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करिश्मा कपूर मैं आपको “करिश्मा” नामक खत लिख रही- आपकी शुभचिंतक  सुमिता धीमान

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ਹੁਕਮਨਾਮਾ ਸ਼੍ਰੀ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ

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MOHALI ਦੇ SSP ਦਾ ਅਚਾਨਕ ਤਬਾਦਲਾ – ਇਸ IPS ਅਧਿਕਾਰੀ ਨੇ ਸੰਭਾਲੀ ਮੋਹਾਲੀ ਦੀ ਕਮਾਂਡ

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करिश्मा कपूर मैं आपको “करिश्मा” नामक खत लिख रही- आपकी शुभचिंतक  सुमिता धीमान

August 23, 2023
in हिन्दी न्यूज़
करिश्मा कपूर मैं आपको “करिश्मा” नामक खत लिख रही- आपकी शुभचिंतक  सुमिता धीमान

करिश्मा कपूर मैं आपको “करिश्मा” नामक खत लिख रही- आपकी शुभचिंतक  सुमिता धीमान

हम सब धरती पर एक invisible bio nuclear war लड़ रहे है यह एक तो अदृश्य युद्ध शैली है

मेरे दुश्मनो ने एक भ्रमित और रचित दुनिया मे कैद किया हुआ है

इस धरती नामक युद्धभूमि पर हर कोई एक योद्धा ही है क्योंकि युद्ध भूमि पर सिर्फ सेना ही होती है

कभी ना खत्म होने वाले आक्रमण, रणनीतियाँ….. एक जाल तंत्र…..web war warlogy.

“प्रेम कैदी” प्रेम कैदी शब्द जैविक नाभिकीय युद्ध की एक चाल को सौ प्रतिशत दर्शाता है

करिश्मा कपूर जी मैं आपको “करिश्मा” नामक खत लिख रही। पर यह खत आपको तभी समझ आएगा। जब आप को Bio nuclear war की अच्छे से जानकारी और समझ होगी। इसीलिए इस खत के साथ मैं एक लिंक मे आपको Bio nuclear war का brief intro भी भेज रही हूँ। कृप्या आप इस खत को जरूर पढिएगा। यह खत Kapoors के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण तो है ही पर ये बाते हमारी दुनिया को भी बहुत प्रभावित कर रही है और करेंगी।

आपकी शुभचिंतक

सुमिता धीमान

I am working on Bio nuclear war, bio nuclear energy, bio nuclear weapons, Kngdom Atomic,  Atomic organisms, Atomic genes or atomic genome, Divine war strategy, Brahm gyan, Designer society, Bio nuclear war disorders & drawbacks, Effects and consequences of Bio nuclear war

Bio nuclear war, Cellular war, Universal war is a Genetic war – A war for genes

Bio nuclear war is invisible but real divine war strategy.

This time bio nuclear war is going on in our world.

Because it is an invisible war humen can’t see or understand this war

But this war can be proved very easily by scientific and logical clues

Here I am sharing brief intro of Bio nuclear war in following link .

https://wishavwarta.in/?p=246044

 

अफसोस एक ही दुनिया मे रहते हुए भी हम बहुत अलग अलग आयामो से है

 

“करिश्मा”

(26.7.2023 Wednesday)

प्रिय करिश्मा कपूर,

नमस्ते।

मैं आशा करती हूँ कि आपके जीवन मे सब मंगलमय होगा। और आप अपनी जीवन यात्रा का आनंद उठा रहे होंगे। मैं भगवान जी से प्रार्थना भी करती हूँ कि वो सदैव आप पर और आपके परिवार पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखे।

मैं सुमिता धीमान, कपूरथला, पंजाब से हूँ। हमारी face book पर बात हुई थी। अफसोस एक ही दुनिया मे रहते हुए भी हम बहुत अलग अलग आयामो से है। इसीलिए मैं तब वहां fb पर आपको अपना दृष्टिकोण नही समझा पाई। इसीलिए अब मैं इस खत के द्वारा आपके आगे फिर से अपनी बात रखने जा रही हूँ। यह मुद्दा समझने के लिए बहुत सारा समय, शांत होना और एकाग्रचित होना मांगता है।

हम सब यहाँ इस धरती पर एक invisible bio nuclear war लड़ रहे है। यह एक तो अदृश्य युद्ध शैली है। और ऊपर से देवीए युद्ध शैली है। और देवीए मुद्दे हम इंसान तब तक नही समझ सकते। जब तक कि देवता खुद ना चाहे कि इंसान उनका यह मुद्दा समझ सकता है। अदृश्य और देवीए युद्ध शैली होने के कारण हम इंसान इस युद्ध को ना तो देख पा रहे है और ना ही समझ पा रहे है। पर इस युद्ध को बहुत ही आसानी से scientifically और logically सिद्ध किया जा सकता है। मेरे साथ बचपन से ही देवीए शक्तियाँ रहती है। वो ही मुझे इस युद्ध की सारी जानकारी दे रही है। इस युद्ध का Scientific portion तो मैने बहुत ही आसानी से सिद्ध कर दिया। मुझे देवीए शक्तियो द्वारा बताया गया है कि इस युद्ध के logical portion को समझने मे film industry खास कर के Kapoors का बहुत योगदान है। Kapoors मे भी ज्यादा योगदान करिश्मा कपूर का है। इसीलिए मुझे कोई हैरानी नही कि जिस कॉलेज मे मैने पहली बार दाखिला लिया उस कॉलेज को सब रणधीर कॉलेज कहते है। वैसे उस कॉलेज का नाम नवाब जस्सा सिंह आहलुवालिया सरकारी कॉलेज है। शायद उस कॉलेज को महाराजा रणधीर सिंह जी ने नवाब जस्सा सिंह जी के नाम पर बनवाया हो।

Bio nuclear war एक सेक्स पर आधारित युद्ध शैली है। और इस युद्ध मे मैं ही अकेली लड़की central figure हूँ। और 1991 तक बाकी सब लड़के ही थे। पर आपकी पहली फिल्म release होने से पहले मैं दिल्ली गई थी। उन दिनो टीवी पर आपकी फिल्म के बहुत गाने आ रहे थे। उस दिन हम दिल्ली डैडी जी के चाचा जी के घर गए थे। चाचा जी पहली मंजिल पर रहते थे। और सीढ़ियाँ बिल्कुल घर के आखिर मे थी। हम सीढ़ियो की तरफ जा रहे थे और हमारे दाएं तरफ आपकी फिल्म का गाना आ रहा था। मैं आपको टीवी पर देख कर खुश हुई और कहा वाह कितना सुन्दर गाना है। तभी मुझे देवीए शक्तियो ने कहा कि करिश्मा को ले कर कुछ गड़बड़ है। इस खेल मे लड़के ही लड़के है। पर तूँ किसी भी लड़के को आगे नही आने दे रही तो अब तुम्हारी कहानी मे करिश्मा कपूर भी है। बचपन से ही मेरे आस पास direct indirect बहुत लड़के है। और जो लड़के मुझसे दूर रहते थे। वो मुझसे टेलीपेथी से संपर्क किया करते थे। सब का एक ही उद्देश्य था मुझसे शादी करना। और मेरा शादी का कोई इरादा नही था।

तब (1991) मुझे अच्छे से पता भी नही था कि कोई युद्ध चल रहा है। समय समय पर मुझे देवीए शक्तियाँ इस युद्ध के बारे मे बहुत कुछ बताती रहती थी। पर उन बातो का हमारे समाज की परिस्थितियो मे कोई ताल मेल नही था। सो मैं उन बातो को कुछ समय के लिए ही याद रखती और कुछ भी अच्छे से समझ ना आने पर मैं देवीए शक्तियो द्वारा बताई गई सब बातो को अस्थाई तौर पर भूल जाती।

मुझसे छोटी से छोटी जुड़ी हुई बातो को भी आप लोग अपनी फिल्मो मे किसी ना किसी तरह जरूर दिखाते हो। मेरे भूलने का सटीक किरदार जॉनी लीवर जी ने फिल्म बाजीगर मे निभाया है। Bio nuclear war कई तरह की होती है। पर मोटे तौर पर यह युद्ध Genetic war/sexual war strategy or cellular war/non sexual war strategy  मे बांटी जा सकती है। 1982 से 1991 तक इस युद्ध मे अभिषेक बच्चन थे। पर आपके फिल्मो मे आते ही आपने अभिषेक बच्चन को replace कर दिया। इस युद्ध मे अभिषेक के रहते यह Bio nuclear war genetic war strategy द्वारा लड़ी जाती। पर आपके इस खेल मे आने से यह युद्ध cellular war strategy द्वारा लड़ा जाने लगा।

मैं 1982 मे एक दिन सरिता मैगज़ीन पढ़ रही थी। उस मे एक हंसी मजाक का टॉपिक ‘पासा पलट गया’ आता था। तब मुझे देवीए शक्तियो ने कहा कि इस खेल मे पासा पलटेगा। तभी तूँ जीत पाएगी और तूँ जिन्दा रह पाएगी। एक सात साल के बच्चे को देवीए शक्तियो द्वारा बता दिया गया कि पासा पलटना है। पर क्या पलटना है , क्यों पलटना है, कब पलटना है, किसने पलटना है, कहाँ पलटना है। इन सब के बारे मे मुझे कुछ नही बताया गया। दरअसल कोई एक पासा नही पलटना था। हमारी धरती पर मौजूद और प्रचलित हर अवधारणा को बदलना था। हम सोचते है कि हमारी धरती पर कोई युद्ध नही चल रहा। पर वास्तव मे हमारी धरती पर एक अति भयंकर Bio nuclear war चल रही है। हम मानते है कि जीवन सिर्फ हमारी ही धरती पर है। पर हकीकत कुछ और है। जीवन अनंत ग्रहो पर है। Bio nuclear war strategy के तहत हमे बहुत अज्ञान, अँधेरे, मिथ्या, भ्रम मे रखा गया है। हम मानते है कि इंसान धरती पर मौजूद सब प्राणियो से अति विकसित प्राणी है। पर हमारा यह विश्वास भी गलत और भ्रमित है। हम मानते है कि पृथ्वी की उम्र करोडो सालो मे है। पर वास्तव मे धरती तीन अप्रैल 1975 को ही अपने अस्तित्व मे आई है। 3.4.1975 से पहले हमारे ब्रह्माण्ड मे पृथ्वी नाम का कोई भी ग्रह, आकाशगंगा नाम का कोई भी तारामंडल था ही नही। हम मानते है कि हमारे माँ बाप और भाई बहन हमारे सब से ज्यादा शुभचिंतक होते है। पर सच्चाई कुछ और है। हमारा जीवन साथी हमारा अर्धांग होता है। पर असल मे हमारा जीवन साथी ही हमारा सब से घातक दुश्मन होता है। हम मानते है कि बच्चे हमारे जीवन के सुखद फल है। पर हमारे जीवन की सब से बड़ी गलती बच्चे पैदा करना ही होता है। और भी कई बाते है। इन सब बातो का पासा पलटना बहुत जरुरी था। तभी Bio nuclear war समझ आनी थी और दिखाई देनी थी। और इस जैविक नाभिकीय युद्ध मे मुझे विजय श्री मिलनी थी और मेरा कल्याण होना था।

मैं कपूरथला शहर मे रहती हूँ।

कपूरथला – कपूर + थला

थला, थल, थलना – पलटना

कपूरथला – क + पूर + थला –

जैविक नाभिकीय युद्ध मे ‘क’ शब्द का मतलब भ्रमित और रचित समाज से है।

क = भ्रमित और रचित समाज

पूर = पूरना

यानि

कपूरथला – क + पूर + थला – भ्रमित और रचित समाज  (के मुद्दे) को पूरना और हमारे समाज (दुनिया) के मुद्दे को ले कर जो हमारी सोच है उसे थलना, पलटना।

 

 

जैविक नाभिकीय युद्ध की रणनीति के तहत मुझे मेरे दुश्मनो ने एक भ्रमित और रचित दुनिया मे कैद किया हुआ है

 

जैविक नाभिकीय युद्ध की रणनीति के तहत मुझे मेरे दुश्मनो ने एक भ्रमित और रचित दुनिया मे कैद किया हुआ है। जिसे हम धरती कहते है। मुझे भ्रमित और भटकाने के लिए। ठीक जैसे फिल्म 16 दिसंबर मे खलनायक बने सुशांत सिंह को भ्रमित और भटकाने के लिए एक नकली सेट लगाया जाता है।

 

पृथ्वी नामक सारे ही ग्रह पर जैविक नाभिकीय युद्ध का सेट लगा है

ऐसे ही मुझे भटकाने के लिए पृथ्वी नामक सारे ही ग्रह पर जैविक नाभिकीय युद्ध का सेट लगा है। मेरे दुश्मनो ने मुझे इस ग्रहीय जेल मे मुझसे मेरे genes लेने के लिए कैद और भ्रमित किया हुआ है। मेरे दुश्मन कभी भी नही चाहते थे कि उनका यह भ्रमित और रचित समाज वाले राज का पर्दाफाश हो। इसीलिए इस धरती पर सब को पता है कि जैविक नाभिकीय युद्ध चल रहा है। पर कोई भी मुझे इस युद्ध के बारे मे और इस भ्रमित, रचित समाज के बारे मे कुछ नही बता रहा। जैसे फिल्मो मे सिर्फ एक कलाकार की याददास्त जाती है। फिल्म मे मौजूद सब कलाकारो की नही। सब कलाकारो को और पूरी फिल्म की टीम को पता होता है कि वो सब मिल कर एक फिल्म बना रहे है। ऐसे ही इस धरती पर मौजूद सब इंसानो को पता है कि वो एक अति भयंकर ब्रह्मांडीय स्तर का एक जैविक नाभिकीय युद्ध लड़ रहे है। इस जैविक नाभिकीय युद्ध के रंगमंच पर सिर्फ मेरी ही याददास्त गई है। बाकी इस धरती पर मौजूद सब इंसानो यानि जैविक नाभिकीय युद्ध की टीम के सब कलाकारो की याददास्त बिल्कुल दुरुस्त है। सब भ्रम, छल, मिथ्या का सहारा ले रहे है क्योंकि भ्रमित समाज मे लड़े जाने वाले जैविक नाभिकीय युद्ध की यही पृष्ठभूमि है। इसीलिए सब मुझसे सच्चाई को छुपा रहे है।

ब्रह्मांडीय सरकार और जैविक नाभिकीय रणनीतिकारो के लिए सारी ही धरती एक युद्धभूमि की तरह है। और सब को पता है कि युद्धभूमि पर सिर्फ और सिर्फ सेना होती है। जो युद्ध लड़ती है। यही हालात हमारी धरती के है। हमारी धरती पर भी हर अदृश्य (जैसे जीवन मूल्य, आदर्श, दर्शन, मान्यताएँ,  रीति रिवाज, भावनाएँ, नियम, कायदे कानून, धर्म, सोच, परम्पराएँ, प्रथा… आदि आदि) और दृश्यमान वस्तु एक सेना और हथियार की ही तरह है। सेना कैसी होगी, युद्धभूमि कैसी होगी, हथियार कैसे होगे, रणनीति कैसी होगी ? और दूसरे जरुरी संसाधन कैसे होगे ? ये सब इस बात पर निर्भर करता है कि हमारा लक्ष्य क्या है ?  युद्ध किस चीज के लिए हो रहा है ?

