प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष पंजाब के अधिकारों की पैरवी करें माननीय राज्यपाल: हरपाल सिंह चीमा
-बीबीएमबी से पंजाब सदस्यता खत्म करने के फैसले के खिलाफ आप ने उपायुक्तों को सौंपे ज्ञापन
चंडीगढ़,2 मार्च आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) से पंजाब की सदस्यता खत्म करने के फैसले के खिलाफ आज जालंधर,होशियारपुर, शहीद भगत सिंह नगर और कपूरथला के उपायुक्तों के माध्यम से पंजाब के माननीय राज्यपाल को ज्ञापन सौंपे। आप के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने जानकारी देते हुए बताया कि आप ने पत्र भेजकर मांग की है कि माननीय राज्यपाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष पंजाब के अधिकारों की पैरवी करें ताकि केंद्र सरकार द्वारा पंजाब के अधिकारों पर हो रहे हमलों को तुरंत रोका जा सके।
बुधवार को पार्टी मुख्यालय से जारी बयान में हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि जालंधर जिले के फिल्लौर से आप उम्मीदवार प्रेम कुमार और आदमपुर से जीत लाल भट्टी के नेतृत्व में पार्टी नेताओं ने जालंधर के उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा है। इसी तरह पार्टी नेताओं ने पंजाब के अधिकारों की रक्षा के लिए कपूरथला, होशियारपुर और शहीद भगत सिंह नगर के उपायुक्तों को भी मांग पत्र सौंपे हैं।
चीमा ने कहा कि पंजाब की धरती पर खड़ा बीबीएमबी एक ऐसा प्रबंधन है जिसमें से पंजाब को ही निकालने की साजिशें रची जा रही हैं। उन्होंने कहा कि पहले केंद्र में काबिज कांग्रेस की सरकारों ने किया, अब भाजपा की मोदी सरकार भी उसी रास्ते पर चल रही है।” चीमा ने कहा कि कांग्रेस से भी एक कदम आगे बढ़कर भाजपा की मोदी सरकार राज्यों के अधिकारों पर सीधा हमले करने पर जुटी है,जो भारत की संघीय ढांचे पर सीधी चोट है।
चीमा ने कहा कि केंद्र सरकार को पंजाब के साथ सौतेला व्यवहार त्याग कर बीबीएमबी के नियमों में मनमाने फैसले लेने से बचना चाहिए। बीबीएमबी के प्रबंधन में पंजाब की स्थाई सदस्यता खत्म करने के फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तुरंत वापस लेना चाहिए और कांग्रेस सरकारों के पहले लिए गए पंजाब विरोधी फैसलों की समीक्षा कर पंजाब के अधिकारों को बहाल करना चाहिए।
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि बीबीएमबी प्रबंधन में पंजाब के प्रभुत्व कम करने के लिए केंद्र की भाजपा और कांग्रेस की सरकारों के साथ साथ पंजाब पर दशकों से शासन करती आ रही कांग्रेस- कैप्टन और अकाली दल की सरकारें भी बराबर जिम्मेदार है। पंजाब की लूट के खिलाफ इन सरकारों ने कभी आवाज नहीं उठाई,क्योंकि उनके लिए हमेशा ही पंजाब और पंजाबियों की तुलना में अपने व्यक्तिगत हित सबसे पहले रहे हैं। जिसका खामियाजा आज पंजाब और पंजाबियों को उठाना पड़ रहा है।