंड) करवाई गई। यहां तक कि प्रिंसीपल सचिव की नोटिंगस हटा कर डायरैक्टर की नोटिंगस चढ़ाई गईं और प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय को फर्जी सूचनाएं भेजी गईं। फंड जारी करने के लिए सारे नियमों-कानूनों को छिंके टांग कर मंत्री और डिप्टी डायरैक्टर सीधा अपने स्तर पर ही हस्ताक्षर करने लग गए थे।
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि अगर इतने सबूत और दस्तावेज ऑन रिकार्ड मिलने के बावजूद भी मंत्री धर्मसोत को कैबिनेट से बर्खास्त करके उस पर केस नहीं दर्ज किया जाता तो स्पष्ट हो जाएगा कि दलितों के बच्चों के खाए जा रहे फंड का हिस्सा सिसवां फार्म हाऊस तक भी जाता है।