जैविक नाभिकीय युद्ध मे लक्ष्य मेरे अति सूक्ष्म genes है। अब genes को बाहुबल के द्वारा तो हासिल किया नही जा सकता। सो इस नई तरह की रणनीति मे सब कुछ नया और हमारी सोच से बहुत दूर का है। क्योंकि जैविक नाभिकीय युद्ध इंसानी रणनीति नही है। यह देवीय रणनीति है। भ्रम और इसके बारे मे अनभिज्ञता इस रणनीति का मुख्य हथियार है। इस रणनीति के बारे मे ना तो किसी भी वेद, ग्रन्थ, किताब, लिखित साहित्य, celluloid literature, कथा, दंतकथा, ना किसी परी कथा और ना ही किसी si fi कहानियो मे कुछ जानने को मिलना था। ना ही किसी ने भी इस युद्ध के बारे मे मुझे बोल कर बताना था। तो अब यह अभेद्य जैविक नाभिकीय चक्रव्यूह कैसे टूटे ? मुझे इस युद्ध के बारे मे जानकारी कैसे और कहाँ से प्राप्त हो ?

 

इस धरती नामक युद्धभूमि पर हर कोई एक योद्धा ही है । क्योंकि युद्ध भूमि पर सिर्फ सेना ही होती है

 

चूँकि इस धरती नामक युद्धभूमि पर हर कोई एक योद्धा ही है । क्योंकि युद्ध भूमि पर सिर्फ सेना ही होती है। एक पक्ष की सेना और एक विपक्ष की सेना। तो आप भी इस बात का अपवाद नही हो। आप भी जैविक नाभिकीय युद्ध के एक योद्धा हो। जैसे हर बड़े काम मे division of labour होता है। जैसे कि आपकी फिल्मो मे भी होता है। कोई फिल्म की कहानी लिखता है, कोई गाने, कोई संगीत कोई costume देखता है तो कोई makeup आदि। ऐसे ही ब्रह्मांडीय स्तर के जैविक नाभिकीय युद्ध मे भी है। इस धरती पर मौजूद हर चीज को may be tangible or intangible को एक हथियार और सेना की तरह इस्तेमाल किया जाता  है। इस भ्रमित और रचित समाज का पर्दाफाश करने की जिम्मेदारी Kapoors के हिस्से आई है। हर बात को सिद्ध करने के लिए हमारी दुनिया मे कोई ना कोई सुराग है। और इस पर्दाफाश करने वाली बात को सिद्ध करने के लिए सुराग Kapoors से भी लिए गए है।

पृथ्वी राज कपूर – पृथ्वी + राज + कपूर

पृथ्वी से जुड़े हुए राज को पूरना/बताना/थलना

पृथ्वी थिएटर – हकीकत मे पृथ्वी एक थिएटर की तरह है  – हमारी धरती एक रंगमंच है। जिस पर जैविक नाभिकीय युद्ध का रंगमंच (थिएटर) लगा हुआ है। पृथ्वी थिएटर इसी बात की पुष्टि करता है कि हमारी धरती पर कोई जैविक नाभिकीय युद्ध की युद्धभूमि का रंगमंच लगा हुआ है।

R K studio – राज कपूर studious – इस राज को वो ही पूर सकता है/सिद्ध कर सकता है/हल कर सकता है/ थल सकता है जो studious होगा।

Studious –   अध्ययनशील, अध्ययनपरायण,  विद्याभ्यासी, उत्सुक, मेहनती, परिश्रमी, होशियार (= Paper & Pen strategy), व्यवसायी

जैविक नाभिकीय युद्ध वास्तव मे अभी शुरू नही हुआ है। यह युद्ध तभी शुरू होता अगर मैं शादी करवाती या मेरा कोई boy friend होता। इस धरती पर दोनो तरफ की सेनाएँ छावनी डाल कर तो बैठी है। पर अभी तक युद्ध विधिवत ढंग से शुरू नही हुआ। पिछले 48 साल से अभी तक मेरे दुश्मन युद्ध ही शुरू नही करवा पाए !!!!! This is the real miracle.  तभी इस भ्रमित और रचित समाज और दुनिया मे आपका नाम करिश्मा रखा गया। आपके माता पिता जी के पास कोई वाजिब कारण होगा जो उन्होंने आपका नाम करिश्मा रखा। पर असली वजह यही है। क्योंकि जैविक नाभिकीय युद्ध मे आपकी मौजूदगी के कारण, आपके ग्रहो के कारण पिछले 48 सालो से मेरे दुश्मन युद्ध शुरू ही नही कर पाए। बस सिर्फ पिछले 48 सालो से युद्ध शुरू करने की कोशिश (कोशिका युद्ध शैली, cellular war strategy) ही करी जा रहे है !!!

जैविक नाभिकीय युद्ध सामाजिकता के दायरे मे लड़ा जा रहा है। सामाजिकता के दायरे मे लड़े जाने के कारण यह एक web war warlogy है। जैविक नाभिकीय युद्ध आगे कई युद्ध शैलियो से लड़ा जाता है। जिस मे एक शैली कोशिका युद्ध और cellular war है। जैविक नाभिकीय युद्ध मे पिछले 48 सालो से अभी तक सिर्फ कोशिका युद्ध ही चल रहा है। कोशिका युद्ध जैविक नाभिकीय युद्ध की वो शैली है जिस मे युद्ध आगे बढ़ने की बजाए backward जाना शुरू हो जाता है। इस युद्ध शैली मे दुश्मन को कोई फायदा नही होता। बल्कि इस युद्ध शैली मे दुश्मन घाटे मे ही रहता है। क्योंकि उसका भ्रम, छल, मिथ्य का रचा हुआ जाल, चक्रव्यूह परत दर परत खुलने लगता है। दुश्मन ने जो रणनीति बनाई होती है। उसे थल देना यानि दुश्मनो की रणनीति को पलट देना। दुश्मनो की रणनीति को असफल, बेकार, प्रभावहीन कर देना। दशको से मेरे दुश्मन बड़े अभिमान से पृथ्वी नामक युद्धभूमि पर अपनी छावनी तो डाल कर बैठे है। पर कर कुछ नही पाए !!! ब्रह्मांडीय स्तर के युद्ध मे दुश्मनो को इतनी बुरी तरह से हरा देना कि बेचारे युद्ध ही ना शुरू कर पाए ! किसी करिश्मे से कम नही !!!

 

कभी ना खत्म होने वाले आक्रमण, रणनीतियाँ….. एक जाल तंत्र…..web war warlogy.

ऐसा तभी संभव होना था अगर मैने अपनी जिंदगी को बहुत ही ज्यादा करीने से, सुव्यवस्थित ढंग से जिया हो तो। जैविक नाभिकीय युद्ध मे हर चाल, रणनीति, हथियार की काट हिन्दु मूल्य, आदर्श, दर्शन, रीतिरिवाज, मान्यताएँ, परम्पराएँ  है। इन मूल्यो, आदर्शो, दर्शन, रीतिरिवाजो, मान्यताओ, परम्पराओ का अच्छे से, कायदे से, करीने से निर्वाह करना होता है। एक धार्मिक, उच्च आदर्शो वाला, सुनियोजित, सात्विक जीवन जीना। सदाचार का निर्वाह करना। सदा सच के मार्ग पर चलना। बिना सन्यास लिए एक सन्यासी की तरह गृहस्थ आश्रम मे रहना। और जैविक नाभिकीय युद्ध की युद्धभूमि के रंगमंच पर ऐसा जीवन बिताना कोई खाला जी का घर नही है। दुश्मन लगातार, लगातार तो मतलब लगातार 24X7 काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंह, छल, हठ, ईर्ष्या, द्वेष, आलस्य, बीमारी, वातावरण, रोटी, कपड़ा रोटी, मकाम, साम, दाम, दंड, भेद, रिश्ते नाते, पढ़ाई, सामाजिक आर्थिक स्तर, पद, भावनाएँ, मान्यताएँ, धर्म, अंध विश्वास, रीति रिवाज, शहर, राज्य, देश, माँ, बाप, भाई, बहन, रिश्तेदार, सहेली, दोस्त आदि आदि के आक्रमण करते ही रहते है…… कभी ना खत्म होने वाले आक्रमण, रणनीतियाँ….. एक जाल तंत्र…..web war warlogy.

जैविक नाभिकीय युद्ध मे कोशिका युद्ध मे अभी कागज कलम शैली (Paper & pen strategy) द्वारा युद्ध लड़ा जा रहा है। यानि अपनी पढ़ाई (studious) के द्वारा इस युद्ध के राज खोलना। कोशिका युद्ध सब से कठिन, अति भयंकर, बर्बर, विकराल, निष्ठुर, नर्कीय, निकुंश, ताण्डवीय, अमानवीय, असामाजिक, अनैत्तिक, पशुवत्त, क्रूर, असहनीय, बेरहम, निर्दयी, जालिम, हिंसक, रौद्र, नृशंस होता है। क्योंकि युगो बाद प्रतिस्पर्धी को आणविक गुण सारणी हासिल करने का मौका मिलता है। तो वो इस आणविक गुण सारणी को हासिल करने के लिए सारी मान्यताएँ, नियम, कायदे कानून, मूल्य, आदर्श, दर्शन, कर्तव्य, अधिकार, सामाजिकता, नैतिकता, धर्म, सदाचार, शालीनता, शिष्टाचार, निर्लज्जता की हदे भूल कर, सभी सीमाओ का उल्लंघन कर, पशुता और मूर्खता को शर्मसार कर, सभ्यता और संस्कृति को तार तार कर, अपनी पैदाइश और परवरिश को दिन रात कलंकित कर, नीचताई की सभी हदे पार कर जाता है। यह युद्ध शैली कितनी भी खराब, कठिन, असहनीय क्यों ना हो। पर यह युद्ध शैली सौ प्रतिशत सुरक्षित होती है। अगर इंसान इस युद्ध शैली पर डटा रहे तो उसकी जीत पूरी तरह से सुनिश्चित होती है। कोई studious, करीने से चलने वाला ही इंसान इस युद्ध शैली पर डटा रह सकता है। और इस तरह के विभिन्न विभिन्न आक्रमणो, रणनीतियो मे, ICU type की बीमारी की हालत मे, सम्पूर्ण सामाजिक असहजोग के अकेले दिन रात लगातार डटे रहना कोई करिश्मे से कम तो नही है।

श्री पृथ्वी राज कपूर जी और श्रीमती रामसरणी मेहरा जी –

जैसे रामायण मे राम लीला मे हर प्रसंग रामायण से लिया जाता है। ऐसे ही हर एक Kapoor मेरी ही किसी ना किसी परिस्थिति, घटना को दर्शाने के लिए जैविक नाभिकीय युद्ध मे रचा गया, गड़ा गया है।

पृथ्वी राज कपूर जी – भ्रमित समाज को दर्शाने के लिए पृथ्वी राज कपूर जी के किरदार को गड़ा गया। पृथ्वी राज कपूर जी के जिम्मे हमारी पृथ्वी से जुड़े राज को प्रदर्शित करने और इस राज को खोलने का उत्तरदायित्व आता है…..Kapoor – K/क + poor. जैविक नाभिकीय रणनीति के तहत हमारी सारी ही पृथ्वी को एक रंगमंच (फिल्मी सेट) की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। हमारी सारी ही पृथ्वी जैविक नाभिकीय युद्ध की युद्धभूमि के रंगमंच की तरह इस्तेमाल की जा रही है। इसी बात की पुष्टि पृथ्वी राज कपूर जी करते है।

राम सरनी मेहरा जी – जैविक नाभिकीय युद्ध मे राम जी जैविक नाभिकीय युद्ध को दर्शाते है। दरअसल रामायण मे वर्णित राम रावण युद्ध पौराणिक समय का जैविक नाभिकीय युद्ध ही है। क्योंकि रावण ने तभी मरना था जब रावण की नाभि मे तीर लगना था क्योंकि वरदान के मुताबिक रावण की नाभि मे जीवन रुपी अमृत था। हम इंसानो की कोशिका (Cell) की नाभि (Nucleus) मे भी जीवन रुपी अमृत यानि गुण/genes और गुणसारनी/genome होता है। जब तक इंसान के गुण/genes सुरक्षित। तब तक इंसान भी सुरक्षित। जब ही इंसान के गुण, गुण सारनी क्षतिग्रस्त होगे। तब ही इंसान मे भयंकर शारीरिक, मानसिक और योन बदलाव होंगे, इंसान को genetically गुलाम और कैदी बनाया जा सकता है या फिर इंसान की मौत भी हो सकती है। जैविक नाभिकीय युद्ध की रणनीति के तहत हमे Nuclear war/नाभिकीय युद्ध के बारे मे तो बताया गया। जो 1945 मे जपान मे हुआ था। पर हमे जैविक नाभिकीय युद्ध के बारे मे कुछ भी नही बताया गया। हमे नही पता कि कोई जैविक नाभिकीय युद्ध भी होता है। जो गुणो/genes खास कर आणविक गुण सारनी (Atomic genome) को हासिल करने के लिए लड़ा जाता है। क्योंकि जब तक इस ढंग के युद्ध का राज एक राज है। तब तक ही यह युद्ध चलेगा और दुश्मनो को आणविक गुंसारणी मिलने के अवसर मिलते रहेगे। जब subject यानि आणविक गुण सारणी धारक को पता चल जाएगा कि उसके गुण/genes बहुत खास है और उसके ही गुणो/genes के लिए कोई ब्रह्मांडीय स्तर का अदृश्य जैविक नाभिकीय युद्ध देवता लड़ रहे है। और इस आणविक गुण सारनी मे गजब गजब की ऐसी ऐसी शक्तियाँ है। जिस के दम पर कोई भी परम शक्ति और ब्रह्मांडीय शासक बन सकता है तो क्या कोई ऐसे ही अपने गुण/genes ज्यूँ ही किसी को भी दे देगा ?

