*विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा समेत ‘आप’ विधायकों ने केंद्र और पंजाब सरकार को लिया आड़े हाथ*
*बुनियादी जिम्मेदारी निभाने पर केंद्रित हो सरकारें*
*चण्डीगढ़, 3 मई 2020 आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने कोरोना वायरस के प्रकोप को किसी भी ढंग-तरीके से धार्मिक रंगत दिए जाने का सख्त विरोध करते हुए कहा कि बीमारी-महामारी का कोई धर्म नहीं होता। कफ्र्यू के दौरान भी यदि पंजाब में कोरोना वायरस काबू नहीं आ रहा तो इसके लिए सम्बन्धित सरकारें सीधे रूप में जिम्मेदार हैं।
पंजाब इसको बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा कि पंजाब और केंद्र सरकार से सम्बन्धित राजनैतिक गुट अपनी, नलायकियां छिपाने और जिम्मेवारियों से भागने के लिए कोरोना-वायरस के प्रकोप को सांप्रदायक रंगत दे कर अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने की कोशिश करे।
रविवार को पार्टी हैडक्वाटर से जारी संयुक्त बयान के द्वारा पार्टी के सीनियर नेता और विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा, स्टेट कोर समिति के चेयरमैन प्रिंसीपल बुद्ध राम, मुख्य प्रवक्ता प्रो. बलजिन्दर कौर और कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि तबलीग़ी जमात के बाद अब श्री हजूर साहिब से आई सिक्ख संगत के बारे में जो गैर-जरूरी, गैर-जिम्मेवार्ना टिप्पणियां हो रही हैं, उन पर सख्ती के साथ रोक लगनी चाहिए।
हरपाल सिंह चीमा और कुलतार सिंह संधवां ने केंद्र की नरिन्दर मोदी और पंजाब की कैप्टन अमरिन्दर सिंह सरकार को आड़े हाथों लेते कहा कि कोरोना वायरस के बढ़ रहे प्रकोप के लिए किसी धर्म या धार्मिक स्थान को जिम्मेदार ठहराना जायज नहीं है, इस त्रासदी के लिए वह सरकारें जिम्मेदार हैं, जिनके तुग़लकी फरमान, खोखले सेहत प्रबंधों और प्रशासनिक नलायकियों के कारण कोरोना महामारी की चुनौती ओर ज़्यादा जटिल और कठिन बन गई।
‘आप’ नेताओं ने कहा कि बिना शक लॉकडाउन कोरोना वायरस को फैलने से रोकनो का बेहतरीन तरीका है, परंतु प्रधान मंत्री नरिन्दर मोदी ने जिस ‘नोटबंदी स्टाइल’ में देश भर में लॉकडाउन लागू करने का फरमान सुनाया, उसके खतरनाक नतीजे अब सामने आने लगे हैं। बेहतर होता प्रधान मंत्री सभी राज्यों की सरकारों को भरोसे में लेकर और देश निवासियों को 24 से 72 घंटे का उचित समय देते, जिससे धार्मिक स्थानों, विद्यार्थी संस्थाओं (होस्टलों), सैर-सपाटे और काम-कार (रोजी-रोटी) के लिए इस इधर-उधर गए हुए मुसाफिरों को वापस घर लाने का समय मिल जाता और राज्य सरकार जरूरत के अनुसार आगामी प्रबंध कर लेती। यदि ऐसा होता तो तबलीग़ी जमात, श्री हजूर साहिब, मजनूं का टीला, कोटा के विद्यार्थी या प्रवासी मजदूर और पंजाबी कम्बाईन या ट्रक चालक खबरों की मसालेदार सुर्खिया न बनते।
सरकारें और स्वार्थी राजनैतिक जमातें एक दूसरे के विरुद्ध कीचड़-उछाले या गैर-जरूरी सफाई देने की जगह सारा ध्यान सेहत सेवाओं, शारीरिक दूरी और लॉकडाउन समेत जरूरतमंदों की बुनियादी जरूरतें पुरी करने पर देती।
प्रिंसीपल बुद्ध राम और प्रो. बलजिन्दर कौर ने कहा कि केंद्र और पंजाब सरकार इस महामारी का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह फेल साबित हुई हैं। सरकारों की आर्थिक समर्था और सेहत समेत सभी बुनियादी सेवाओं का दीवालियापण जनतक हो गया है।
कोरोना वायरस के नाम पर सरकारी विकास फंड, सरकारी कल्याणकारी सहूलतें, सरकारी मुलाजिमों के भत्ते काटे जा रहे हैं और खप्तकार टैक्सों के रूप में हर नागरिक की जैसे वैसे जेबें काटी जा रही हैं। फिर भी जरूरतमंद राशन को और कोरोना योद्धा (डाक्टर आदि) जरूरी सामान और मरीज साफ-सुथरे अस्पतालों और एंबुलेंस जैसी बुनियादी सहूलतों को तरस रहे हैं। जो पंजाब सरकार एक लाख कोरोना पीडितों के लिए आगामी प्रबंधों के दावे करती थी, उस के पास से श्री हजूर साहिब से करीब तीन हजार श्रद्धालुओं के आते ही देखभाल, एकांतवास स्थान और जरुरी टैस्ट भी नहीं हो सके।
‘आप’ नेताओं ने कहा कि मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह और सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू समेत सभी मंत्रियों को अपने घरों से निकल कर जिले अनुसार मोर्चे संभालने चाहिएं और इस समय सारा ध्यान अस्पतालों, रैपिड टैस्टों और जरूरतमंदों की जरूरतें और कोरोना विरुद्ध जंग लड़ रहे हर प्रकार के योद्धाओं को अपेक्षित सामान और हौसला दें। इसके इलावा सरकारें निष्पक्ष हो कर कोरोना को धार्मिक रंगत देने वालों के साथ सख्ती के साथ पेश आना चाहिए।
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