एम.पी. लैंड फंड तुरंत बहाल करने की परनीत कौर ने केंद्र सरकार समक्ष उठाई जोरदार मांग
– केंद्रीय वित्त मंत्री को आशा वर्करों की तनख्वाहें भी बढ़ाने के लिए कहा
– लोकसभा में कहा, प्रस्तावित कृषि सैस संघी वित्तीय ढांचे पर प्रभाव डाले
– समेत राज्यों के मालीया हिस्से को भी बड़े स्तर पर घटाऐगा
पटियाला, 23 मार्च: पटियाला से सांसद परनीत कौर ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को संसद सदस्यों का एम. पी. लैंड फंड तुरंत बहाल करने की मांग की है। परनीत कौर ने मंगलवार को लोक सभा में वित्तीय बिल पर चर्चा मौके संबोधन करते हुए जोर देकर कहा कि यह हमारा, संसद सदस्यों का हक है कि हम अपने हलकों की ज़रूरतों को दबाने से कर सकें। उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री को फिर अपील भी की कि कोविड महामारी दौरान साडियां फ्रंटलाईन वर्करों के तौर पर काम कर रही आशा वर्करों की तनख्वाहें भी बढ़ाई जाएं। केंद्रीय वित्त मंत्री की तरफ से साल 2021-22 केंद्रीय बजट में कृषि बुनियादी ढांचा और विकास सैस जोड़े जाने के मुद्दे पर परनीत कौर ने कहा
कि यह सैस जहाँ हमारे संघी वित्तीय ढांचे पर बुरा प्रभाव डालेगा। वहां ही राज्य के मालीया हिस्से को भी चोट मारेगा और साथ ही इस करके उनकी विकास सम्बन्धित जरूरी जरूरतें पुरी करनीं कठिन हो जाएंगी। उन्होंने वित्तीय विल 2021 का जिक्र करते हुए कहा कि, इसमें से भी बहुगिणती व्यवस्थाएं मनी बिल की परिभाषा मुताबिक पुरी नहीं की जा सकती, क्योंकि यह व्यवस्थाएं, टैक्सों, सरकार से पैसा उधार लेने के इलावा ना ही खर्चा और न ही प्राप्तियों के साथ जुड़ी हुई है, जो कि भारत के संगठित फंड में शामिल है।
सांसद ने अफसोस के साथ कहा कि वित्तीय बिल के द्वारा ऐसीं प्रस्तावों को आगे धकेलना केवल संसदीय जांच से बचने की कोशिश ही कही जा सकती है, क्योंकि मनी बिल के मामले में राज्यसभा को इसको रद्द करने या सुधारने का अधिकार ही नहीं है। यह बिल्कुल उसी तरह ही है जैसे सरकार महत्वपूर्ण बिलों को संसद के घेरे से बाहर निकालकर और संसदीय पड़ताल से बचने के लिए आरडीनैंसों का राह अख़त्यार करती आ रही है। कोविड महामारी के देश की आर्थिकता पर पड़े प्रभावों बारे बोलते हुए परनीत कौर ने कहा कि हमारा कृषि सैक्टर अकेला ऐसा सैक्टर था, जो कि हमारी आर्थिकता के लिए उम्मीद की किरण साबित हुआ था, इस क्षेत्र को छोड़ कर
हर दूसरा क्षेत्र इस महामारी से प्रभावित हुआ है। यह केवल सिफऱ् और सिर्फ हमारे उन मेहनती किसानों और मजदूरों करके ही संभव हो सका था जोकि आज अपनी जायज मांगों के लिए अमन शान्ति और धीरज के साथ प्रदर्शन करने लिए मजबूर हैं। पटियाला से सांसद ने केंद्र सरकार से टैक्स राहत की आकांक्षा करते हुए तनखाहदार मुलाजिमों की बात करते कहा कि, बड़ी उम्मीदों के बावजूद कर दाताओं के इस बड़े वर्ग को कोई राहत नहीं दी गई, क्योंकि तनखाहदारों व पैनशनरों के लिए मानक कटौती पहले की तरह ही जारी है। हालांकि तालाबंदी के कई पड़ावों करके 2.1 करोड़ से और ज्यादा मुलाजिमों की नौकरियां चलीं गई और जो अपनी तनख्वाहें और मेहनताने पर भारी कट लगवा कर नौकरियां बचाने में सफल भी रहे, को भी कोई राहत नहीं दी गई।
केंद्रीय वित्त मंत्री की तरफ से सीनियर सिटीजनस को छूट देने को भी गुमराहकुन करार देते हुए परनीत कौर ने कहा कि वित्त मंत्री की तरफ से 75 साल या इससे ज्यादा उम्र के नागरिकों को आमदन कर रिटर्न भरने से छूट देने का प्रस्ताव भी एक भ्रम से अधिक कुछ नहीं है, क्योंकि यह प्रस्तावत भी बिना शर्त नहीं हैं और न ही यह आमदन कर से छूट के संकेत है, जैसे कि गलती के साथ पहले इन को बहुते की तरफ से खुशी का एक पल मान लिया गया था। उन्हेांने कहा कि छूट तो केवल कुछ शर्तों पर आधारित रिटर्न भरने से ही
है।