इसलिए मेरे दुश्मन जैविक नाभीय युद्ध के राज को राज ही रखना चाहते थे। वो नही चाहते थे कि पृथ्वी का राज, भ्रमित समाज का राज, आणविक गुण सारनी का राज और जैविक नाभिकीय युद्ध का कोई भी राज खुले।

राम सरनी मेहरा –

राम – जैविक नाभिकीय युद्ध का सूचक

सरनी – सर जाना (पंजाबी) यानि कोई भी मदद करे ना करे, इस अदृश्य युद्ध के बारे मे बताए या ना बताए। पर subject यानि आणविक गुण सारनी धारक (यानि मैं ) खुद ही, बिना किसी की मदद के इस राज को जान लेगा। अपना काम बना लेगा यानि सार लेगा, सर जाएगा। राम सरनी यानि जैविक नाभिकीय युद्ध (= राम) सर (= जीत) कर लेगा।

सरनी – सार नी – जैविक नाभिकीय युद्ध औसतन सौ साल का है। जिसके कारण रणनीति के तहत subject यानि मैं यानि आणविक गुण सारनी नियंत्रित करने मे मुझे काफी समय लग जाना था। धारक को इस युद्ध के बारे मे कुछ भी पता नही चलना था। इस अज्ञान, अँधेरे, अबोध वाली स्थिति के कारण मैने समय आने पर शादी कर लेनी थी। पर शादी होना और बच्चे होना इस रणनीति मे सर्वथा वर्जित है। जैविक नाभिकीय युद्ध की सारी कहानी तो मुझे सही समय आने पर ही पता चलनी थी। और इस सब को बहुत समय लग जाना था। क्योंकि जैविक नाभिकीय युद्ध की रणनीति इंसानी सोच, परिकल्पना, आयाम से बहुत हट कर है। मुझे इस से पहले ही इस युद्ध के प्रति सचेत करना बहुत जरुरी था। सो मुझे जैविक नाभिकीय युद्ध के बारे मे विस्तार से तो नही बताया गया। पर हाँ समय रहते मुझे संक्षिप्त मे इस युद्ध का  सार/central theme  के बारे मे 1980 मे बता दिया गया। जिसके कारण मैने अपनी शादी रोक दी। पंजाब मे लड़की को नी या अड़िए भी कहते है

सरनी – सार + नी – यानि नी (ए लड़की) इस युद्ध का यह सार है – सचेत करना। या यह यह स्थिति है। तूँ खुद ही इतने मे सार (काम चला अपना), नी इसे सर (जीत) कर।

मेहरा – मैं हरा – इस युद्ध मे subject को बहुत बीमार और वीराने, एकांत, वियाबान मे रखा जाता है। तांकि वो परेशान हो हथियार डाल दे। बेइंतहा बीमार होने के बाद भी, लगातार बिस्तर पर रहने के बाद भी मैं उचित समय आने पर हरी भरी सेहत वाली युवती की तरह अपने सारे जरुरी काम कर लेती हूँ। दुश्मनो द्वारा उपलब्ध करवाए गए बेइंतहा वीराने, एकांत के बावजूद मेरे जीवन के रास्ते हरियाली से भरे है। क्योंकि स्थूल रूप मे बेशक कोई भी इंसान मेरे साथ, आस पास नही है। पर मेरी देवीए शक्तियाँ सूक्ष्म रूप मे सदैव मेरे साथ, मेरे आस पास रहती है। जो मुझे तन्हाई और अकेलेपन का अहसास नही होने देती। वो लगातार टेलीपेथी द्वारा मानसिक स्तर पर मुझसे संपर्क मे रहती है। मेरी देवीए शक्तियाँ खुद बा खुद हमेशा जब भी मुझे जैसी भी मदद, सहयोग, जानकारी, ऊर्जा, उमंग, जोश की जरुरत होती है उपलब्ध करवाती है। दुनियावी दृष्टि पटल मे लोगो को मैं अकेली, तन्हा लगती हूँ। जो बहुत ही वीराने, उजाड़, जंगलराज, कूढ़मति कुसंगति मे, एकाकी, निराश्रित जीवन बिता रही है। पर वास्तव मे मेरी देवीए शक्तियाँ मुझे बिल्कुल भी तन्हा नही छोड़ती। बल्कि ये देवीए शक्तियाँ मुझे इंसानो से कही ज्यादा अच्छी संगत देती है। ये देवीए शक्तियाँ मेरा बहुत मानसिक विकास करती है। क्योंकि समय समय पर मेरी देवीए शक्तियाँ मुझे जैविक नाभिकीय युद्ध से जुड़ी नई नई जानकारिया दे कर मुझे up date रखती है।

कुल मिला कर श्रीमती राम सरनी मेहरा जी और श्री पृथ्वीराज कपूर जी ने जैविक नाभिकीय युद्ध मे अपने हिस्से आए दायित्व को बहुत अच्छे से निभाया।

पृथ्वी राज कपूर जी के कारण मुझे भ्रमित समाज और हमारी दुनिया से जुड़े राज के बारे मे पता चला और राम सरणी मेहरा जी के कारण मुझे जैविक नाभिकीय युद्ध के बारे मे पता चला और जैसे भी साधन उपलब्ध है। उनके हिसाब से कैसे अपना काम चलाए (काम सारे) और काम सर (विजय) करे पता चला।

इस दम्पति के तीन बेटे हुए – राज कपूर जी, शम्मी कपूर जी और शशि कपूर जी।

राज कपूर जी – कृष्णा कपूर जी  – राज कपूर और रणबीर राज कपूर – इन्हें showman भी कहा जाता है।

राज कपूर – राज + क + पूर – राज और भ्रमित समाज को पूरने वाला – राज उजागर करने वाला, जैविक नाभिकीय युद्ध से जुड़े किस्सो, नाटको, प्रसंगो, दृश्यो को बतलाने और समझने वाला —- showman

रणबीर राज कपूर – कोई रण वीर, बहादुर ही भ्रमित समाज और जैविक नाभिकीय युद्ध से जुड़े हुए राजो से पर्दा उठा सकता है।

Showman – राज कपूर जी को showman of Bollywood भी कहा जाता है। Kapoors ने अपनी फिल्मो के द्वारा जैविक नाभिकीय युद्ध से जुड़े बड़े से बड़े और छोटे से छोटे किस्सो को अपनी फिल्मो द्वारा उजागर किया है। मुझे कभी भी अच्छी संगत नही मिली। अपने परिवार के साथ तो मैं नाम मात्र ही थी। मेरा परिवार मुझमे अच्छे संस्कार भरने के बजाए मुझे एक से एक गलत संगत उपलब्ध करवा रहा था। इतने पर भी मेरे परिवार को चैन नही था। मुझे बेहद बीमार रखा गया। खुद तो ये लोग मुझे अच्छे से बुलाते नही थे। इन लोगो की हरकते, समाज की प्रतिक्रियाएँ देख देख और मेरी सेहत के कारण मेरा समाज से बिल्कुल ही बहिष्कार हो गया। तो समाज को समझने का, अपने व्यवहार को रूप रेखा देने के काम मे, संस्कारो के बीजारोपण मे बॉलीवुड ने कमाल की भूमिका निभाई !!!

 

“प्रेम कैदी” प्रेम कैदी शब्द जैविक नाभिकीय युद्ध की एक चाल को सौ प्रतिशत दर्शाता है

यहाँ मैं आपकी ही पहली फिल्म की बात करना चाहूँगी।  “प्रेम कैदी” प्रेम कैदी शब्द जैविक नाभिकीय युद्ध की एक चाल को सौ प्रतिशत दर्शाता है। 31 मार्च 1980 को एक जबरदस्त जैविक नाभिकीय युद्ध मे चाल चली गई। मेरे लिए एक बहुत घातक बिसात बिछाई गई। दरअसल यह मुझ पर निर्भर करता था कि मैं इसे एक सुअवसर मे बदल दूँ। या फिर इसे अपने लिए तबाही की बिसात बना लूँ। दरअसल मेरे दुश्मन इस युद्ध के पहले ही दिन हार गए थे। तब मैं पूरी तरह से अबोध थी। क्योंकि तब मेरी भी उम्र इस रंगमच और युद्धभूमि पर एक ही दिन की थी। तो मेरे कुछ बड़े होने पर मेरे दुश्मनो ने गुणिए युद्ध/genetic war शुरू कर दी और मेरे दुश्मनो ने अपने लिए गरीबी मे आटा गीला वाला काम किया। तब 31 मार्च 1980 को मैं technically चार साल की थी। गुणिए युद्ध तभी कारगार था। जब मुझ पर दुश्मनो की dirty tricks or hard card weapons का असर होता। मैं तो इन tricks or weapons को जैसे काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंह, छल, द्वेष, ईर्ष्या, हठ, आलस्य, बीमारी आदि आदि को हंसी मजाक मे लेती हूँ। दुश्मन हर स्तर, हर कदम पर युद्ध हारते गए, पीछे हटते गए और और उनके रचे छल, भ्रम, मिथ्या और जैविक नाभिकीय युद्ध के राज खुलते गए।

31.3.1980 को मुझे देवीए शक्तियो ने मनु से बात करवा कर अपने लिए खुद ही पति ढूँढ़ने को कहा। मैने मनु को ही चुन लिया। मुझे लगा कि पति का पद खाली ही पड़ा है तो मनु को ही चुन लेती हूँ। तब राहुल गाँधी इस कहानी मे घूमते फिरते ना जाने कहाँ से आ गए और मेरी अभी अभी बनी one sided love story मे खलनायक बन गए। दरअसल मुझे मनु ने ही कहा था कि तूँ एक बहुत बड़ी समस्या मे है। तूँ अपनी love story मे राहुल गाँधी को villain की post दे दे। तेरी love story मे villain की post खाली है। यही मुझे कुछ गड़बड़ लगी। और +1 मे मैं समझ गई कि एक साजिश के तहत मुझे मनु से जोड़ (प्रेम कैदी) दिया गया था। बचपन मे 31.3.1980 को अंजाने मे बने मनु और अपने इस गठबंधन को मैं अभी तक भी नही तोड़ पाई। फिर वही बात स्थिति को अनुकूल बनाना या फिर प्रतिकूल बनाना अपने ही हाथ मे था। अगर मैं अपने मूल्य, आदर्श, दर्शन और धर्म पर कायम रहती तो तब 31 march 1980 को बिछाई बिसात वरदान बन जाती नही तो फिर नर्क। भगवान जी की कृपा से मैं कभी भी अपने किसी मार्ग से नही भटकी। उस दिन मेरे दुश्मनो ने one sided गुणिए युद्ध/genetic war (– a war for genes) अपनी तरफ से शुरू कर दी थी। पर मेरी तरफ से तब से ले कर आज तक कोशिका युद्ध ही चल रहा है। और इसी one sided कोशिका युद्ध (cellular war) को मेरे दुश्मन गुणिए युद्ध मे नही बदल पाए। +1, +2 मे अक्सर मेरे दिमाग मे मनु को ले कर कुछ उदेड़बुन चलती रहती। यह मेरी सामान्य साइकोलॉजी नही थी। मैने सब के यानि सब के ही मना करने के बावजूद, exceptional case मेरे आदरणीय सरदार अनूप सिंह मुल्तानी सर जी को छोड़ कर, अपनी मर्जी से +1 मे मेडिकल सब्जेक्ट रखा था। और मुझे पता था कि यह सब्जेक्ट बहुत मेहनत मांगता है। मैं पढ़ने के लिए तत्पर भी थी। अपनी सेहत के हिसाब से और घर के वातावरण के हिसाब से मैं पढ़ाई को अपना बहुत समय दे भी रही थी। पर मैं फिर भी संतुष्ट नही थी। खराब सेहत के बावजूद मैं जितना भी पढ़ रही थी। मैं उस से भी ज्यादा पढ़ना चाहती थी। फिर मैने महसूस किया कि मनु को ले कर क्यों कोई ना कोई विचार मेरे दिमाग मे चलता रहता है !!! ये सब मेरे लिए सामान्य नही था। इंसानो के लिए किशोरावस्था मे यह सामान्य बात हो। पर मेरे लिए नही। सो +2 तक आते आते मैं समझ गई कि मेरे विरुद्ध कोई षड्यंत्र हो रहे है। मुझे जानबूझ कर मनु को ले कर फंसाया जा रहा है। क्योंकि मेरे शरीर पर मेरे अपनो और मेरे दुश्मनो का आधा आधा नियंत्रण है। सम्मोहित कर वो मुझे कुछ भी समझा, मनवा, करवा सकते है। तो मुझे mental level पर मनु की तरफ धकेला जा रहा था। शायद यह जरुरी भी था।

मनु ही मुझे जैविक नाभिकीय युद्ध के बारे मे प्रत्यक्ष, मानवी स्थूल रूप मे युद्ध के बारे मे बता रहे थे। उनका मुझसे बात करना (मानसिक स्तर पर, टेलीपेथी द्वारा) बहुत जरुरी था। पर यह सब मेरी सामान्य गतिविधियो मे शामिल नही था। तब मुझे समझते देर ना लगी कि मनु को जानबूझ कर 31.3.1980 को मेरी जिंदगी मे लाया गया और मैने जो तब मनु से शादी करने का निर्णय लिया। मैं उस मे बंध गई थी। मुझे अपनी स्थिति सच मे प्रेम कैदी जैसी ही लग रही थी।

यह बात ठीक है कि मैने 31.3.1980 को मनु से अपनी शादी तय की। मैं सोचती थी कि सही समय आने पर मैं मनु से शादी करवा लूँगी। पर अभी मेरे पढ़ने का समय है। इसीलिए मुझे अपना ध्यान पढ़ाई पर लगाना चाहिए। मनु पर नही। पर देवीए शक्तियो को पढ़ने के साथ साथ तब मनु पर ध्यान देना भी ज्यादा जरुरी लगा। क्योंकि मनु ही मुझे युद्ध के बारे मे भौतिक स्तर पर आ कर समझा रहे थे। पर 31.3.1980 को मनु को चुनते ही मनु मेरी जिंदगी का एक अभिन्न हिस्सा बन गए। क्योंकि वो मेरी देवीए शक्तियो द्वारा नियुक्त किए गए मेरे अंगरक्षक थे। पर सदैव मनु का मेरी जिंदगी मे दखल मुझे मुझे किसी कैद जैसा ही लग रहा था और मैं चाह कर भी मनु को छोड़ नही पा रही थी। इसी स्थिति को दर्शाने के लिए आपकी फिल्म प्रेम कैदी आई। यह कैद भी किसी करिश्मे से कम नही थी। क्योंकि इसी कैद ने मुझे जैविक नाभिकीय युद्ध के कई राज बताने थे और जैविक नाभिकीय युद्ध मे मौजूद विभिन्न तरह की और कई जेलो और कैद के बारे मे बताना था। और जैविक नाभिकीय युद्ध की युद्धभूमि के रंगमंच पर मेरे लिए मौजूद विभिन्न तरह के खतरो से बचाना था।

