आम आदमी पार्टी ने किसानों से शांतिपूर्वक विरोध करने का किया आग्रह
भाजपा नेताओं पर हमले के लिए, केंद्र सरकार का तानाशाही रवैया जिम्मेदार
पंजाब भाजपा के नेता पंजाबी होने का सबूत देते हुए काले कानून को रद्द करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से करें बात
चंडीगढ़, 28 मार्च 2021 : आम आदमी पार्टी ने भाजपा विधायक अरुण नारंग के साथ हुई घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसान आंदोलन की मजबूती के लिए जरूरी है कि लोग शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करें। पार्टी ने किसानों से शांतिपूर्ण और अहिंसात्मक ढंग से प्रदर्शन करने की अपील की।
रविवार को पार्टी मुख्यालय से जारी एक बयान में आप के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में नेता विपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है। लेकिन बात शांतिपूर्ण ढंग से होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन की ताकत यही रही है कि इस आंदोलन में अब तक कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है। यही कारण है कि यह आंदोलन आज दुनिया का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण आंदोलन बन गया है। जीत के लिए किसानों को शांति बनाए रखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पंजाब के किसान कई महीनों से सड़कों पर दिन-रात संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन भाजपा के कुछ नेता किसानों के खिलाफ बहुत अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे थे। भाजपा नेताओं ने किसानों को आतंकवादी, पाकिस्तानी और देशद्रोही करार दिया, जिससे लोगों में बहुत गुस्सा है और वे भाजपा का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार काले कृषि कानूनों को वापस नहीं लेकर पंजाब के सांप्रदायिक सद्भाव को तोड़ने की कोशिश कर रही है। मोदी सरकार का अड़ियल रवैया न केवल देश की प्रगति मैं बाधक बन रहा है, बल्कि आपसी भाईचारे के बंधन को भी तोड़ रहा है। इसलिए मोदी सरकार को तुरंत काले कानूनों को निरस्त करना चाहिए ताकि लोगों का आपसी सौहार्द बना रहे।
उन्होंने पंजाब के भाजपा नेताओं से अपील की कि वे अपनी पंजाबी पहचान साबित करें और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने किसानों की आवाज उठाएं और केंद्र सरकार से बात कर काले कानूनों को निरस्त करवाएं। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं को पंजाब के किसानों में बढ़ते गुस्से को समझना चाहिए और इसे अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी मानते हुए केंद्र सरकार पर कृषि कानून रद्द करने के लिए दबाव बनाना चाहिए। चूंकी यह राजनीति का मुद्दा नहीं है, यह पंजाब के अस्तित्व की बात है। इसलिए सभी राजनीतिक दलों को और खासकर पंजाब के भाजपा नेताओं को राजनीति से ऊपर उठकर किसानों की आवाज बुलंद करनी चाहिए और केंद्र सरकार पर काले कृषि कानून को रद्द करने का दबाव डालना चाहिए।