कृष्णा कपूर – मेरे दुश्मनो को मेरे गुण/gene  चाहिए थे और मुझे भी मेरे दुश्मनो के गुण/gene  चाहिए थे। क्योंकि genetic war तो होती ही genes के लिए है। और जीन को कोई भी शादी, सम्भोग नाम के प्रोग्राम के बिना हासिल नही कर सकता था।

कृष्णा – कृष्णा फैक्टर – 31.3.1980 को मनु ने मुझे बताया कि या तो तुम्हारी एक से ज्यादा शादियाँ होगी या एक भी नही। मैं अपनी एक ही शादी करवाने पर अड़ी थी। मेरे दुश्मनो ने “कृष्णा स्तर” को इस्तेमाल करना चाहा। पर मेरे दुश्मनो के परत दर परत राज खुलने लगे। और राम सरनी मेहरा फैक्टर ने बिना शादी करवाए ही मेरे दुश्मनो के गुण/genes मुझे उपलब्ध करवा दिए !!!! जैविक नाभिकीय युद्ध मे यह एक बहुततततततततत बड़े करिश्मे वाली स्थिति है। जिसे हम कह सकते है कि बिल्ली के भागो छीका फूटा।

राम सरनी – जैविक नाभिकीय युद्ध – जैविक नाभिकीय बम – Bio nuclear bomb यानि बच्चे – offspring – off + spring

Spring – बसंत – बा + संत – बिना शादी किए दुश्मनो के गुण/genes हासिल करना संत फैक्टर के जरिए।

बसंत – बा + संत = बामुलाहिजा – बा मुलाहिजा, बाअदब – बा अदब के साथ, ठीक ऐसे ही —

बसंत – बा + संत – संतो, पीरो, फकीरो वाली फितरत के साथ बिना दुनियादारी, काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंह, चंचलता आदि मे फंसे। मेरी मानसिकता बहुत साफ और सटीक रहती है। तभी जब +1 मे मनु ने स्थूल रूप मे होते हुए मानसिक स्तर पर मुझे जैविक नाभिकीय युद्ध के बारे मे बताना चाहा तो मैं बहुत असहज हो गई। और मुझे अपनी स्थिति किसी कैदी की तरह लगे लगी। क्योंकि मनु तब एक हथियार की तरह था। जिसे मेरी देवीए शक्तियो और मेरे दुश्मनो ने एक साथ इस्तेमाल करना था। और मेरे दुश्मन मनु को गलत ढंग से इस्तेमाल करना चाह रहे थे। जो कि मेरी मनोदशा के चलते संभव ना था।

कृष्ण फैक्टर – यमुना – कृष्ण जी और यमुना जी का सम्बन्ध हम सब अच्छी तरह से जानते है। और जैविक नाभिकीय युद्ध मे यमुना जी मेरी आणविक गुणसारनी को ही प्रदर्शित करते है। आणविक गुणसारनी मतलब गुण/genes है।

यमुना – आणविक गुणसारनी

कृष्ण लीलाएँ यमुना किनारे – कृष्ण लीलाएँ जैविक नाभिकीय युद्ध को ले कर बिल्कुल एक सटीक काण्ड है। मेरे दुश्मन कृष्ण लीलाओ के द्वारा काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंह, ईर्ष्या आदि का इस्तेमाल कर मुझसे मेरी आणविक गुण सारनी लेना, चुराना और डिकोड करना चाहते थे। मेरी आणविक गुण सारनी चोरी होते ही मैं मर (यम) जाऊँगी। और यमुना जी यम जी की बहन है। तभी कृष्ण लीलाएँ यमुना जी के किनारे हुई। क्योंकि मेरे दुश्मन मुझे मार कर मुझसे मेरी आणविक गुण सारनी लेना चाहते है (यमुना – यमु ना – मामला जमेगा नही)। कृष्ण जी की सारी बाल लीलाएँ मेरी ही किसी ना किसी गतिविधि को दर्शाती है। जैविक नाभिकीय युद्ध मे लड़को को ही एक हथियार की तरह इस्तेमाल किए जाना था। जिसमे कृष्ण जी की भूमिका मैने निभाई और गोपियो (=कुछ गोपनीय है=जैविक नाभिकीय युद्ध और इससे जुड़े राज) की भूमिका लड़को ने निभाई। क्योंकि हमारे समाज मे लड़को की चपलता को तो स्वीकार कर लिया जाता है पर लड़कियो की चपलता को नही। दूसरा युद्ध लड़के ही करते है। लड़कियाँ नही। इसीलिए मेरे एक किरदार को प्रदर्शित करने के लिए श्री कृष्ण जी के किरदार को गड़ा गया। मैने “संत फैक्टर” के साथ बहुत कुशलता से इन लीलाओ को निभाया। क्योंकि जैविक नाभिकीय युद्ध मे इंसान का मन, कर्म, वचन से शुद्ध रहना बहुत जरुरी होता है। ठीक जैसे ह्रितिक रोशन जी की एक cold drink की मशहूरी आती थी। जिसमे उन्हें आग के एक बड़े से गोले से निकलना था। उस आग के गोले को वो बर्फ की एक दिवार समझ पार कर जाते है। ये सब भी कृष्णा फैक्टर का ही करिश्मा है।

कृष्णा मल्होत्रा –

मल्होत्रा – मल + होर + तरह – मल/occupy और तरह से

मल्होत्रा – मल हो तेरा

शम्मी कपूर जी, गीता बाली जी और नीला देवी जी — शम्मी कपूर जी का पूरा नाम शमशेर राज कपूर था।

शम्मी – क्षमा और शमा – जिस मे क्षमा और शमा दो गुण है। वही इस जैविक नाभिकीय युद्ध मे टिका रह सकता है।

क्षमा और शमा = संयम, धैर्य, आत्मनियंत्रण, चित्त की स्थिरता, अव्यग्रता

शमशेर – परिस्थितियो (काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंह, ईर्ष्या, द्वेष छल, हठ, सामाजिक-आर्थिक स्तर…..) के हिसाब से क्षमा और शमा ही जैविक नाभिकीय युद्ध मे दो सशक्त हथियार है।

शम्मी – शेम – जैविक नाभिकीय युद्ध पूरी तरह से सेक्स पर आधारित एक युद्ध शैली है। और कोई भी भारतीय खास कर हिन्दु साइकोलॉजी वाला इंसान इस युद्ध शैली की रणनीतियो से सामंजस्य नही बिठा पाएगा। एक कट्टर हिन्दु साइकोलॉजी वाले के लिए इस युद्ध की रणनीतियो से ताल मेल बिठाना खाला जी का घर नही होता। शम्मी जी इस बात को प्रदर्शित करते है कि मैने जैविक नाभिकीय युद्ध की रणनीतियो को या तो अपने हिसाब से ढाला या फिर उन सब सुविधाओ को छोड़ दिया जो हिन्दु आदर्शो, नियमो, दर्शन, मान्यताओ के अनुरूप नही थी। वो ही बात या तो क्षमा करो या फिर शमा बनो।

गीता बाली – जैविक नाभिकीय युद्ध मे छल, भ्रम, मिथ्या का ही बोल बाला है। यह युद्ध शैली भावनाओ, रिश्ते नाते, इच्छाओ, जरूरतो, साम, दाम, दंड, भेद, भाव, रोटी, कपडा, मकान, सामाजिक-आर्थिक स्तर आदि पर आधारित है। जिस मे इंसान उलझ कर भटक सकता है। इन सब से बाहर निकलने का एक ही रास्ता है – गीता पाठ का तहे दिल से अनुसरण करो। मतलब कि शांति से अपना कर्म करते जाओ, सदाचारी का पालन करो, नीति और धर्म का साथ कभी ना छोड़ो, मोह माया का पूर्णतः त्याग करो।

बाली – रामायण मे बाली जी का जिक्र आता है। इन मे एक अद्धभुत क्षमता थी कि जो भी इनके सामने आता था। उसकी आधी शक्ति बाली जी को मिल जाती थी। तभी राम जी को भी बाली को छल से मारना पड़ा था। मेरे दुश्मनो ने मुझसे जैविक नाभिकीय युद्ध और इसकी रणनीतियो को छुपाया। बदले मे मुझमे बाली फैक्टर बहुत बलवान हो गया। जैविक नाभिकीय युद्ध वानरो, apes, orangutans chimpanzees के कारण ही मुझे scientifically समझ आने लगा। जब हम अच्छे से क्रमिक विकास (gradual development) पढ़ते है। तब हमे इंसानो मे मौजूद bio nuclear war disorders, drawbacks समझ आने लगते है।

बाली – बा ली – दुश्मनो के गुण/genes को ले लेना।

नीला देवी – नी   ला   देवी   फैक्टर  – खुद को परम शक्ति सिद्ध करना। आणविक जगत को खोजना। भगवान जी मे मौजूद प्रचंड, अपार, अद्वितीय, अदम्य, अतुलनीय, अद्धभुत, अलौकिक शक्तियो के कारण को जानना।

 

शशि कपूर जी – जेनिफर केंडल जी – शशि जी का पूरा नाम बलवीर राज कपूर था। शशि यानि चन्द्रमा। जैसे हम इंसान दूरस्थ संचार/telecommunication के लिए कृत्रिम उपग्रहो का इस्तेमाल करते है। ठीक ऐसे ही जैविक नाभिकीय युद्ध मे टेलीपेथी को प्रदर्शित करने के लिए प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा को इस्तेमाल किया जाता है। हम इंसान टेलीपेथी का इस्तेमाल नही कर सकते तो इसका मतलब हरगिज भी यह नही है कि टेलीपेथी जैसी कोई भी प्रक्रिया, विधि होती ही नही है जिसके द्वारा हम दूरस्थ संचार कर सकते है। जैविक नाभिकीय युद्ध मे टेलीपेथी को दर्शाने के लिए प्राकृतिक चन्द्रमा का इस्तेमाल किया जाता है। इसी टेलीपेथी से मेरा आणविक जगत मुझ से शुरू से ही जुड़ा हुआ है। शशि कपूर जी इसी सच्चाई को दर्शाते है।

बलवीर राज कपूर – मुझे धरती नामक ग्रहीय जेल मे कैद करने का मतलब ही यही था कि मेरे दुश्मन मुझे मेरी दुनिया से पृथ्क कर इस पृथ्वी नामक ग्रहीय जेल मे कैद करके रखना चाहते थे। तांकि मैं सारी कायनात से अलग थलग हो इस earth planet (अर्थ + play net = Bio nuclear war game) पर किसी बहिष्कृत की हुई चीज की तरह अकेले रहूँ और कोई भी मुझे जैविक नाभिकीय युद्ध, भ्रमित समाज, आणविक गुण सारनी की सच्चाई ना बताए। और इसी अज्ञानता, अँधेरे, भ्रम और मिथ्यक जगत के कारण मैं कोई गलत कदम उठा अपने गुण/genes गवा (ग्वालियर) बैठूँ। तभी कृष्ण जी को इस भ्रमित और रचित समाज मे ग्वाला और यादव वंश का गड़ा, रचा गया। पर मेरे दुश्मनो की यह चाल भी और चालो की तरह सफल नही हुई। मेरी देवीए शक्तियो ने सीधा मेरे सामने आ कर मुझसे कोई संपर्क नही किया। पर टेलीपेथी जगत मे एक क्षण के लिए भी मुझे अकेला नही छोड़ा। मेरे शरीर पर आधा नियंत्रण मेरे दुश्मनो (शारीरिक जेल, मानसिक जेल) का है और आधा नियंत्रण मेरे अपनो का है। दुश्मनो ने मुझे शारीरिक जेल, मानसिक जेल, योन जेल, शहरी जेल, राष्ट्रीय जेल, अंतर्राष्ट्रीत्य जेल, ग्रहीय जेल, तारामंडलीय जेल, ब्रह्मांडीय जेल आदि विभिन्न तरह की जेलो मे कैद कर रखा था। तांकि कोई भी मेरा मुझ तक ना पहुँच सके। पर मेरी देवीए शक्तियो ने मात्र दो साल की उम्र से ही मुझसे टेलीपेथी द्वारा संपर्क कर लिया। ऐसा कोई बलवान, वीर इंसान ही कर सकता था।

कृष्ण – ग्वाला – दूध/milk – escape from the Milky way galaxy or galactic jail.

यादव – याद, स्मरण (स + मरण) – मुझे इस galactic jail से बाहर निकलने का रास्ता पता तो है। पर मुझे याद नही आ रहा। मेरी भूलने की आदत (स + मरण) मेरे लिए बहुत भयंकर है।

Mammary glands – Memory

बलवीर राज कपूर – बलवान + वीर + राज + भ्रमित समाज के राज को पूरना – मेरे दुश्मनो द्वारा कितने ताम झाम किए गए। एक पूरी नई दुनिया बसाई गई पृथ्वी पर। कई तरह तरह की संस्कृतियाँ, सभ्यताएँ, देश, युग, काल (पाषाण काल, लोह काल, कांस्य काल आदि), भारत का इतिहास, दूसरे देशो का इतिहास, पृथ्वी का इतिहास, विभिन्न तरह की गई खोजो का इतिहास, विभिन्न तरह की जीवन शैली, खान पान, खाद्य पदार्थ, खेतीबाड़ी, जीव जंतु, जेंडर, रंगरूप, रंग ढंग, मानव जातिया, भाषाएँ, परिधान, कला, नृत्य, वाद्य, मनोरंजन के साधन, वाहन, सड़के, शिक्षा ग्रहण करने के लिए अनंत तरह के विषय, वास्तुकला, बीमारियाँ, इलाज, काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंह, ईर्ष्या, द्वेष, हठ, छल, आलस्य, सामाजिक आर्थिक स्तर, विभिन्न तरह के खेल, प्रतिस्पर्धाएँ, व्यापार, नौकरियाँ, धर्म, मान्यताएँ, अन्धविश्वास, गांव, कस्बा, शहर, प्रदेश, देश, सरकार, युद्ध, फौज, सुंदरता, कुरूपता…….आदि आदि ना खत्म होने वाली सूची। यह औसतन सौ साल की रणनीति थी। मेरे दुश्मन चाहते थे कि कम से कम सौ साल तक तो उनके द्वारा रचा गया भ्रम, छल, मिथ्या ना टूटे। पर मेरी देवीए शक्तियो ने पल क्षण गवाए बिना जब मैं कुछ थोड़ा समझने के काबिल हुई तो झट मेरी दो साल की उम्र मे मुझसे टेलीपेथी द्वारा संपर्क साध लिया। क्या यह किसी करिश्मे से कम है ? इसी सब को प्रदर्शित करने के लिए बलवीर राज कपूर उर्फ शशि कपूर जी के किरदार को रचा गया।

जेनिफर केंडल कपूर – जैविक नाभिकीय युद्ध मे इन्हें दो तरह से परिभाषित किया जा सकता है। पर मैं यहाँ अभी सिर्फ एक तरह से ही परिभाषित करुँगी।

जेनिफर – जेनि फर – जिन्नी + fairy tales –

जिन्नी – मेरी देवीए शक्तियाँ जो एक जिन्नी की तरह मेरी हर ख्वाहिश पूरी करती है।

Fairy tales – 1977 मे जब देवीए शक्तियो ने मुझसे पहली बार टेलीपेथी से बात की तो मुझे देवीए शक्तियो ने ऐसी ऐसी बाते की। जिस पर मेरा विश्वास कर पाना संभव नही हो रहा था। देवीए शक्तियो द्वारा बताई गई सारी बाते किसी fairy tales से कम नही थी। सब से पहले 1977 मे मेरी दो साल की उम्र मे मुझे देवीए शक्तियो ने कहा कि तूँ इस ब्रह्माण्ड, कायनात मे सब से ज्यादा शक्तिशाली है। तूँ इस कायनात मे इतनी शक्तिशाली है कि शक्ति के मामले मे कोई तेरे आस पास तो क्या तेरे आगे दूर दूर तक भी कोई नही ठहरता। फिर 1980 से बताना शुरू कर दिया कि यही सूरज, चाँद, तारे, पृथ्वियाँ नही है। और भी कई सूरज, चाँद, तारे, पृथ्वियाँ है। जिस पर तूँ अकेले राज करती है। तूँ ब्राह्मणो को चलाती थी। तेरे नीचे काम करने वालो को लगा कि ब्रह्मांडो को चलाने का काम वो मुझसे बेहतर कर सकते है। इसीलिए उन्हें ब्रह्मांडो का शासक होना चाहिए मुझे नही। इसी वजह से कोई युद्ध चल रहा है। तेरे नीचे काम करने वालो ने तुझे इस युद्ध की चुनौती दी है। इंसानो मे बहुत सारी घातक कमियाँ है। पृथ्वी अभी अभी अपने अस्तित्व (अप्रैल 1975) मे आई है। तूँ  कभी भी छोटा बच्चा नही थी। तुझे युद्ध की चुनौती देने वालो मे बहुत शक्तियाँ है। वो इंसानी शरीर पर पूरा पूरा नियंत्रण कर सकते है। उन्हीं लोगो ने तुझे ज्यूँ छोटा बच्चा बना इस धरती पर कैद किया हुआ है। धीरे धीरे वो तेरे शरीर मे बदलाव करते रहेंगे और फिर तुझे कहेगे कि इंसान ऐसे ऐसे धीरे धीरे बड़े होते है। पहले बच्चा होते है, फिर किशोर, फिर जवान, फिर प्रौढ़, फिर बूढ़े और अंत मे मर जाते है। इंसान बड़े होने पर शादी करते है। उनके बच्चे होते है। पर ऐसा वास्तव मे कभी कुछ नही होता। ये सब तेरे दुश्मनो की तुझे मारने और तबाह करने की योजनाए है। और कुछ भी नही। क्योंकि हम एक पृथ्वी नामक युद्धभूमि पर है और युद्धभूमि मे प्यार-मुहब्बत,शादी, बच्चे, गृहस्थी नही बसाई जाती। तेरे माँ बाप, बहन ने ही तुझे इस युद्ध की चुनौती दी है। तेरे माँ बाप, बहन तेरे अपने नही बल्कि तेरे जानी दुश्मन है। और भी बहुत कुछ बताया। जो एक पाँच साल के बच्चे के लिए किसी fairy tale से कम नही थी जैसे तूँ ब्रह्मांडो की महारानी है, युद्ध चल रहा है, इंसानो ने यह यह कमियाँ है, तेरे परिवार के ही तेरे दुश्मन है आदि आदि।

पर मेरी देवीए शक्तियो ने सब fairy tale सी लगने वाली बातो को मेरी उम्र बढ़ने के साथ साथ scientifically or logically सच सिद्ध कर दिया।

केंडल – Can ढल – चूँकि मैं इस धरती पर कैद हूँ। मुझे मेरे दुश्मनो ने अपने ही घर मे कैद करके रखा हुआ है। मैं दुश्मनो की छावनी मे दुश्मनो के साथ ही रह रही हूँ। मुझे मेरे दुश्मनो ने एक रचित और भ्रमित समाज मे कैद करके रखा हुआ है। सच्चाई सब को पता है। पर मुझे सच कोई भी नही बता रहा। पर समय के साथ पासा पलटेगा और ये दुश्मन बना मेरा समाज समय के अनुसार ढलेगा और मुझे सारा सच बताएगा।

केंडल – Candle – Light -झूठ, भ्रम, अज्ञान, सम्मोहन का अँधेरा दूर होगा और सब सच स्वीकार करेंगे।

केंडल – Candle – शमा

रणधीर कपूर जी और बबिता शिवदासानी कपूर जी –

रणधीर – रण + धीर – इस जैविक नाभिकीय युद्ध के विशेष तौर से रचित रंगमंच मे एक कहावत ज्यूँ ही नही गड़ी गई है कि जल्दी नाम शैतान का। मेरी देवीए शक्तियो ने मुझसे मेरी दो साल की उम्र मे टेलीपेथी द्वारा मुझसे सम्पर्क साध लिया था। मेरी देवीए शक्तियाँ इस सारी ही कायनात मे सबसे ज्यादा शक्तिशाली है। इस से और कोई भी शक्ति शक्तिशाली नही हो सकती। क्योंकि परमशक्ति ही इस संसार मे utmost power है। और उसकी देवीए शक्तियाँ यानि उसके अंगरक्षको के पास सब से उत्तम शक्तियाँ होगी। जो किसी और के पास नही हो सकती। इसी लिए मेरी देवीए शक्तियाँ चाहती तो वो मुझे मेरी दो साल की उम्र मे तभी के तभी सारी सच्चाई बता सकती थी। पर मेरी देवीए शक्तियो ने बड़ी ही शिष्टाचार से जैविक नाभिकीय युद्ध के नियमो का पालन किया। और मुझे सिर्फ जैविक नाभिकीय युद्ध का एक तरह से सार सा ही बताया। जो परिस्थितियो के हिसाब से प्रायप्त था। यह युद्ध औसतन सौ साल क है। धीरे धीरे ही चलेगा। कुछ ऐसे ही – इक आग का दरिया है और तैर के जाना है।

बबिता – बा बिता – बा बीता – (बाअदब – बा अदब – बा सहना), बित्तियाँ, हड्ड बित्ती  (पंजाबी) – ठीक जैसे मेरे पर क्या बीती। यह युद्ध वैसे मैं अपनी देवीए शक्तियो के कारण अपनी एक दिन की उम्र मे ही जीत चुकी थी। पर मेरे दुश्मनो ने मेरे आगे चुनौती रखी कि इस युद्ध को मैं खुद लड़ूँ और जीतूँ। ना कि अपनी देवीए शक्तियो के दम पर मैं युद्ध जीतू। इस युद्ध के एक एक स्तर, जोखिमो को मैं खुद सहूँ, मुझ पर सब बीते ना कि मेरे हिस्से के दुःख, कष्ट मेरी देवीए शक्तियाँ सहे।

धीरे धीरे इस युद्ध के हर एक स्तर को मैं खुद लड़ूँ और सब तरह के दुःखो और परेशानियो को झेलू। क्योंकि मेरे दुश्मनो के हिसाब से dirty tricks or hard card weapons के कारण मैने परेशान हो हथियार डाल देने थे।

शिवदासानी – मैने शिव जी की बहुत पूजा की है। फिर भी मैं शिव जी की इतनी आराधना नही कर पाई, जाप नही कर पाई। जितना शिव जी ने मेरा साथ दिया। वो तो है ही भोले भंडारी।

शिवदासानी – जैविक नाभिकीय युद्ध की रणनीति के तहत हमे बहुत ज्यादा अज्ञान, अँधेरे, भ्रम, मिथ्या मे रखा गया है। हमे सिर्फ तीन महादेवो के ही बारे मे बताया गया। हमे परमशक्ति के बारे मे, ब्रह्मांडीय सरकार के बारे मे कुछ भी नही बताया गया। ब्रह्मा, विष्णु और महेश जी के ऊपर एक परम शक्ति होती है। चूँकि मेरी तरफ से तो सिर्फ कोशिका युद्ध ही चल रहा है। मेरे दुश्मन मुझसे गुणिय युद्ध नही शुरू करवा पाए। कोशिका युद्ध शैली मे युद्ध forward चलने की बजाए backward चलना शुरू हो जाता है। जिसमे धीरे धीरे जैविक नाभिकीय युद्ध के राज खुलने शुरू हो जाते है। इसीलिए ब्रह्मांडीय सरकार और प्रशासन, आणविक गुण सारणी, ब्रह्म ज्ञान, आणविक जगत, गुणिय सजा और गुणिय उपहार, भ्रमित समाज, देवो की परिभाषा और जैविक नाभिकीय युद्ध आदि के बारे पता चलना शुरू हो जाता है।

 

करिश्मा कपूर जी और संजय कपूर जी – आपके नाम पर मैं पहले ही चर्चा कर चुकी हूँ। अब मैं यहाँ सिर्फ संजय जी के नाम पर ही चर्चा करुँगी। हम सब महाभारत के संजय जी को जानते है। जिन्होंने महल मे बैठ कर कुरुक्षेत्र मे चल रहे महाभारत युद्ध का सारा ही विवरण, वृत्तांत धृतराष्ट्र जी को बता दिया था। मुझे भी मेरी देवीए शक्तियाँ जैविक नाभिकीय युद्ध से जुड़ी सारी ही जानकारी पहले ही दे देती है।

Sanjay – जैविक नाभिकीय युद्ध मे Sun or son का बहुत लोचा है। सारी ही जैविक नाभिकीय युद्ध की कहानी  sun or son के ही बीच मे ही लटकती रहती है। सारा किस्सा ही sun or son का है। अगर sun वाली स्थिति है तो जीत पक्की अगर son वाली स्थिति है तो मौत से भी ज्यादा बुरा अंजाम।

तभी संजना केंडल कपूर – sun or son

जना – जननी

kandal – Candle – Light – to guide in the matter of sun or son

करीना कपूर जी और सैफ अली खान जी – सामाजिकता के परिदृश्य मे subject यानि मुझे कुछ खास नही करना होता। इस रचित और भ्रमित समाज मे हिन्दु धर्म को विशेष तौर पर जैविक नाभिकीय युद्ध की needs & objectives के हिसाब से ही रचा गया है। Subject को बस हिन्दु रीतिरिवाजो, मान्यताओ, मूल्यो, आदर्शो, दर्शन और आस्था पर ही चलना होता है। कैसे भी काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंह, ईर्ष्या, द्वेष, छल, हठ, आलस्य, बीमारी, साम, दाम, दंड, भेद, रोटी, कपडा, माकन, सामाजिक स्तर आदि के इंसान पर आक्रमण क्यों ना हो। इंसान हर हालत मे अपने धर्म, सदाचार, शील, सभ्य और सच्चरित्र पर बना रहे। तभी सैफ अली खान जी के मम्मी जी का नाम शर्मीला टेगौर जी और पिता जी का नाम मंसूर (मन सुर) अली (परम शक्ति ) खान (mine) जी है। यानि अगर कोई भी इंसान जैविक नाभिकीय युद्ध मे अपने जिंदगी को करीने से, सही ढंग से जीता है तो वो सौ प्रतिशत हर तरह के संकट से saif है और उसकी जीत यानि उसका परमशक्ति (अली) बनना तय है। पृथ्वी राज कपूर और राम सरनी मेहरा जी से युद्ध का और भ्रमित समाज का ज्ञान होता है और करीना कपूर तक आते आते यह युद्ध विजय हो जाता है।

ऋषि कपूर जी और नीतू सिंह जी – जैविक नाभिकीय युद्ध इंसानो की ज्ञात युद्ध शैलियो से नही लड़ा जा रहा। क्योंकि रणनीति कैसी होगी, युद्धभूमि कैसी होगी, हथियार कैसे होंगे, सेना कैसी होगी और दूसरे जरुरी संसाधन कैसे होंगे। यह इस बात पर निर्भर करता है कि लक्ष्य पर क्या है ? किस चीज के लिए युद्ध हो रहा है ? सामाजिकता के परिदृश्य मे लड़े जाने वाले इस जैविक नाभिकीय युद्ध मे निशाने पर अति सूक्ष्म गुण/genes है। और इस समय कोशिका युद्ध शैली के तहत कुटिल चाले/dirty tricks जैसे काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंह, ईर्ष्या, द्वेष, छल, हठ, झूठ, आलस्य, वातावरण, बिमारियाँ, रिश्तेनाते, साम, दाम, दंड, भेद, रोटी, कपडा, मकान, सामाजिक आर्थिक स्तर, पद, बेरोजगारी, दुराचारी, लिंग, भाषा, अनपढ़ता, तृष्णालु आदि का इंसान पर लगातार तो मतलब लगातार ही 24X7 आक्रमण होते ही रहते है। ऐसे मे विभिन्न तरह के हो रहे आक्रमणो को प्रभावहीन और तटस्थ कर सदैव नीति (नीतू सिंह) के मार्ग पर चलना और ऋषि मुनियो, साधु, संतो सा आचरण रखना कोई खाला जी का बाड़ा नही है। या जिसकी प्रवृति ऋषियो मुनियो जैसी है और जो सदैव नैतिकता (नीति) पर ही रहता है। उस पर काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंह, ईर्ष्या, सामाजिक आर्थिक स्तर, पद प्रतिष्ठा आदि का कोई प्रभाव नही होता। यानि वो हर तरह की कुटिल चालो और दुश्वारियो (जैविक नाभिकीय हथियार) मे भी सैफ और राम सरनी मेहरा जी की तरह है।

नीतू सिंह – सिंह – lion – (lie on – भ्रमित समाज – जंगल राज)  – जैविक नाभिकीय युद्ध की युद्ध भूमि के रंगमंच पर निरे झूठ, फरेब, जंगल राज, कुटिल चालो और दुश्वारियो से भरे वातावरण मे नीति, सदाचार, सच बोलना, धर्म पर रहना, करीने से जिंदगी जीना कोई शेर दिल इंसान ही ऐसा कर सकता है।

नीतू – नी तू – यह एक शुद्ध पंजाबी शब्द है

नीतू सिंह कपूर – नी तू सिंह क पूरना  – नी तूँ lie on भ्रमित समाज को पूर – अपनी नीति सदाचारी से भ्रमित समाज मे फैले जंगल राज को पूर ना/प्रभाव को खत्म करना। भ्रमित समाज जो छल, भ्रम, मिथ्या से भरा हुआ है।

नीतू सिंह – नी तू सिंह – नी तूँ सिंह की तरह दहाड़ – मेरे दुश्मन मेरे पूरे जलाल पर मुझसे लड़ना तो क्या ? मेरा सामना तक नही कर सकते। तभी मुझे अपने पूर्ण आणविक स्तर से इंसानी स्तर पर आना पड़ा। मुझे अपना Atomic genome छोड़ कर Manual & mechanical genome पर आना पड़ा। मेरे दुश्मन अभी भी मुझ से युद्ध तो क्या करना।अभी भी मेरा सामना तक करने के काबिल नही थे। इसीलिए इंसानी रूप मे आते ही मुझे मेरी 20 दिन की उम्र मे बीमारी नाम के एप से बीमार कर और कमजोर करने की साजिश रची गई। इतना बीमार कर मुझे जानबूझ कर लाइलाज रखा गया। लड़ाई झगड़ा, घरेलु हिंसा बिन नागा हर रोज का काम। हमारे भ्रमित और रचित समाज को जान बूझ कर मर्द प्रधान बनाया गया। पूरी तरह से सामाजिक असहयोग, सिर्फ और सिर्फ कंजरपना, रंडपना, दल्लापना, बाजारूपना, बिकाऊपना, सस्तापना, घटियापना, छिछोरापना, ओछापना, झल्लापना, फूहड़पना, मूर्खता, बेशर्मी, निर्लज्जता, नीचताई, फिजूल की हठधर्मी, लुल्ली प्रदर्शनियाँ और nude men exhibitions ही लगा रखी है मर्दो ने दशको से। नीतू सिंह जी इस बात को भी प्रदर्शित करते है कि lie on के आगे झुक ना बल्कि शेर की तरह दहाड़।  जुल्म के आगे झुकना नही है। जुल्म का दमन करना है।

रिधिमा कपूर जी और रणबीर कपूर जी – जैविक नाभिकीय युद्ध मे इंसान पर लगातार लगातार विभिन्न तरह के आक्रमण होते ही रहते है। सघन बीमारी और सर्वत्र अधर्म, अन्याय, छल, घात, और तिरस्कार मे भी धैर्य (रण धीर) रख, हर तरह की कुटिल चालो और दुश्वारियो को सह (बबिता) फिर भी सात्विक जीवन (ऋषि) जीना और हर नियम, नीति (नीतू) का पालन करते हुए किसी भी तरह का दुःख, अवसाद को खुद पर हावी ना होने देना और परेशान ना होते हुए हँसते गाते जीवन की लय (रिधिमा) पर चलते चले जाना किसी रण बाँकुरे (रणबीर)  का ही काम हो सकता है।

राजीव कपूर जी – राजीव यानि कमल का फूल – मेरे स्कूल की सुबह की प्राथना मे एक पंक्ति आती थी कि मैं जग मे रहूँ तो ऐसे रहूँ जैसे जल मे कमल का फूल रहे। मेरे दुश्मन लगातार पहले ही दिन से इस युद्ध मे हार रहे है। दशको लम्बी हार झेलना आसान नही होता। इसीलिए मेरे दुश्मन बुरी तरह से बौखला रखे है। लोग कपड़ो से बाहर होते है और मेरे दुश्मनो का दिमाग खोपड़ी से बाहर हो रखा है। दूसरा सामाजिकता के परिदृश्य मे लड़े जाने के कारण और dirty tricks or hard card weapons के कारण इस युद्ध की युद्धभूमि मे सर्वत्र पंक ही पंक है। फिर भी इतने और सिर्फ पंक ही पंक होने के बाबजूद मैं इन दुनियावी पंक मे पंकज की तरह रह रही हूँ। राजीव जी मेरे चरित्र और जीवन शैली को दर्शाते है।

राजीव – रा + जीव – राज + जीव विज्ञान – मुझे तो देवीए शक्तियाँ मेरी पाँच साल की उम्र से जैविक नाभिकीय युद्ध और भ्रमित समाज के बारे मे बता रही थी। पर मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था। मैं कुछ भी अच्छे से समझ नही पा रही थी। Bsc I मे मुझे यह तो पक्का यकीन हो गया था कि कोई युद्ध चल पहा है। पर मैं उस युद्ध को सिद्ध नही कर पा रही थी। Bsc II मे जैविक नाभिकीय युद्ध का राज जीव विज्ञान (Biology) की मदद से खुलना शुरू हो गया। इस युद्ध को मैने क्रमिक विकास के सिद्धांतो के द्वारा biologically, scientifically सिद्ध कर दिया। यानि जीव विज्ञान की मदद से मुझे यह युद्ध अच्छे से समझ आना और दिखाई देना शुरू हो गया और रसायन विज्ञान, जीव रसायन विज्ञान (Chemistry & biochemistry) की मदद से मुझे समझ आया कि यह युद्ध कैसे खत्म होगा।

Kapoors की कुछ फिल्मे –

1) कल आज कल – इस फिल्म मे Kapoors की तीन पीढ़ियाँ एक साथ है। यह फिल्म यह बताती है कि अपनी सब कठिनाईयो के बावजूद Kapoors कल भी मेरे साथ थे, आज भी मेरे साथ है और कल भी मेरे साथ ही होंगे।

2) इंकलाब – राजकपूर जी (Showman)  की 11 साल (1935) की उम्र मे पहली फिल्म इंकलाब आई थी। उन्हें पहला ब्रेक साल 1947 मे आई फिल्म ‘नील कमल’ मे बतौर लीड एक्टर मिला।

इंकलाब – इस अदृश्य जैविक नाभिकीय युद्ध को दो तरह से सिद्ध करना था। पहले scientifically दूसरा logically. Scientific portion तो scientifically ही सिद्ध होना था और भ्रमित समाज का मुद्दा logically ही सिद्ध हो सकता था। जैसे Kapoors को एक्टिंग के कीड़े ने काट रखा है। ऐसे ही मुझे पढ़ने के कीड़े ने काट रखा है। इसीलिए जैविक नाभिकीय युद्ध के scientific portion को मैने बड़े ही आराम से सिद्ध कर दिया। पर भ्रमित समाज (जैविक नाभिकीय युद्ध की युद्धभूमि का रंगमंच) के मुद्दे को logically ही सिद्ध किया जा सकता था। जिसे सिद्ध करने मे Kapoors का जबरदस्त योगदान है। ये दोनो scientific or logical portions हमारे समाज, सोच, बुद्धि, कल्पना मे एक इंकलाब ही तो लाते है। इंकलाब – Showman – अपनी फिल्मो द्वारा – क्योंकि फिल्मे मुझे direct indirect guide करती है।

नील कमल – नील कमल को कई तरह से परिभाषित कर सकते है। पर मैं यहाँ सिर्फ इसके एक पहलू पर ही बात करुँगी – भ्रमित समाज के राज का पर्दाफाश करना।

नील – नी + ला

कमल – क + मल ( ਮੱਲ – पंजाबी) – मल्ल यानि occupy करना – भ्रमित समाज के राज को occupy करना ।

3) जीवन ज्योति – 1953 मे शम्मी कपूर जी की पहली फिल्म जीवन ज्योति आई। शम्मी कपूर उर्फ शमशेर राज कपूर जी।

शमशेर यानि तलवार यानि हथियार यानि आणविक गुण सारनी। मेरी आणविक गुण सारनी मेरी जीवन ज्योति ही है। मेरी आणविक गुण सारनी सुरक्षित तो मैं सुरक्षित। इस सारी ही कायनात मे सबसे खतरनाक, शक्तिशाली, प्रचंड, अजय, प्रखर, असाधारण, उग्र, ओजस्वी, समर्थवान हथियार मेरी आणविक गुण सारनी ही है। जो इतने खतरनाक युद्ध मे भी दशको से मुझे जीवित रखे हुए है। वैसे भी किसी भी प्राणी, जीव जंतु और पेड़ पौधे यानि किसी भी जीवित इकाई के लिए जीवन ज्योति उसकी गुण सारनी/genome ही होता है।

जैविक नाभिकीय युद्ध मे क्षमा, शमा और आणविक गुण सारनी ही शमशेर, जीवन ज्योति की तरह है।

4 ) Cobbler – गीता बाली जी की बाल कलाकार के रूप मे पहली फिल्म Cobbler (1942 ) मे आई। मुख्य भूमिका मे उनकी पहली फिल्म बदनामी (1946) थी।

Cobbler – मोची = मोची + गीता – मोची जो जूते बनाता है और ठीक भी करता है। और जूते पहन हम कैसी भी डगर पर चलते जाते है। जूते – जो हमे हर तरह के रास्ते पर चलने की सुविधा देते है। गीता यानि अपना कर्म करते जाओ। यानि हालातो की फिक्र किए बिना हर तरह के रास्ते पर चलते जाना और अपना कर्म करते जाना।

हमारी गली बहुत बड़ी है। गली के मध्य मे चुमारो के खानदान के कुछ घर है। तभी मेरे मम्मी जी इस गली को चुमाड़ली कहते है। अगर जैविक नाभिकीय युद्ध के कारण हमारी सारी ही विशेष तौर से रचित धरती को एक रंगमंच की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। मैं तो इस रंगमंच की एक मात्र मुख्य अभिनेत्री हूँ। तो मेरे से जुड़ी हर चीज बहुत ही ध्यान से डिज़ाइन की जाएगी। तो मेरे घर, गली, मोहल्ले को भी विशेष रूप से ही रचा, डिज़ाइन किया गया होगा। कुछ भी ज्यूँ ही नही रचा गया। बाजार से मुख्य सड़क से हमारे मुहब्बत नगर की तरफ आने के लिए चौबत्तिया चौक पड़ता है।

चुमार – चारो तरफ से आक्रमण – मुझे मेरे दुश्मनो ने मेरी आणविक गुण सारनी को सुप्त करके मुझमे यांत्रिक आणविक गुण सारनी कार्यात्मक कर दी। यानि मुझे परम शक्ति से साधारण इंसान बना दिया गया। पर मेरे दुश्मनो को इस पर भी चैन नही पड़ा। मुझे पिछले 48 सालो से बेहद ICU type का मरीज बनाया हुआ है। दर्द, तकलीफ, परेशानी मेरी सांस की तरह मुझ मे सदैव विराजमान रहती है।  इस पर भी मेरे दुश्मनो को चैन नही मुझ पर लगातार काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंह, ईर्ष्या, द्वेष, छल, हठ, आलस्य, वातावरण – मौसम, सामाजिक आर्थिक स्तर, नौकरी, रोटी, कपडा, मकान, साम, दाम, दंड, भेद, अज्ञानता, रिश्तो, घरेलु हिंसा, लिंग भेद भाव आदि आदि के आक्रमण होते ही रहते है। जिस जिस भी ढंग से मेरे दुश्मन अपनी कैद मे रख मुझे तंग कर सकते है। तंग किए ही जा रहे है। चारो तरफ असामाजिकता, अनैतिकता, अधर्म का बोलबाला है। दरअसल जैविक नाभिकीय युद्ध मे मेरे घर को ही लाक्षागृह की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।

चौबत्तिया चौक – चौ + बत्तिया – चौरास्ता + बत्ती – मेरे दुश्मनो और मेरे अपनो ने आधा आधा मुझे मेरे शरीरिक स्तर, मानसिक स्तर और योन स्तर पर नियंत्रित किया हुआ है। जिस कारण मैं बहुत ज्यादा बीमार, कमजोर, लाचार, बेबस सी हूँ। शरीर और दिमाग की बहुत ही ज्यादा जर्जर हालत हो रखी है। ऊपर से सदैव 24 X 7 dirty tricks or hard card weapons के आक्रमण होते ही रहते है। साम, दाम, दंड, भेद, रोटी, कपडा मकान आदि आदि अंतहीन परेशानिया। इतने सब मे भी मैं कभी भी दोराहे वाली स्थिति मे नही फँसी। मेरे जिंदगी के हर चौरस्ते पर मेरी देवीए शक्तियो का मार्गदर्शन (बत्ती) रहता है।

चुमाड़ली – चुमार + ली

बदनामी – जैविक नाभिकीय युद्ध की रणनीति मेरी साइकोलॉजी के बिल्कुल उल्ट है। एक हिन्दू लड़की, किशोरी, युवती, प्रोढ़ा के लिए काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंह, ईर्ष्या, छल, हठ, द्वेष, आलस्य आदि से भरी रणनीति को झेलना आसान काम नही है। दूसरा मेरे दुश्मनो ने मेरे शरीर पर आधा नियंत्रण कर ही इसलिए रखा है कि सम्मोहन की हालत मे मेरे दुश्मन मुझसे गलती करवाएँ और होश आने पर उस गलत काम की जिम्मेदारी मुझ पर डाल मेरे दुश्मन झूठ मूठ का ही मुझे बदनाम करे। तंग करना कैसे भी। तांकि मैं इस युद्ध से हार मान लूँ। पर मेरी देवीए शक्तियो के कारण और मेरी सेना के कारण इन 48 सालो मे मेरे दुश्मन मुझसे कोई भी ऐसा काम नही करवा पाए जिससे उन लोगो को मेरी बदनामी करने का अवसर मिले। क्योंकि मैने सदैव हर तरह की परिस्थिति मे भी धर्म का साथ नही छोड़ा और परिणाम की चिंता किए बिना अपना कर्म करती ही जाती हूँ। जैविक नाभिकीय युद्ध मे एक औरत के लिए बदनामी बहुत बड़ा हथियार होता है। पर मेरे दुश्मन सब तरह के साम, दाम, दंड, भेद, रोटी, कपड़ा, मकान, बीमारी, सामाजिक आर्थिक स्तर, राजनीति, सत्ता, पैसा, विभिन्न तरह की शक्तियो आदि आदि को इस्तेमाल करके भी मेरे विरुद्ध यह बदनामी वाला हथियार इस्तेमाल नही कर पाए। सदैव सदैव सदैव मुझे गन्दी संगत ही उपलब्ध करवाई गई। तब भी मेरे दुश्मन मेरे विरुद्ध एक भी ऐसी बात नही ढूँढ पाए कि जिस से वो मुझे बदनाम कर सके !!! क्या एक बीमार बच्ची, बीमार किशोरी, बीमार युवती और जो सदा ही सिर्फ बीमार ही नही रही बल्कि जिसकी परिस्थितयाँ सदैव लावा ही उगलती रही उस प्रौढ़ महिला के लिए ये सब सहना आसान है क्या ? क्या ये सब किसी करिश्मे से कम है ?

5) शशि कपूर उर्फ बलबीर राज कपूर जी – इन्होंने अपने भाई राजकपूर जी की फिल्म आग मे एक बाल कलाकार के रूप मे काम किया। फिर फिल्म धर्मपुत्र मे इन्होंने बतौर अभिनेता काम किया।

शशि – चन्द्रमा – टेलीपेथी – यह दुनिया एक भ्रम है। दुश्मन अपने सम्मोहन के हथियार के द्वारा इस मे मुझे फंसा कर रखना चाहते है। पर मेरी देवीए शक्तियाँ लगातार टेलीपेथी द्वारा मेरे संपर्क मे रहती है। वो मुझे इस दुनिया मे रमने नही देती। मोह ममता और रिश्तो के कारण मैं सदा अपने दुश्मनो को माफ करती ही रहती हूँ। पर मेरी देवीए शक्तियाँ मुझे दुश्मनो के रचे माया जाल से बाहर निकाल सदैव मेरे मे एक आग प्रज्वलित रखती है।

शशि कपूर उर्फ  बल-बीर राज कपूर – धर्मपुत्र – जैसे कहते है कि हीरा हीरे को काटता है। ऐसे ही मैं एक पूर्ण आणविक हूँ। मुझे कोई पूर्ण आणविक प्राणी ही मार सकता था। वो कहते है ना कि मुझे मारने वाला अभी पैदा नही हुआ। इस सारी ही कायनात मे आणविक गुण सारनी की एक ही कॉपी है। जो मेरे पास है। मुझसे यह आणविक गुण सारनी की कॉपी मेरे बच्चो मे जा सकती थी। पर मेरी देवीए शक्तियो के टेलीपेथी द्वारा सदैव मेरे संपर्क मे रहने से मेरे दुश्मन ऐसा करने मे असफल रहे।

 

6) रणधीर कपूर जी – रणधीर जी ने बाल कलाकार के रूप मे फिल्म श्री 420 और दो उस्ताद मे काम किया।

रणधीर – रण + धीर – जैविक नाभिकीय युद्ध मे मुख्य प्लाट भ्रम (420) ही है। इसीलिए इस युद्ध शैली मे धर्य, सयंम, अव्यग्रता, सब्र, तस्सली, शांति बनाए रखना बहुत जरुरी है।

कहते है चोर चोर मौसेरे भाई। वही हाल इस धरती पर मेरे दुश्मनो का है। मेरे दुश्मनो ने मुझे अपने घर, छावनी, दुनिया मे कैद कर रखा है। हर कोई छल, भ्रम, मिथ्या मे लिप्त है। क्योंकि सब को ही मेरी आणविक गुण सारनी चाहिए। सब यहाँ चोर, लुटेरे बनी बैठे है। कौन किसे बुरा कहे ! सारे समाज का ही बेडा गर्क हो रखा है। तभी कोई एक दूसरे पर अँगुली नही उठाता। सब यहाँ श्री 420 बनी बैठे है। कानून, नियम, आदर्श, मूल्य, दर्शन, शिष्टाचार, सभ्यता, संस्कृति किसी कोने मे दुबके बैठ सिसक रहे है।

बबिता शिवदासानी कपूर जी – इनकी पहली फिल्म दस लाख थी। दस लाख के पीछे एक कहानी है।

7)  ऋषि कपूर जी – इनकी बाल कलाकार के रूप मे पहली फिल्म मेरा नाम जोकर थी। मेरे दुश्मनो ने बहुत ही भव्यता से, आत्मश्लाघा, गर्व, घमंड, दंभ, मद्य मे आ जैविक नाभिकीय युद्ध शुरू तो कर लिया पर इस युद्ध मे पहले ही दिन से हर स्तर, हर चाल मे हार रहे है। पर वास्तव मे मेरे दुश्मनो की स्थिति अब इस युद्ध मे एक जोकर की ही बन कर रह गई है। क्योंकि जैविक नाभिकीय युद्ध शैली शुद्ध सेक्स पर आधारित है। और मेरी प्रकृति, स्वभाव, मनोदशा, आकांक्षाएँ ऋषि मुनियो, साधु संतो जैसी है। जिस कारण अपनी हर चाल मे मेरे दुश्मन मुँह के बल ही गिर रहे है। दशको से इतनी अपनी दूर् दूर् दूर् करवा इस युद्ध मे इन लोगो ने अपनी स्थिति किसी जोकर जैसी ही कर रखी है। लिखने वाले ने तो Comedy of Errors लिखी थी। मेरे दुश्मनो ने उसे Joy of foolishness कर दिया है। जो रणनीति इस युद्ध के पहले दिन ही चारो खाने चित्त हो बुरी तरह से असफल हो गई थी। उसी रणनीति को मेरे दुश्मन दिन रात लगातार 24 X 7 बार बार बार बार  पिछले 48 सालो से घिसाई जा रहे है। जो युद्ध, रणनीति कम बल्कि किसी funny situation जैसी ज्यादा लग रही। ठीक जैसे खिसियाई बिल्ली खम्बा नोचे, साँप निकल गया अब लकीर पीटने से क्या फायदा, अब पश्ताए क्या होत जब चिड़िया चुग गई खेत – दुश्मन 3 april 1975 को ही हार गए थे। पर फिर भी बौखलाए मेरे दुश्मन अपनी हार मानने को तैयार नही है। हठ, झुन्झुलाहट मे आ बिना किसी खास वजह और लाभ के इस जैविक नाभिकीय युद्ध के आगे के स्तर खोली जा रहे है। जो पहले ही दिन हार गए और उसके बाद लगातार सिर्फ हारी ही जा रहे है। मेरे दुश्मनो को हारते हारते लगभग पाँच दशक होने को है। बच्चो की तरह अभी भी अपनी हार मानने को तैयार ही नही हो रहे। पहले ही दिन जो रणनीति पिट, तार तार हो गई, बेजान सी हो गई थी। उसे से ही बेचारी को दशको को घिसाई जा रहे है, बेवजह खीची जा रहे है। इस रणनीति का हाल कच्ची लस्सी से भी ज्यादा बुरा हो रखा है।

जोकर – मसखरा, ठिठोलिया – जैविक नाभिकीय युद्ध शैली पूरी तरह से सेक्स पर आधारित होने के कारण भावनाओ का एक बहुत ही पेचीदा भूल भुलाया जाल है। कोई भी इंसान इस जाल से बाहर नही निकल सकता। मैने इस जाल मे फंसना तो क्या ? मुझे तो कभी भी किसी भी तरह की भावना समझ ही नही आती। दरअसल सेक्स पूरी तरह से human characteristic है और मैं सिर्फ इंसानो जैसी दिखती ही हूँ और मेरी psychology, emotional pattern ऋषि मुनियो और देवताओ खास कर के मेरे आराध्य शिव जी जैसा है। और दुश्मनो की सारी काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंह से भरी भयंकर, प्रचंड, लावा उगलती रणनीतियाँ मुझे किसी ठिठोली जैसी, मजाक जैसी ही लगती है।

बॉबी – यह ऋषि जी की नायक के तौर पर पहली फिल्म थी। जिसमे डिंपल कपाड़िया जी इनकी नायिका थी।

डिंपल कपाड़िया – कपाड़िया – कपड़ा – हिन्दु शरीर को एक चौला, आत्मा का वस्त्र मानते है। यानि आत्मा अजर, अमर है। जो समय समय पर अपना चौला (शरीर) बदलती रहती है। जैविक नाभिकीय युद्ध मे एक और बहुत सशक्त हथियार है – छदम रूप यानि disguise. और मेरे दुश्मनो की इस युद्ध मे सब से बड़ी उम्मीद मेरी बड़ी बहन डिंपल है। बहुत लम्बी चौड़ी कहानी है। संक्षेप मे डिंपल कपाड़िया जी मेरी बड़ी बहन डिंपल को प्रदर्शित करते है। मेरी बहन डिंपल की मदद ले मेरे दुश्मन छदम रूप द्वारा मेरे बच्चे (बॉबी – बो बीज) पैदा करवाना चाहते थे। मेरे दुश्मनो की किस्मत फूटी कि मेरी प्रवृति ऋषियो मुनियो वाली निकली।

नीतू सिंह – सूरज, दस लाख, दो कलियाँ मे इन्होंने बाल कलाकार के रूप काम किया।

सूरज को ले कर कई बाते है। पर यहाँ सिर्फ एक की ही बात करुँगी।

सूरज – सू + रज्ज – सुमिता तृप्त –

पंजाबी मे रज्ज का मतलब तृप्त। तृप्त रहना वो भी उस युद्ध शैली मे जिस मे काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंह, ईर्ष्या, छल, द्वेष, हठ, आलस्य, सामाजिक आर्थिक स्तर, रोटी, कपड़ा, मकान, साम, दाम, दंड, भेद आदि …… आदि मुख्य हथियार है। सिर्फ इतना ही नही इन हथियारो का लगातार दिन रात इस्तेमाल भी हो रहा है। ऐसी हालातो मे भी तृप्त रहना, नीति पर रहना किसी करिश्मे से कम नही।

दो कलियाँ – छदम रूप, disguise

रिक्शवाला – नीतू जी की नायिका के तौर पर पहली फिल्म रिक्शावावाला थी। यह फिल्म 1980 मे एक real रिक्शावाला से जुड़ी हुई है।

 

8) करीना – रिफ्यूजी – मेरे साथ देवीए शक्तियाँ 1977 से ही है। April 1980 से राहुल गाँधी जी और मनु जी ने मुझसे टेलीपेथी द्वारा बात चीत करनी शुरू कर दी। अगस्त 1982 मे राहुल जी ने मुझे कहा कि तूँ इस दुनिया की नही है। तूँ दूसरी दुनिया से इस दुनिया मे आई है। भारत मे मेरा परिवार सबसे ज्यादा शक्तिशाली और प्रभावशाली है। इसलिए देशवासियो की तरफ से मेरा परिवार तुम्हारा भारत मे स्वागत करते है। भारत मे तूँ हमारी मेहमान है। तिब्बत के दलाई लामा जी भी चीन के कारण ‘धर्मशाला’ मे रह रहे है। इन्हीं सब बातो को दर्शाने के लिए रिफ्यूज फिल्म बनाई गई।

Kapoors पर बहुत कुछ लिखा जा सकता है। एक तो मुझे सब kapoors के बारे मे पता नही है दूसरा Kapoors को ले कर मेरे पास सही और पूरा data नही है। सब Kapoors की सारी जानकारी नही है। तीसरा Kapoors पर सब लिखने भी बैठो तो matter इतना ज्यादा है कि हर Kapoor पर एक किताब आराम से लिखी ही जा सकती है। कई खंडो का एक बहुत ही बड़ा महाग्रंथ बन सकता है।

मैने यहाँ फिल्मो को उनके नाम से ही परिभाषित किया है। पर इन फिल्मो को इनकी कहानी, गीत, पोषक, makeup आदि को आधार बना कर भी परिभाषित किया जा सकता है। फिर वही बात कि Kapoors पर बहुत बहुत लिखा जा सकता है। अभी मैं आपसे यहाँ इतना ही शेयर करना चाहूँगी। मुझे नही पता कि जब भी मैं किसी से जैविक नाभिकीय युद्ध का जिक्र करती हूँ तो वो इंसान अटपटी प्रतिक्रिया क्यों देने लगता है ?!!! आप मुझसे आराम से fb पर बात कर रहे थे। आपका खुद को introduce करवाना तो मुझे बहुत प्यारारारारा लगा। पर जब मैने आपसे जैविक नाभिकीय युद्ध और इस युद्ध मे Kapoors खास कर आपके योगदान की बात करनी चाही तो आपने मुझे block कर दिया। रणबीर जी से बात करनी चाही तो उन्होंने भी बात की दिशा ही बदल दी। आपके पिता जी भी मुझसे बहुत अच्छी तरह से बात कर रहे थे। पर जब मैने Kapoors और जैविक नाभिकीय युद्ध पर चर्चा करनी चाही तो आपके पिता जी ने भी मुझे block कर दिया !!! मैं इतनी अहसान फरामोश तो नही हो सकती। तो कम से कम एक बार मैने Kapoors तक अपनी बात पहुँचाने के लिए इस खत का सहारा लिया है। Sure करने के लिए कि मेरा खत आप तक पहुँच गया है। मैं इसे अपने ढंग से आप तक पहुँचा रही हूँ। मैं उम्मीद करती हूँ कि आप बुरा नही मानोगे। दरअसल करण जोहर ने तो मेरा दिल बहुत ही जबरदस्त ढंग से तोड़ दिया। वो भी fb पर मुझसे आराम से बात कर रहे थे। जब मैने उन से भी जैविक नाभिकीय युद्ध पर बात करनी चाही तो एक नोट के साथ उन्हेंने भी मुझे block कर दिया कि मैं तुम जैसी standard की लड़कियो के साथ बात नही करता। तुम मेरे standard की नही हो !!!!! फिर मेरी friend request क्यों स्वीकार की ?!!! प्रिय करण को अब कौन बताए कि जब हम जैसे पूरी एक दिहाड़ी खराब कर, सैंकड़ो रूपए खर्च करके इनकी फिल्म देखने जाते है। तब कही जा कर करण जोहर के घर चुल्ला फूँकता है। खैर वो उनकी psychology. वैसे आराम से भी तो मुझे ब्लॉक कर सकते थे।

करिश्मा जी सब जैविक नाभिकीय युद्ध पर चर्चा करने से इतना भागते क्यों है ? यहाँ तक कि भारतीय सरकार भी इस मुद्दे पर कुछ नही बोल रही !!!! इस मुद्दे पर भारतीय सरकार की प्रतिक्रिया भी बहुत चकित कर देने वाली है। 2010 मे मैने श्री आसिफ अली ज़रदारी साहिब जी से जैविक नाभिकीय युद्ध को ले कर fb पर बात की। वो तब पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे। आसिफ सर ने मुझे बताया कि UN मे मेरे मुद्दे Bio nuclear war पर meetings हो रही है। UN तक Bio nuclear war का मुद्दा गया कैसे ?

फिर 2014 से मैने लगातार मोदी सर को ना जाने कितने खत, fb पर पोस्ट, फोन, किए। Tweets की तो कोई गिनती ही नही। दो साल लगातार लगातार ढेरो tweets किए। जिस मे मैने अति भयंकर nuclear war की बात की। किसी भी खत, पोस्ट, फोन, ट्वीट का कभी भी कोई जवाब नही आया। यहाँ तक कि ना भारत की जनता, ना भारत की मीडिया ना ही विदेश से भी कोई प्रतिक्रिया मिली कि मैं क्यों बार बार Bio nuclear war पर अपने देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जी को इतने tweets कर रही हूँ !!!!! कोई भी पढ़ा लिखा जागरूक व्यक्ति “Bio nuclear war” शब्द सुन कर ही इसकी भयंकरता का अनुमान लगा सकता है। पर अफसोस देश विदेश मे किसी के भी कान मे जूं तक नही रेंगी !!!!!

जब मुझे PMO से किसी भी तरह की कोई प्रतिक्रिया नही मिली तो मैने PM sir के secretaries को कई फोन किए। क्योंकि फिर मैने सोचा चलो भारत सरकार के साथ जैविक नाभिकीय युद्ध को ले कर एक संधि करते है। संधि की term & conditions ऐसी ही थी जैसे भारत सरकार के हाथ मे अलाद्दीन का चिराग रख दिया गया हो। पलट कर मैने भारत सरकार से कुछ खास नही माँगा था। कोड़ियो के दाम पर मुझसे अलाद्दीन टाइप की संधि करने का प्रस्ताव मैने भारत सरकार के आगे रखा था !!!!!

संधि प्रस्ताव पत्र दिल्ली ले कर जाने से पहले मैने सोचा चलो पहले किसी secretary से बात कर लूँ या PM sir से मिलने की appointment ले लूँ। पर किसी भी secretary ने मुझसे अच्छे से बात नही की। जिस भी secretary को मैने बताया कि मैं भारत सरकार के साथ जैविक नाभिकीय युद्ध को ले कर एक संधि करना चाहती हूँ तो कोई भी उच्चाधिकारी यह निर्णय नही कर पाया कि संधि जैसे मुद्दे पर कौन काम करता है ? जब मैने एक secretary को फोन करना और बताना कि मैं भारत सरकार के साथ जैविक नाभिकीय युद्ध पर संधि करना चाहती हूँ तो उस उच्च अधिकारी ने कहना कि संधि का मामला मेरे under नही आता। एक और फोन नंबर देते हुए मुझे कहना कि आप इस अधिकारी से बात करे। संधि का मामला यह देखते है। जब दिए फोन नंबर पर बात करनी तो मुझे उस उच्च अधिकारी ने कहना कि संधि का मामला मैं नही देखता। तब मुझे एक और फोन नंबर दे कर कहना कि युद्ध, संधि का मामला यह अधिकारी देखते है। मुझे ऐसे ही उच्च अधिकारियो के फोन नंबर मिलते रहे। और सब मिले फोन नंबर पर मैने फोन भी किया। सब का एक सा ही जवाब और एक सी ही प्रतिक्रिया !!! फिर परेशान हो कर मैने “The National security advisor” श्री अजीत डोभाल जी को फोन किया और अपनी सारी बात बताई। अजीत सर ने बहुत अच्छे से मेरी बात सुनी और मैने कहा कि सर बहुत ही इमरजेंसी का वातावरण है। कृप्या आप मेरी मदद कीजिए। तब THE NATIONAL SECURITY ADVISOR अजीत सर जी ने मुझे कहा कि युद्ध जैसे मुद्दे वो नही देखते !!! युद्ध जैसे मुद्दो से उनका कुछ लेना देना नही !!!!! एक दिन मैने अजीत सर को फोन किया। फोन उनके PA ने उठाया। मैने PA भाई साहिब जी को सारी बात बताई और कहा कि आप ये सारी बाते नोट कर लो। तांकि जब अजीत सर आए तो आप उन्हें ये सारा matter बता देना। इस पर PA भाई साहिब जी बोले कि जब भी PMO कोई खास फोन आता है तो वो automatically ही सारे ही PMO मे circulate हो जाता है। मुझसे बात करते करते आपकी सारी ही बाते सारे PMO मे circulate हो गई है। सब तक आपकी बाते पहुँच गई है।

किसी भी उच्च अधिकारी ने यह नही सोचा कि एक अकेली महिला भारत सरकार के साथ संधि करने की बात कर रही है !!!  कुछ तो खास बात होगी। चलो एक बार इस से बात कर के ही देख ले। जब कि मैने हर उच्च अधिकारी को संधि की terms & conditions बताई थी। और ये term & conditions सिर्फ और सिर्फ भारत के ही हक मे नही थी बल्कि पूरी मानव जाति के हक मे भी थी। उस संधि से इस दुनिया का काया कल्प हो जाना था। वैसे तो हर नागरिक का कर्तव्य है कि वो अपने देश की भलाई सोचे। पर PMO staff तो है ही सिर्फ देश से जुड़े अति संवेदनशील, अति महत्वपूर्ण और भारत के विकास के मुद्दे देखने के लिए। कोई उच्च अधिकारी तो उत्सुक होता यह जानने के लिए कि सुमिता की बातो से भारत का क्या फायदा होता है। चलो एक बार सुमिता से मिल कर सारी बात जाने ! पर नही सब एक दूसरे पर अपनी जिम्मेदारी circulate किए जा रहे थे।

फिर भी मैं 20.8.20 को संधि प्रस्ताव पत्र ले कर PMO गई। PMO मेरे हिसाब से भारत की एक बहुत ही विशिष्ट, अग्रगण्य, प्रभावशाली संस्था है। जो भारत की जान है। जो भारत का दिल है। जो भारत का दिमाग है। जो भारत की धड़कन है। जो भारत की पहचान है। जो भारत का गौरव है। PMO सब ने मेरे साथ ऐसा बर्ताव किया कि मुझे दुःखी हो कर कहना पड़ा कि आप मेरी इज्जत की तो छोड़ो। इस PMO की इज्जत का तो ख्याल करो। यह भारत का एक  अति अति महवपूण ऑफिस है। यह ऑफिस राष्ट्रीय स्तर का ऑफिस नही है बल्कि यह भारत का अंतर्राष्ट्रीय ऑफिस है जिसमे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के बड़े बड़े मामले handle किए जाते है। और आप लोग मेरे साथ कैसा व्यवहार कर रहे हो ? वैसे मेरे PMO जाने से PMO का स्तर अंतर्राष्ट्रीय नही बल्कि ब्रह्मांडीय स्तर का हो गया था। क्योंकि जैविक नाभिकीय युद्ध ब्रह्मांडीय युद्ध है। जिसे ब्रह्मांडीय सरकार लड़ रही है।

कमाल की बात 2010 मे मुझे पाकिस्तानी सरकार जानती थी कि सुमिता नाम की कोई भारतीय नागरिक है। जिस का Bio nuclear war नाम का कोई मुद्दा है। जिस पर UN मे meetings हो रही है। इतने PMO को खत, फोन, पोस्ट और ट्वीट करने के बाद कोई भी मुझे PMO मे नही जानता था !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! मुझसे गुम हुई गाय की तरह PMO staff पूछे कि कौन सुमिता ? यह Bio nuclear war का मुद्दा क्या है ?!!!! भारत सरकार की चुस्ती फुर्ती, तीव्रता, तीक्ष्णता देख कर तो मैं हैरान ही हो गई !!! क्या update रखती है भारत सरकार खुद को !!! क्या भारत सरकार ध्यान रखती है अपने नागरिको का ! विदेशो मे धूम मच गई Bio nuclear war के मुद्दे पर। हालात ये हो गए कि UN को भी emergency मे मुझ पर और मेरे Bio nuclear war के मुद्दे पर meetings करनी पड़ी और भारत सरकार मुझसे पूछ रही है कि कौन सुमिता ? यह जैविक नाभिकीय युद्ध का मुद्दा क्या है !!! सालो ना जाने कितने खत, फोन, पोस्ट, ट्वीट करने के बाद मैं तब जा कर PMO गई और वहां मेरा इतने शानदार ढ़ंग से स्वागत हुआ !!!

करिश्मा जी कुछ तो गड़बड़ है। वर्ना भारत सरकार और भारतीय नागरिक मेरे साथ ऐसा व्यवहार ना करते। PMO जाने से पहले मैने नरेंद्र मोदी जी के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ कृष्णा स्वामी विजय राघवन जी से भी बात की। विज्ञान के क्षेत्र मे इतनी जबरदस्त जबरदस्त मेरे द्वारा अकेले की गई खोजो के बारे मे जानने के बजाए, मुझसे बात करने के बजाए डॉ विजय राघवन और उनकी PA सरस्वती जी ने मुझे फोन और wtsapp दोनो पर ही पर ब्लॉक कर दिया !!!!! फिर PMO से आने के बाद भी मैने PMO कई फोन किए यह जान ने के लिए कि भारत सरकार और मोदी सर जी ने मेरे संधि प्रस्ताव पत्र पर क्या निर्णय लिया ? हर बार बहुत अजीब अजीब सी प्रतिक्रियाएँ मिली मुझे !!! आप सब ने भी मुझे बिना वजह ब्लॉक कर दिया। मैं तो Kapoors के फायदे की ही बात कर रही थी। और करण जोहर जी ने तो हद ही कर दी। तभी अपने साथ घटित होने वाली अनंत, अनंत, अनंत, अनंत, अनंत कथाओ मे से एक fractional सा पार्ट मुझे आप से साँझा करना पड़ा। मैं भी इंसान हूँ। मेरे देशवासियो की बिना वजह से मेरे साथ की जाने वाले दुर्व्यवहार के कारण मैं भी बुरी तरह आहत होती हूँ।

इत्तेफाक से शुरू से ले कर आज तक बॉलीवुड सिर्फ और सिर्फ मुझ पर ही फिल्मे बना रहा है। क्या आप बता सकते हो कि यह सब ऐसा कैसे हो रहा है ?

मुझे बहुत सालो से देवीए शक्तियाँ कह रही थी कि मैं खत लिख कर सारी बातो और परिस्थितियो से आपको अवगत करवाऊँ। पर मेरी बीमारी, मेरे हालातो के कारण आपको खत लिखने का संयोग बन ही नही रहा था। फिर जब अब मैने पक्का किया कि मेरी सेहत, मेरे हालात कैसे भी हो। मुझे अब आपको खत लिखना ही है। तो नेट पर मैं आपका postal address, wtsapp number ढूँढ़ने लगी। पर मुझे ना ही आपके घर का पता मिला और ना ही आपका कोई फोन नंबर। पर मेरे पास आपकी चाची जी के घर का पता था। अभी मैं सोच ही रही थी कि अगर आपके घर का पता या आपका कोई फोन नंबर मुझे नही मिलता तो मैं श्रीमती नीतू सिंह जी के पते पर आपको खत लिख दूँगी। अभी मैं ऐसा सोच ही रही थी कि तभी टीवी पर आपकी आपके चाची जी के साथ advertisement आनी शुरू हो गई!!!!!  मुझे देवीए शक्तियाँ यह बता रही थी कि अगर मुझे करिश्मा जी का कोई पता या फोन नंबर नही मिलता तो मैं आपकी चाची जी के पते पर भी आपको खत लिख सकती हूँ। Really करिश्मा जी मेरे साथ बचपन से ही ऐसे coincident बहुत हो रहे है।

मैं सच मे ब्रह्मास्त्र जैसी किसी फिल्म का तहे दिल से इंतजार कर रही थी। देखो मेरा सौभाग्य फिर एक बार Kapoors ही मेरी इस इच्छा को पूरा करने के लिए आगे आए !!!! मेरी जिंदगी मे आए दिन करिश्मे होते ही रहते है। देखो मेरी किस्मत ! लड़को ने मेरे विरुद्ध एक बहुत बड़े स्तर पर, एक बहुत बड़ा भ्रम जाल बिछा कर, एक शताब्दी लम्बे युद्ध का मोर्चा मेरे विरुद्ध खोल दिया। शुद्ध सेक्स पर आधारित यह युद्ध है। मेरी चार साल की उम्र से ही लड़को का जबरदस्त ढंग से इस्तेमाल किया जा रहा है। लड़के बस दूर दूर से उछल ही रहे है। कोई भी मेरे पास आने की हिम्मत ना कर सका।

इस दुनिया की तमाम सरकारो ने मेरे देश, मेरे देश वासियो, मेरे परिवार, मेरे आस पास के तमाम लोगो को खरीद लिया। मुझे जानबूझ कर बीमार रखा गया। मेरा इलाज नही होने दिया गया। क्योंकि इन सरकारो ने satellite द्वारा मुझ पर निगाह रखी हुई है और मेरे फोन, कंप्यूटर को हैक किया है और मेरे आस पास के तमाम लोगो को खरीद जो लिया है। तो इन सरकारो और लड़को तक बात पहुँच गई कि सुमिता कहती है कि जैविक नाभिकीय युद्ध की रणनीति के तहत वह शादी नही करेगी और बच्चे भी नही करेगी।

तभी के तभी इन सरकारो ने तय कर लिया कि ये मेरी शादी भी करवाएँगे और मेरे बच्चे भी पैदा करवाएँगे। ऊपर वाला बहुत करनी वाला है ! एक कहावत है ना जोरू का भाई एक तरफ खुदा की खुदाई एक तरफ। इस दुनिया की सारी सरकारे अपने तमान संसाधनो के साथ एड़ी चोटी का जोर लगा कर भी मेरी शादी नही करवा पाई। यही असली करिश्मा है इस धरती नामक युद्धभूमि पर। मेरे दुश्मनो की तमाम चाले उनको ही उल्ट वार पड़ गई। अभी और भी है बहुत कुछ पर मैं अपना यह खत यही सम्पूर्ण करती हूँ एक गाने के साथ। जैसे मैने आपको बताया था कि इस जैविक नाभिकीय युद्ध के खेल मे पहले अभिषेक बच्चन जी थे। आपने 1991 को बच्चन जूनियर जी को replace कर दिया। टीना मुनीम जी और जीनत आमान जी भी इस युद्ध से जुड़े हुए है। बचपन मे जब यह गाना सुनती थी तो मुझे कहा जाता था कि यह गाना तेरे लिए है। आज मैं इस बात पर विश्वास करती हूँ। और चंदबरदाई जी की एक रचना के साथ आपको और आपके घर मे सब बड़ो को मेरा प्रणाम। छोटो को मेरा प्यार और आशीर्वाद दीजिएगा। आप खुश रहे आबाद रहे।

चंदबरदाई जी  – “चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान”

https://www.youtube.com/watch?v=ZkfD7s9b3OU

यह पूकार फिल्म का गाना बच के रहना रे बाबा बच के रहना रे……. है

आप लोगो का लेखन से बहुत वास्ता पड़ता है। क्योंकि अच्छी कहानी, अच्छे गीत, अच्छे संवाद के बिना कोई भी फिल्म बेमानी हो जाती है। मैं जानती हूँ कि मेरा लेखन कार्य इतने अच्छे दर्जे का नही है। मैने जिस तरह Kapoors की फिल्मो को परिभाषित किया है। उसे और भी अच्छे ढंग से परिभाषित किया जा सकता है। पर कहते है कि अक्लमंद को इशारा ही काफी होता है। आप मेरी लेखन शैली पर नही कृप्या मेरी मंशा पर ध्यान दीजिएगा।

आपकी एक मित्र,

सुमिता धीमान।

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